
आखिर किसके कहने पर सडक़ों पर चला जुए की गोटिया, ताश का खेल चार दिन सडक़ों पर जमकर चला जुआ, पुलिस रोकने में रही नाकाम





बीकानेर। दीपावली पर्व पर परम्परा के नाम पर शहर की सडक़ों पर खुलेआम जमकर जुएबाजी का खेल चला सुबह से लेकर रात तक जुएबाजी सार्वजनिक स्थानों सहित घरों व सडक़ों पर चला जिसमें अगर देखा जाये तो सबसे ज्यादा मोहता चौक के मरुनायक मंदिर के पास से लेकर शहर की तंग गलियों में जुएबाजी का खेल चला। मजे की बात है पुलिस रोकने के लिए चक्कर निकाल रही थी लेकिन जुआरियों को किस तरह का डर नहीं था वो अपनी मस्ती में जुएबाजी में मशगुल रहे। पुलिस इन जुआरियों के सामने लचर दिखी ऐसा लगता था कि पुलिस पर किसी का दबाब था जिसके कारण वो जुआरियों को रोकने में नाकामयाब रहे। युवा से बुजुर्ग तक जुएबाजी में शामिल रहे।
परम्परा के नाम युवाओं पर गलत प्रभाव
कहते है कि ये परम्परा है कि दीपावली के दिन जुए खेलना चाहिए ऐसा कही नहीं लिखा है लेकिन परम्परा बना रखी है इसी का फायदा उठाकर युवाओं इस चार दिन जमकर जुए खेलते है और यही परम्परा आगे चलकर छोटे से बड़े जुए के खेल में शामिल होते है।
मजे की बात है कही कही तो काका, भतीजा, भाई भाई, बाप बेटे, दादा पोते सहित एक जगह पर एक साथ जुए का खेल खेलते है । क्या परम्परा है कि या सांस्कृति है। देखने में आया इस तरह का सडक़ों पर खुलेआम जुए बीकानेर में ही होता है और कही नहीं होता है।
सबसे ज्यादा जुए जमा इन थाना इलाकों में
कोतवाली, नयाशहर, गंगाशहर, मुक्ताप्रसाद, कोटगेट इन थाना इलाकों में दीपावली पर जमकर जुएबाजी का खेल खेला इन इलाको में पुलिस अलर्ट भी रही लेकिन जुए रोकने में नाकाम रही। पुलिस की गश्त को धत्त बताते हुए खेल खेला।
आखिर किस की शह पर चला सडक़ों पर जुआ्र
पुलिस की इतनी सख्ती होने के बाद भी इन सडक़ों पर खेलने वालों को किसी पुलिस अधिकारी ने क्यों नहीं रोका आखिर ये सडक़ों पर परम्परा के नाम सडक़ों पर जुए खेलने वाले जुआरियों को किसी की शह थी कि इनको किसी का डर नहीं था मजें की बात है कही कही तो पुलिस की गाड़ी निकल रही है लेकिन जुए खेलने वाले अपनी जगह से नहीं उठे। उससे यह प्रतीत होता है कि यह सब पुलिस की देखरेख में हो रहा था।
बड़ा बाजार में पुलिस की सख्ती का असर हुआ
अगर देखा जाये तो शहर के बड़ा बाजार इलाके में पुलिस की सख्ती का असर ज्यादा रहा इस इलाके में जुएबाजी का खेल नाममात्र का रहा बार बार पुलिस की छापेमारी के डर से कोई भी जुए के खेल में नहीं बैठा। बीट कांस्टेबल की सख्ती व एसएचओ ने सख्त चेतावनी दी कि अगर जुए खेलते देखे गये तो किसी भी हालात में बख्सना नहीं है इनको तुरंत पकड़ कर अंदर डालना है इसी का प्रभाव दिखा वहीं बड़ा बाजार में पुलिस के जवानों को बैठा दिया जिससे ओर ज्यादा सख्ती रही। इसके लिए मौहल्लेवासियों ने पुलिस का धन्यवादा भी दिया कि उन्होंने अपने बच्चों को गलत संगत में जाने से रोका है।
गोटिया पर खेलने से परहेज पर ताश पसंददी खेल
मजे की बात ओर सामने आई ताश के पत्तों पर खेलने वालों को पुलिस ने किसी को नहीं रोका उससे परहेज नहीं है जबकि गोटिया व अन्य तरह से जुए खेलने वालों को पकडऩा पुलिस की आदत है। जबकि अगर देखा जाये तो शहर में 80 प्रतिशत लोग ताश के पत्तों पर खुल्लेआम जुआ खेलते है। अगर देखा जाये तो दो तीन युवक अपने शहर के चौकों में बैठकर जो ताश के पत्तों पर खेल खेलते है वो भी जुए का हिस्सा है बिना रुपये के ताश के पत्ते कोई नहीं खेलता है लेकिन बीकानेर में इसको छुट है क्योकि यह बुजुर्ग का टाइम पास खेल है बुजुर्ग इसको अपना टाईम पास मानते है तो वहीं युवा वर्ग ने इसको अपना हथियार बनाया लिया है और खुल्लेआम ताश के पत्तों पर जुआ खेलते है और ये शहर में रात दिन चलता है।


