
मिथ्यात्व जीव और सम्यक्त्वी जीव की करणी में बड़ा अंतर : साध्वी जिनबालाजी




मिथ्यात्व जीव और सम्यक्त्वी जीव की करणी में बड़ा अंतर : साध्वी जिनबालाजी
खुलासा न्यूज़, बीकानेर। आचार्यश्री महाश्रमणजी की सुशिष्या साध्वीश्री जिनबालाजी के सान्निध्य में भीनासर तेरापंथ सभा भवन में आचार्य भिक्षु जन्म त्रिशताब्दी वर्ष के उपलक्ष में मिथ्यात्व की करणी एक विश्लेषण विषय पर विशेष प्रवचन हुआ। साध्वी श्री जिनबालाजी ने कहा कि मिथ्यात्व जीव की करणी और सम्यक्त्वी जीव की करणी में बहुत बड़ा अंतर है। सक्यक्त्वी जीव विशेष रूप से अध्यात्म साधना द्वारा अपने कर्मों की निर्जरा कर सकता है। एक मिथ्यात्वी जीव अनेक प्रकार की सत्क्रियाएं कर सकता है। दान, शील, तप,्र भावना द्वारा संसार को परीत कर सकता है। अनेक मिथ्यात्वी जीव सही क्रिया, सही चिन्तन द्वारा निर्जरा करते-करते सम्यक्त्वी बन सकता है। साध्वीश्री जिनबालाजी ने कहा कि जिसने कभी धर्म को जाना नहीं, सुना नहीं वह भी अवसर मिलने पर अपने चिन्तन को सत् दिशा में लगाकर धीरे-धीरे साधना की पहली से ऊपर उठकर आगे बढ़ सकता है। प्रवचन के बाद साध्वीवृंद ने सामूहिक रूप से गीतिका का संगान किया।




