बीकानेर मुद्रा परिषद के तत्वावधान में एक विशाल प्रदर्शनी मुद्रा महोत्सव तीन दिन आयोजि होगा

बीकानेर मुद्रा परिषद के तत्वावधान में एक विशाल प्रदर्शनी मुद्रा महोत्सव तीन दिन आयोजि होगा

बीकानेर मुद्रा परिषद के तत्वावधान में एक  विशाल प्रदर्शनी मुद्रा महोत्सव तीन दिन आयोजि होगा
बीकानेर। बीकानेर मुद्रा परिषद के तत्वावधान में एक विशाल प्रदर्शनी बीकानेर मुद्रा महोत्सव द्वितीय का 27,28,29 सितम्बर 2024 (शुक्रवार, शनिवार, रविवार) को षुभारम्भ स्थानीय सूरज भवन आसानियों का चौक, रामपुरिया हवेली से आगे, बीकानेर में होगा ।इस प्रदर्शनी का उद्घाटन दिनांक 27 सितम्बर 2024 को सुबह 9.15 बजे को होगा । इस मुद्रा महोत्सव में षहर वासियों को कृशाण कालीन, मुगल कालीन, भारतीय रियासत, ब्रिटिष कालीन एवं आजादी के बाद से लेकर वर्तमान तक प्रचलित एवं अप्रचलित मुद्राओं का संग्रह देखने को मिलेगा। बीकानेर मुद्रा परिशद के अध्यक्ष महेन्द्र कुमार बरडिय़ा का कहना है कि आज तक भारत की जो मुद्राऐं जो चलन में आई थी वो 95 प्रतिशत विलीन हो गयी, क्योंकि जिस समय चली उस समय सोने, चांदी, तांबे के भाव और थे वर्तमान कुछ और है। जैसे जैसे धातुओं की कीमत बढ़ी वैसे वैसे लोगों ने इन मुद्राओं को गलाना षुरु कर दिया । इस तरह हमारी ऐतिहासिक मुद्राऐं विलीन होने की तरफ बढ़ रही है। पिछले 20 वर्ष में पुराने संग्रह कर्ता ने आने वाली पीढी का जागृत करने का प्रयास किया और धातु से अधिक मूल्य देकर उन्होंने उन मुद्राओं को संग्रह करना षुरु किया। उन संग्रहकर्ताओं ने आम जन से संपर्क किया एवं आग्रह किया कि उन दुर्लभ एवं ऐतिहासिक मुद्राओं का संरक्षण करें, ताकि आने वाली पीढी भी हमारी संस्कृति से परिचित हो सके । ब्रिटिष काल में भी कागजी मुद्रा चली, उन मुद्राओं में प्रति दिन छपने वाले दिन की तारीख व सन् दिया जाता था। उसके बाद आजाद भारत में भी कागजी मुद्रा का प्रचलन रहा । यह प्रचलन समयानुसार घटता बढ़ता रहा तो संग्रह कर्ताओं ने ये भी जानकारी देने लगे कि ये मुद्रा हमारी धरोहर है क्यों ने इसका भी संग्रह करें। तो संग्रहकर्ताओं की रुझान इस ओर बढ़ा इसलिये वर्तमान में आम जनता को जानकारी देने के लिये यह प्रदर्षनी लगाई जा रही है। इसमें समस्त भारत के मुद्रा संग्रह कर्ताओं के आने की जानकारी मिल रही है। एक जानकारी देना चाहता हूं जब गंगासिंह जी का रूपया प्रचलन में बंद हुआ तक उसकी कीमत 1रु थी अब संग्रह कर्ताओं में स्पर्धा के कारण इसका मूल्य 6000रु से लेकर 8000 रु तक हुआ। क्या ये बचत के रूप में कामयाब है।
चालीस वर्श पहले भारतीय मुद्रा भारत से बाहर के संग्रहकर्ता खरीदते थे। वर्तमान में भारत के संग्रहकर्ता की क्षमता बढ़ी यदि भारतीय संग्रह कर्ता विदेषों में जाते हैं वहां भी भारतीय मुद्राओं के ऑक्सन होते हैं तो वहां से भारत में लाने का प्रयास करते हैं यह संग्रहकर्ताओं की देन है। बीकानेर मुद्रा परिशद के द्वारा 8 वर्श पूर्व 22,23 जुलाई 2016 को मुद्रा महोत्सव की प्रथम प्रदर्षनी का आयोजन बीकानेर में किया गया । इसका अवलोकन करने वाले बीकानेर वासियों एवं बाहर से आने वालों ने इसे खूब सराहा एवं आगे भी ऐसे आयोजन का जल्द करने की आषा जताई। उपाध्यक्ष भरत कोठारी ने कहा राजस्थान की रियासतें में रियासत के प्राचीन सिक्के मिलते हैं पुराने समय में उसमें उर्दू भाशा होती थी क्योंकि उस समय मुगल कालीन राज्य होते थे। जो राजस्थान की रियासतें होती थी उन्हें भी उर्दू में सिक्के छापने पड़ते थे। मुद्रा परिशद के सचिव प्रेमरतन सोनी (डांवर) का कहना है कि उसके बाद ब्रिटिष काल का समय आगया तो उस समय रियासतों को ब्रिटिष सरकार से परमिषन लेकर सिक्के छापने का आदेष देना पड़ता था। तो उस समय रियासतों को भारत के हिन्दी व अंग्रेजी भाशा में सिक्कों का प्रचलन हुआ। उसी समय काल में ब्रिटिष साम्राज्य के सिक्कों का भी चलन होता है उन दानों की मूल्यांकन भी एक समान रहती थी । देश की आजादी से पहले भारत में ब्रिटिश काल में विक्टोरिया, एडवर्ड, पंचम जॉर्ज, सिक्स जॉर्ज के नोट कागजी मुद्रा में भी काफी प्रचलन रहा। जो वर्तमान समय में अब आपको देखना दुर्लभ हो गया ।
बीकानेर मुद्रा परिशद सदस्य नवीन बरडिय़ा का कहना है कि वर्तमान में आजादी के बाद 1रु का नोट सन् 1948 से सन 1994 तक 59 तरह के नोटों का प्रचलन हुआ। ये भी एक संग्रह करने योग्य है।
मुद्रा परिशद के सदस्य राजीव खजांची का कहना है कि भारत में ब्रिटिष काल के समय चंद राजाओं के सिक्कों में उनके राजाओं की फोटो होती थी । जिसमें बीकानेर के राजा गंगासिंह जी , भावलपुर स्टेट के महाराज एवं त्रिपुर के राजा, इंदौर के राजा, ग्वालियर के राजा, बड़ौदा के राजा एवं अन्य राजाओं की फोटो लगने लगी। मगर इसके लिये ब्रिटिष सरकार से इजाजत लेनी होती थी । शैलेन्द्र बरडिय़ा का कहना है वर्तमान में संग्रह के लिये एक नयी संग्रहकर्ताओं चालू किया है 000001 के नोटों का प्रत्येक नोट में संग्रह षुरुकर दिया। उसके अलावा 111111 इस संख्या का भी संग्रह करने लगे। जो आने वाले समय में इन नम्बर की श्रंखला अब मिलनी दुर्लभ हो गयी । बीकानेर मुद्रा परिशद के अध्यक्ष महेन्द्र बरडिय़ा ने यह जानकारी दी ।

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