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केरल के एक परिवार के लिए निपाह का मतलब मौत, अब भी डर के साये में

तिरुवनंतपुरम: तीन साल पहले जब सोशल मीडिया पर यह चर्चा होने लगी कि किसी घातक संक्रामक बीमारी ने उनके एक्का (बड़े भाई) की जान ले ली तो मोहम्मद मुथालिब ने अपने परिवार के बारे में फर्जी खबर पर आक्रोश महसूस किया क्योंकि उन्होंने अपने जीवन में कभी भी निपाह बीमारी के बारे में नहीं सुना था. जब तक 19 वर्षीय छात्र मुथालिब को इस संक्रामक बीमारी की गंभीरता का पता चलता तब तक यह वायरस उनके परिवार के चार सदस्यों की जान ले चुका था. इस आघात से मुथालिब और उनकी मां मरियम्मा को गहरा सदमा पहुंचा.

केरल एक बार फिर निपाह वायरस के संक्रमण की चपेट में है और हाल में इस बीमारी से 12 वर्षीय एक लड़के की मौत हो गई. मुथालिब ने 2018 में अपने परिवार पर आई विपदा को याद करते हुए कहा कि यह रोग उनके परिवार के लिए मौत, डर और सामाजिक बहिष्कार का कारण बना. मुथालिब ने पीटीआई-भाषा से कहा कि ऐसे कई लोग थे जो हमसे बात करने से डर रहे थे, घटना के एक साल गुजर जाने के बाद भी इस बीमारी ने हमारे परिवार को काफी प्रभावित किया. मैं किसी पर दोष नहीं मढ़ रहा. जिस डर और तनाव सब गुजरे होंगे, उन्हें मैं समझ सकता हूं.

उत्तरी कोझिकोड के गांव सूप्पीक्काडा के निवासी मुथालिब ने निपाह वायरस के संक्रमण के कारण अपने पिता, दो भाइयों और बुआ को खो दिया. केरल 2018 में पहली बार इस वायरस के संक्रमण से प्रभावित हुआ. संक्रमण से मरने वालों में शामिल, मुथालिब के भाइयों में से एक मोहम्मद साबिथ राज्य में निपाह से जान गंवाने वाले पहले व्यक्ति थे.

हालांकि, शुरू में संक्रमण के कारण साबिथ की मौत के कारणों की पहचान नहीं हो पाई थी, लेकिन परिवार के एक अन्य युवक मोहम्मद सलीह की अचानक मौत ने डॉक्टरों के बीच संदेह पैदा कर दिया और नमूनों की जांच ने राज्य में वायरल संक्रमण की मौजूदगी की पुष्टि की. अस्पताल में भर्ती मुथालिब की बुआ मरियम ने भी बाद में निपाह के कारण दम तोड़ दिया. डॉक्टरों ने शुरू में मुथालिब के 60 वर्षीय पिता मूसा मुसलियार की जान बच जाने को लेकर उम्मीद जताई थी, लेकिन बाद में उनकी हालत बिगड़ती गई और आखिरकार उन्होंने दम तोड़ दिया. परिवार की एक अन्य महिला सदस्य भी संक्रमित हो गई थीं, लेकिन एर्नाकुलम जिले के एक बड़े अस्पताल में ले जाने के बाद उनकी जान बच गई.

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