
आखिर पुलिस जुआ किसको मानती है पढ़े पूरी खबर






बीकानेर। शहर में अगर देखा जाये तो पिछले काफी समय से जुए का शौक युवाओं व बुजुर्ग मे चढ़ा है जिससे युवा पीढ़ी गलतदिशा में जा रही है आने वाले समय में जो अपराध हो रहे है वो आगे ओर ज्यादा बढ़ेगें। इसका कारण शहर में चौकों व सडक़ों गली नुक्कड़ पर चार जने बैठे ताश के पत्ते खेलने शुरु देखने में तो वो एक टाईम पास कहा जाता है लेकिन ऐसा नहीं है ताश के पत्ते जहांहोगें वहां पैसों का खेला ही होगा। अगर गली मौहल्लों व चौकों में बैठकर ताश खेलने वालो को नहीं रोक रहे है तो फिर अगर दस जने मिलकर ताश खेल रहे है तो उनको क्यों दबोचा जा रहा है। जबकि ताश गली मौहल्लों में खेली जा रही है और ताश दो जनों से एक दर्जन लोगों के बीच खेला जा सकता है फिर जुआ कौनसा हुआ क्या पुलिस बताने में समर्थ है कि वो आखिर किसको जुआ मानती है। जो लोग सार्वजनिक स्थानों पर जैस मंदिर पर, पाटों, गली में, मौहल्ले में ताश खेली जा रही है वो जुआ नहीं है और बंद कमरे में अगर पांच जने खेल रहे है तो वो पुलिस की नजर में जुआ है। पुलिस आज तक यह तय नहीं कर सकी कि आखिर जुआ कौनसा है। खेल दोनो जगह ही रुपये का जिसमें कोट पीस, तीन पत्ती, रमी आदि सभी खेल टाईम पास नही होता है बिना रुपये के कोई भी युवा या बुर्जुग ताश के हाथ नहीं लगायेंगे।
ताश के कई घरों को उजाड़ कर रख दिया है
अगर देखा जाये तो शहर में कई ऐसे घर में जिसमें जुए से पूरा परिवार बर्बादा हो चुका है। घर के मुखिया से लेकर नीचे तक जुए कही लत में लग चुकी है। इसमें कई उजड़ गये है। लेकिन शहर के मोहता चौक, बड़ा बाजार, नत्थुसर गेट के बाहर, दम्माणी चौक, लखोटियों का चौक, सिंगियों का चौक, तेलीवाड़ा, गोपेश्वर बस्ती, मोहता की सराय, बारह गुवाड़ा का चौक, जस्सूसर गेट सहित इलाकों में लोग घरों में व गलियों व चौकों में दिन से देर रात तक ताश खेलते है। दिनभर में हजारों रुपये की हारजीत लग जाती है। लेकिन पुलिस इसको जुआ नहीं मानती क्योकि पुलिस एक साथ दस लोग बैठकर ताश खेलती है उसे ही जुआ मानती है जहां उसको अच्छी रकम हाथ लग सके।


