
केमिकल से भरे टैंकर पुलिस के लिए बनी गले की हड्डी






बीकानेर। जिले के दो थानों में खड़े केमिकल के टैंकर अब पुलिस के गले की हड्डी बन गए हैं। जब तक विधि प्रयोगशाला (एफएसएल) की जांच रिपोर्ट नहीं आती है, तब तक टैंकर में भरे केमिकल का न तो निस्तारण किया जा सकता है और न ही इसकी नीलामी। जब्त किए गए टैंकरों में कौन सा केमिकल है, इसकी पुष्टि के लिए पुलिस ने एफएसएल टीम के सहयोग से नमूने एकत्रित कर जांच के लिए लैब भेजे थे। लेकिन तीन महीने बीत जाने के बाद भी जांच रिपोर्ट नहीं मिल पाई है।अब पुलिस महकमे के अधिकारी जिला कलेक्टर और रसद विभाग के चक्कर काट रहे हैं, लेकिन उन्हें कहीं से भी कोई संतोषजनक जवाब नहीं मिल रहा है। उधर, एफएसएल टीम से जुड़े अधिकारियों की मानें तो बायो डीजल या अन्य केमिकल की जांच के लिए जोधपुर नमूने भेजे जाते हैं। बीकानेर में केमिस्ट्री लैब नहीं होने के कारण ऐसा करना उनकी मजबूरी है। निस्तारण नहीं होने से संबंधित थानों की पुलिस खौफ में है।
गंगाशहर थाने में खड़े टैंकर में 14 हजार लीटर बायो डीजल सरीखा ज्वलनशील पदार्थ भरा पड़ा है। वहीं नाल पुलिस की ओर से कुछ माह पूर्व एक खेत से जब्त किए गए टैंकर में भी 29 हजार 600 लीटर केमिकल भरा हुआ है। लेकिन दोनों ही टैंकरों का फिलहाल कोई निस्तारण नहीं हो पाया है।
पुलिस को रखनी पड़ती है निगरानी
बीकानेर जिले के नाल तथा गंगाशहर थाने में बायो डीजल सरीखे विस्पोटक के टैंकर जब्त किए गए हैं। जानकारों की मानें तो विस्फोटक श्रेणी में आने वाला यह केमिकल जिंदा बम से कम नहीं है। यही कारण है कि थानों में खड़े इन वाहनों की पुलिस को विशेष निगरानी रखनी पड़ रही है। हैरानी की बात यह है कि न्यायालय से अगर संबंधित टैंकरों को छोडऩे के आदेश जारी किए जाते हैं तो संबंधित पुलिस थानों में खड़े टैंकरों में भरे केमिकल को खाली करवाने के लिए पुलिस, जिला रसद विभाग या जिला कलेक्टर को जुगाड़ नीति अपनानी पड़ सकती है।


