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वास्तुशास्त्र के अनुसार घर में बनी सीढिय़ा किस दिशा में और कैसे होनी चाहिए, पढ़े पूरी जानकारी

बीकानेर। जब हम घर बनाते है तो सबसे पहले वास्तुशास्त्र के अनुसार बनाने की कोशिश करते है कि किस तरह से घर को बनाया जाये जिससे की घर में कोई वास्तुदोष नहीं रहे इन सब को लेकर हमने बीकानेर शहर के प्रख्यात पंडित मदन गोपाल जोशी से सबसे पहले घर में बनने वाली सीढियों किस तरह और किस दिशा में होनी चाहिए। जोशी ने बताया कि वास्तुशास्त्र में घर की सीढिय़ों का काफी महत्व बताया गया है कहा जाता है की वास्तुअनुसार घर की सीढिय़ां यदि सही दिशा में बानी हो तो इससे घर में सुख समृद्धि आती है।भारतीय वास्तु विज्ञान के अनुसार घर की सीढिय़ों के लिए नैऋत्य यानी दक्षिण पश्चिम दिशा उत्तम होती है। इस दिशा में सीढ़ी होने पर घर प्रगति ओर अग्रसर रहता है*।वास्तुशास्त्र के अनुसार उत्तर पूर्व यानी ईशान कोण में सीढिय़ों का निर्माण नहीं करना चाहिए। इससे आर्थिक नुकसान, स्वास्थ्य की हानि, नौकरी एवं व्यवसाय में समस्याओं का सामना करना पड़ता है। इस दिशा में सीढ़ी का होना अवनति का प्रतीक माना गया है। दक्षिण पूर्व में सीढिय़ों का होना भी वास्तु के अनुसार नुकसानदेय होता है। इससे बच्चों के स्वास्थ्य उतार-चढ़ाव बना रहता है। अगर आप मकान में घुमावदार सीढिय़ाँ बनाने की प्लानिंग कर रहे हैं, तो आपके लिए यह जान लेना आवश्यक है कि सीढिय़ों का घुमाव सदैव पूर्व से दक्षिण, दक्षिण से पश्चिम, पश्चिम से उत्तर और उत्तर से पूर्व की ओर रखें। चढ़ते समय सीढिय़ाँ हमेशा बाएँ से दाईं ओर मुडऩी चाहिए। सीढिय़ों की संख्या हमेशा विषम होनी चाहिए।जो लोग खुद ग्राउंड फ्लोर पर रहते हैं और किरायेदारों को ऊपरी मंजिल पर रखते हैं उन्हें मुख्य द्वार के सामने सीढिय़ों का निर्माण नहीं करना चाहिए ऐसा करना आपके लिए मुस्किले खड़ी कर सकता हैसीढिय़ों के आरंभ और अंत में द्वार बनवाएं।सीढ़ी के नीचे जूते-चप्पल एवं घर का बेकार सामान नहीं रखें।वास्तु शास्त्र के अनुसार सीढिय़ों के नीचे रसोईघर या फिर बाथरूम नहीं बना होना चाहिए*। यह आपके घर की आर्थिक स्थिति को खराब कर सकता है.सीढिय़ों के नीचे फिश-एक्वेरियम या फिर कोई भी ऐसी वस्तु जो जल से संबंधित हो न रखें

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