आखिर कैसे बढ़ गए गो-तस्करी और गोवध के मामले - Khulasa Online आखिर कैसे बढ़ गए गो-तस्करी और गोवध के मामले - Khulasa Online

आखिर कैसे बढ़ गए गो-तस्करी और गोवध के मामले

जयपुर। गौरक्षक देवी-देवताओं एवं गौसेवक संतों की पुण्यमय भूमि राजस्थान इन दिनों गौ माता के रक्त से लहूलुहान है। संपूर्ण प्रदेश में गौ-उत्पीडऩ, गौतस्करी, गौहत्या तथा गौरक्षकों पर प्राणघातक हमले की घटनाएँ लगातार एक के बाद एक सामने आ रही हैं।
पिछले दिनों दिनांक 24 नवंबर बुधवार को अलवर के भिवाड़ी में बाइक पर 45 किलो गौमाँस ले जाते 2 युवकों को पकड़ा गया। गिरफ्तार आरोपी जुनेद मेव पुत्र खालिद (25) एवं असलम मेंव पुत्र नसरुद्दीन (18) तिजारा के बेरला गाँव के निवासी हैं।
भिवाड़ी एसपी राममूर्ति जोशी के अनुसार दो युवकों द्वारा बाइक पर गौमाँस लेकर मालियर जट्ट की तरफ से हसनपुरा माफी जाने की सूचना थी जिसपर नाकाबंदी की गई। रात को मालियर जट्ट की तरफ से आती बाइक को रोक तलाशी ली तो एक प्लास्टिक के कट्टे में 45 किलो माँस मिला। अधिकृत पशु चिकित्सक विनोद यादव ने इसके गौमाँस होने की पुष्टि की।
इस तरह की यह एकमात्र घटना नहीं है। विगत कुछ ही दिनों में गौतस्करी व गौहत्या के कई मामले सामने आए। हाल ही में खेतड़ी का एक वीडियो वायरल हुआ जिसमें 3 युवक एक गाय और बैल को मशाल से जलाने का प्रयास करते दिखे। इसके अतिरिक्त हाल ही में हुई कुछ गौतस्करी/ गौ-उत्पीडऩ की घटनाएँ निम्न हैं-
● मालपुरा में कंटेनर में निर्दयता से ठूँसकर भरे गए 53 गौवंश को मुक्त कराया गया। 2 गौवंश मृत पाए गए।
●सवाई माधोपुर में 75 गौवंश से भरा ट्रक पकड़ा गया जिन्हें काटने के लिए ले जाया जा रहा था।
●प्रतापगढ़ में एक ट्रक में भरे गए 51 गौवंश को मुक्त कराया गया। 1 कि दम घुटने से मृत्यु हो चुकी थी।
● खोह भरतपुर में एक गाड़ी में 2 गोवंश जीवित तथा 1 मृत पाए गए। उक्त घटना में याहया तथा जैकम नामक 2 आरोपियों की गिरफ्तारी हुई।
●आबूरोड़ में 39 गौवंश से भरा कंटेनर पकड़ा गया। 4 आरोपी गिरफ्तार।
●बूंदी के पेच बावड़ी से मिनी ट्रक में कटने को ले जाते 10 गौवंश पकड़े गए।
●दूनी, टोंक में गौसेवा दल द्वारा गौतस्करों के कब्जे से कई गायों को छुड़ाया गया।
●भरतपुर से गौ तस्कर साकिर की गिरफ्तारी हुई है जो बहुत समय से गौहत्या व गौ तस्करी में लिप्त रहा है।
इसी के साथ अजमेर में गौतस्करों के सक्रिय होने की बात सामने आई है जो निराश्रित गौ को घेरकर सुनसान में ले जाते हैं और रात के अंधेरे में गाडिय़ों में भरकर कटने के लिए भेज देते हैं। गत दिनों सूपा क्षेत्र से ऐसा ही एक ट्रक पकड़ा गया था।
उल्लेखनीय है सर्दियों में गौ-तस्करी और गौ-उत्पीडऩ की घटनाओं में एकाएक वृद्धि हो जाती है। और ऐसा प्रतिवर्ष देखने में आया है। लेकिन विडंबना है कि राज्य सरकार तुष्टिकरण में डूबकर गौ हत्या पर आँखें मूंदे बैठी है। इतना ही नहीं, गौ रक्षा करते हुए तस्करों की फायरिंग का शिकार होने वाले गौसेवकों पर ही मुकदमे दर्ज किए जाते हैं, इसके अनेक उदाहरण हैं। समय की मांग है कि गौ-उत्पीडऩ के विरुद्ध न केवल सख्त से सख्त कानून बने अपितु सनातन समाज की भावनाओं को ध्यान में रखते हर दोषियों को भी कड़ा दण्ड दिया जाए चूँकि गौ मात्र जीव नहीं है। वह भारतीय संस्कृति का जीवंत प्रतीक है।

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