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आखिर कैसे टूटेगी पॉजिटिव की चैन,फोन बना संक्रमण का कारण

जयनारायण बिस्सा
खुलासा न्यूज,बीकानेर। एक ओर तो जिला प्रशासन कोरोना से बीकानेर को मुक्त की मुहिम में लगा है और प्रतिदिन कोरोना को लेकर अलग अलग प्रकार के आदेश निकालकर हिदायतें दे रहा है। लेकिन जिले में कोरोना का संक्रमण रूकने का नाम नहीं ले रहा है। उसका बड़ा कारण कही न कही सिफारशी फोन भी है। जानकारी मिली है कि जब चिकित्सा विभाग की टीम कोरोना संक्रमित को लेने उसके बताएं पते पर पहुंचती है तो उससे पहले चिकित्साधिकारी के पास फोन पहुंच जाता है कि साहब इसे होम आईसोलेट कर दीजिए। यह अपने घर में रहकर सरकारी एडवाजरी की अनुपालना कर लेगा। घंटों मशक्कत के बाद आखिर पॉजिटिव के घर से चिकित्सा विभाग की टीम बैरंग लौटी आती है। ऐसे कई मामले सामने भी आएं है। जोशीवाडा स्थित एक घर से करीब 12 पॉजिटिव आने के बाद यहां से 8 जनों का कोविड सेन्टर ले जाया गया। शेष चार को चिकित्साधिकारी के फोन के बाद होम आईसोलेट कर दिया गया। जिसके परिणाम स्वरूप घर का एक मात्र सदस्य जो कोरोना संक्रमित नहीं था। वह भी पॉजिटिव आ गया। मजे की बात तो यह है कि इस घर के चार सदस्यों को कोविड सेन्टर से छुट्टी मिलने तक यह पॉजिटिव होम आईसोलेट रहे। यहीं नहीं जब तक यह पॉजिटिव घर पर रहे। अपने नियमित काम निपटाते रहे। इनके आस पड़ौसी भी भयभीत रहते। वहीं मून्दड़ा चौक,धरणीधर,एम एम स्कूल के पास सहित शहर के अनेक क्षेत्रों में भी प्रभावशाली राजनेताओं व द्धितीय पंक्ति के नेताओं के फोन पर पॉजिटिव को होम आईसोलेट कर दिया गया।
जिला प्रशासन के आदेश को बना रहे ढाल
बताया जा रहा है कि जिला प्रशासन की ओर से पॉजिटिव को घर में सुविधाओं होने और चिकित्सा विभाग की टीम के सन्तुष्टिपूर्ण होने पर होम आईसोलेट करने के आदेशों को ढाल बनाया जा रहा है। जिससे कोरोना की चैन टूटने का नाम नहीं ले रही है। जानकारी ऐसी भी मिली है कि सरकार की हिस्सेदारी बने कई नेता पॉजिटिव को घर पर रखने के लिये चिकित्साधिकारियों को फोन कर रहे है।
दो दिन की बिगड़ चुकी है तबीयत
ऐसी भी जानकारी मिली है कि होम आइसोलेट का दबाव बनाने वाले शायद इस बात को भूल गये कि पूर्व में आईसोलेट होने वाले एक जने की मौत तथा तीन से चार जनों की तबीयत बिगडऩे के बाद उन्हें अस्पताल ले जाया गया। ऐसे में होम आईसोलेट की सिफारिश करना कहां तक उचित है।
अब कफ्र्यू भी लगाना किया बंद
शहर में कोरोना संक्रमण की चैन तोडऩे के लिये प्रशासन की ओर से संबंधित क्षेत्रों से कफ्र्यू लगाया जाता था। किन्तु अब कोरोना संक्रमित क्षेत्रों में अब तो प्रशासन की ओर से किसी प्रकार से कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है। जिसके चलते न तो इन इलाकों में कफ्र्यू लगाया जा रहा है और न ही ऐसे क्षेत्रों में कोई सख्ताई की जा रही है। ऐसे में कोरोना संक्रमण को लेकर कागजों में सरकार व प्रशासन खासा गंभीर दिख रहा है।
चार से पांच दिनों में घर वापसी,नहीं बैठे रहे घर में
ऐसा पता चला है कि कोरोना संक्रमित होकर अब चार से पांच दिनों में मरीज ठीक होकर घर वापसी कर रहे है। यह अच्छी बात है,लेकिन ऐसे चंद लोग घरों में न बैठकर बाहर घूमते फिरते भी नजर आ रहे है। जबकि उन्हें छुट्टी देने के दौरान चार से पांच दिन ओर घर में रहने की हिदायत दी जाती है।
चार से पांच दिन से आ रही रिपोर्ट
मेडिकल कॉलेज की लापरवाही इस हद तक सामने आ रही है। हालात ये है कि शहरवासी एक्टिव होकर अपनी जांचे करवा रहे है। लेकिन चार से पांच दिन के बाद तक न तो उनके पास मैसेज आ रहे है और न ही कोई विभागीय सूचना। ऐसे में बुधवार को जारी पहली लिस्ट में ऐसे कई जने है,जिनको चार से पांच दिन बाद पॉजिटिव बताया गया है। ऐसा पहली बार नहीं हुआ है। उधर मेडिकल कॉलेज रिपोर्ट को लेकर तकनीकी खामियों को आधार बताकर अपनी जिम्मेदारी से मुक्त हो रहा है।

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