
यूआईटी में संविदा कर्मियों की छुट्टी






भीलवाड़ा। नगर विकास न्यास ने बड़ी कार्रवाई की। 83 में से 81 संविदा कर्मियों को हटा दिया गया। इनमें से 25 से अधिक संविदा कर्मी लम्बे समय से न्यास में जमें हुए थे। उनके स्थान पर एक अक्टूबर से नए संविदा कर्मी न्यास का काम संभाल लेंगे। इसी प्रकार न्यास के ऑन लाइन एवं विभागीय कामकाज की नियमिति मॉनेटेरिंग होगी।
पांच माह से मानदेय नहीं मिलने के बावजूद अधिकांश संविदा कर्मियों के चुप्पी साधे रखने व न्यास की विभिन्न शाखाओं में उनका दखल होने समेत अनेक शिकायतों का खुलासा किया था। जिला कलक्टर एवं न्यास प्रशासक शिवप्रसाद नकाते ने समूचे मामले का गंभीरता से लेते हुए 21 सितम्बर को जांच के आदेश दिए, साथ ही न्यास में संविदा पर दो वर्ष से अधिक समय से कार्यरत संविदा कर्मी को हटाने के लिए निर्देशित किया था। कलक्टर के आदेश के बाद न्यास सचिव अजय कुमार आर्य अपने वरिष्ठ अधिकारियों के साथ गत चार दिन से संविदा कर्मियों के कामकाज का मंथन कर रहे थे।
कलक्टर ने दिए थे आदेश
न्यास सचिव आर्य ने बताया कि न्यास मे विभिन्न शाखाओं में कार्यरत 83 संविदा कर्मियों में से 81 को बुधवार को हटा दिया गया। यह सभी 81 संविदा कर्मी दो एजेंसी के जरिए यहां अस्थाई रूप से कार्यरत थे। इनकी कार्यशैली की जांच की गई। न्यास प्रशासक व जिला कलक्टर नकाते के आदेश पर इनकी सेवा समाप्त कर दी गई। उन्होंने बताया कि दो संविदा कर्मियों के प्रशासन शहरों के संग अभियान के तहत प्रशिक्षण दिया गया है, इनकी सेवा बरकरार रहेगी।
एक अक्टूबर से नई नियुक्ति
आर्य ने बताया कि न्यास का कार्य प्रभावित नहीं हो, इसके लिए एक अक्टूबर से संविदा कर्मियों की नई नियुक्ति की जाएगी। इसमे युवा, कम्प्यूटर प्रशिक्षत को ही प्राथमिकता दी जाएगी।
चार दिन पहले ही मिला वेतन
न्यास में विभिन्न शाखाओं में 83 संविदा कर्मी कार्यरत थे। इनमें संविदा कर्मी, कम्प्यूटर ऑपरेटर्स, सुपरवाइजर शामिल थे। कई सालों से जमे थे और मानेदय स्वरूप उन्हें छह से आठ हजार रुपए मिल रहा है। इन्हें पांच माह से वेतन भी नहीं मिला था, इसके बावजूद पांच सात ही ऐसे संविदा कर्मी थे, जो कि अपनी पगार के लिए आवाज उठाते आए, जबकि शेष चुप्पी साधे थे। पत्रिका के समाचार प्रकाशित होने के बाद कलक्टर नकाते के रोकी पगार का भुगतान न्यास ने चार दिन पूर्व ही किया था।
यह थी शिकायत
शिकायत थी कि कई संविदा कर्मी यहां नाम के लिए लगे हुए हैं। उनका नियमन, प्रारूपकार, रजिस्ट्री, भूमि रूपांतरण समेत कई शाखाओं में पूरा दखल था। कुछेक तो अपनी पत्नी, रिश्तेदार व करीबी के नाम से ठेकेदारी कर रहे थे। कुछ ने शहर के नामी कॉम्पलेक्सों में ऑफिस खोल रखा हैं। कईयों के वाहन न्यास में ही किराए पर हैं


