समाज को दिशा देने के युगदृष्टा थे आचार्य तुलसी,दी ऑनलाइन भावांजलि

समाज को दिशा देने के युगदृष्टा थे आचार्य तुलसी,दी ऑनलाइन भावांजलि

बीकानेर। आचार्य तुलसी की 24वीं पुण्यतिथि पर बीकानेर रेंज के पुलिस महानिरीक्षक जॉस मोहन ने नैतिकता के शक्तिपीठ पहुंचकर अपनी श्रद्धांजलि अर्पित की। आईजी ने कहा कि यह जगह बहुत शांत एवं ऊर्जा से भरी हुई है। जॉस मोहन आचार्य तुलसी ग्रंथागार, चित्र दीर्घा व प्रदर्शनी का अवलोकन कर अभिभूत हुए। अध्यक्ष जैन लूणकरण छाजेड़ व सुश्री प्रज्ञा नौलखा ने जैन धर्म, तत्व व चित्रदीर्घा की विस्तृत व्याख्या करके जानकारी दी। अध्यक्ष जैन लूणकरण छाजेड़ ने पताका पहनाकर व ट्रस्टी बसंत नौलखा, विनोद बाफना, डालचन्द भूरा, अमरचन्द सोनी, जतन संचेती ने साहित्य भेंट कर सम्मानित किया।
ऑनलाईन वीडियों से दी भावपूर्ण श्रद्धांजलि का विशाल कार्यक्रम
आचार्य तुलसी की 24वीं पुण्यतिथि के अवसर पर सोमवार को सुबह 9:00 बजे से ऑनलाइन ”भावाजंलि” कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इसमें धर्मगुरू, राजनेताओं के साथ देश ही नहीं विदेशों से भी श्रद्धालुओं ने वीडियों से भावपूर्ण श्रद्धांजलि अर्पित की। इस दौरान ऑनलाइन के माध्यम से केन्द्रीय राज्य मंत्री अर्जुनराम मेघवाल ने कहा कि आचार्य तुलसी ने अणुव्रत आंदोलन चलाया उन्होंने सभी धर्मों में समरूपता लाने का प्रयास किया। आचार्य तुलसी ने जियो और जीने दो के संदेश को आगे बढ़ाया। ऊर्जा मंत्री डॉ. बी.डी. कल्ला ने कहा कि आचार्यश्री तुलसी ने धार्मिकता के साथ नैतिकता का समावेश कर देश को अणुव्रत का सिद्धांत दिया। वे असाम्प्रदायिक मानव धर्म को संज्ञा देने वाले ऐसे राष्ट्रसंत थे जिन्होंने केवल जैन धर्म को ही नहीं देश और समाज को नई दिशा देने और राष्ट्रीय समस्या के समाधान में अग्रणी भूमिका निभाई।
इस अवसर पर आचार्य तुलसी शान्ति प्रतिष्ठान के अध्यक्ष जैन लूणकरण छाजेड़ ने ऑनलाइन कार्यक्रम का आगाज करते हुए कहा कि आाचार्यश्री तुलसी ने धर्मों में एकता और समन्वय का कार्य किया जो पूरे देश में अणुव्रत के रूप में विख्यात है। नारी को स्वावलम्बी, आत्मनिर्भर, शिक्षा का प्रचार करके आचार्य तुलसी ने नारी को पूर्णरूपता प्रदान की। अहिंसा परमोधर्म, दूसरों को मन से भी कष्ट न पहुंचाने मात्र का संदेश देकर आत्मा को उज्जवल पवित्र बनाने का मार्ग प्रशस्त किया। आचार्य तुलसी शान्ति प्रतिष्ठान के कोषाध्यक्ष बिमल चौपड़ा ने कहा कि आचार्य तुलसी तेरापंथ धर्म संघ के क्रान्तदृष्टा आचार्य थे। आचार्यश्री ने विरोधों और प्रतिशोधों के बावजूद पुरुषार्थ का दीपक जलाये रखा। ट्रस्टी बसंत नौलखा ने कहा कि आचार्यश्री तुलसी एक सच्चे मानव थे उनका व्यक्तित्व स्मृति पटल पर अनेक मापदंड अंकित करता है। ट्रस्टी विनोद बाफना ने कहा कि आचार्यश्री तुलसी ने अपनी सुख सुविधा को गौण मानकर जनकल्याण के लिए अपना जीवन जीये। भविष्य की समस्याओं का आकलन करते हुए उन्होंने अणुव्रत जैसे नियमों की स्थापना की। ट्रस्टी अजय चौपड़ा ने कहा कि गुरूदेव तुलसी का धरती पर आगमन मानवता के कल्याण के लिए हुआ था। गुरूदेव ने अणुव्रत के माध्यम से जन-जन तक नैतिकता का संचार करने का प्रयास किया और लाखों लोगों में अणुव्रत की चेतना जाग्रत हुई है।
जैन श्वेताम्बर तेरापंथी महासभा के अध्यक्ष सुरेश गोयल ने कहा कि आचार्य तुलसी युग दृष्टा थे। पूरे देश के शीर्ष नेतृत्व ने आचार्यश्री के चरणों में बैठकर देश में नैतिकता के प्रयास करने का संकल्प लिया। साहित्यकार मधु आचार्य ने कहा कि आचार्य तुलसी का मंत्र निज पर शासन फिर अनुशासन अपने आप में एक बहुत बड़ा जीवन मंत्र है।
जैन विश्व भारती, लाडनूं के अध्यक्ष अरविंद संचेती ने कहा कि जैन विश्व भारती के पुरोध आचार्यश्री तुलसी की स्मृति कण-कण में बसी है। तेरापंथ प्रोफेशनल फॉर्म के राष्ट्रीय अध्यक्ष निर्मल कुमार कोटेचा ने कहा कि आचार्यश्री तुलसी का व्यक्तित्व कलम की शक्ति और शब्दों की सीमा में न समाने वाला एक विराट व्यक्तित्व थे। 11 वर्ष के अवस्था में दीक्षा स्वीकार कर उन्होंने हमेशा सभी के साथ चलना शुरू किया। अमृतवाणी के अध्यक्ष पन्नालाल बैद ने कहा कि आचार्यश्री तुलसी कोमल वात्सल्य के धनी थे। गुरु का पद भगवान से भी बड़ा होता है। तेरापंथ सभा के मंत्री अमरचन्द सोनी ने कहा कि तुलसी एक महान व्यक्तित्व व कर्तृत्व के धनी थे। अखिल भारतीय तेरापंथ युवक परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष संदीप कोठारी ने कहा कि आचार्यश्री तुलसी ने मानव कल्याण में अपनी सारी शक्ति, श्रम, संयम और संघीय कृतित्व को जोड़ दिया।
अखिल भारतीय तेरापंथ महिला मंडल की राष्ट्रीय अध्यक्ष पुष्पा बैद ने कहा कि आचार्यश्री तुलसी के जीवन का प्रतिरूप सामने आने पर लगता है कि कितनी-कितनी समस्याओं के पश्चात भी उनका सामना किया।बाफना अकादमी के सीईओ डॉ. पी.एस. वोहरा ने कहा कि आचार्यश्री तुलसी 20वीं सदी के सबसे महान संत थे। सभी को आचार्यश्री तुलसी के नियमों को अपने जीवन में उतार कर संयम के साथ जीवन जीना चाहिए। प्रो. चक्रवती श्रीमाली ने कहा कि हर नये काम में पक्ष विपक्ष दोनों होते है। किसी भी कार्य को पूरा करने के लिए सभी को सुनकर ही निर्णय लेना चाहिए।
ऑनलाइन भावांजलि समारोह के तकनीकी संचालक सुरेश पारीक ने बताया कि यह कार्यक्रम 2 घंटे 28 मिनट चला। यह कार्यक्रम 16732 लोगों तक पहुंचा तथा देश-विदेश से लोगों ने अपने संदेश मे भावांजलि अर्पित की। प्रेक्षाध्यान अकादमी के अध्यक्ष राजीव छाजेड़, कन्यामंडल की राष्ट्रीय संयोजिका प्रज्ञा नौलखा, तेरापंथ महासभा उपाध्यक्ष रमेश सुतरिया, मुम्बई तेरापंथ सभा उपाध्यक्ष मांगीलाल छाजेड़, पूणे महिला मंडल से रूचि जैन, शान्ति प्रतिष्ठान के ट्रस्टीगण, तेरापंथ समाज की अनेक संस्थाओं के पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं ने वीडियों के जरिये आचार्यश्री तुलसी को भावपूर्ण श्रद्धांजलि अर्पित की।

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