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इस राशि पर शनिदेव की होने वाली है टेढ़ी नजर

नई दिल्ली।वैदिक ज्योतिष शास्त्र में शनि ग्रह का विशेष महत्व है। शनिदेव को कर्म फलदाता माना जाता है। कहते हैं कि अच्छे कर्म करने वालों को शनिदेव शुभ फल देते हैं। बुरी आदतों व संगत वाले लोगों को शनिदेव दंडित करते हैं। शनि देव मकर और कुंभ राशि के स्वामी ग्रह है। वर्तमान में धनु के साथ मकर और कुंभ दोनों राशियां शनि की साढ़े साती की चपेट में हैं। शनि की जो दशा साढ़े सात साल की होती है, उसे शनि की साढ़े साती कहा जाता है। शनि की ढाई साल की दशा को शनि ढैय्या कहते हैं।
इन राशियों पर शनि की टेढ़ी नजर-
शनि की साढ़े साती की धनु, मकर और कुंभ राशि पर चल रही है। जबकि शनि ढैय्या मिथुन और तुला राशि वालों पर चल रही है। शनि ग्रह का 24 जनवरी 2020 को राशि परिवर्तन हुआ था। इस दौरान शनि ग्रह ने मकर राशि में गोचर किया था। शनि हर ढाई साल में राशि परिवर्तन करते हैं। 2021 में शनि राशि परिवर्तन नहीं करेंगे। हालांकि 2022 में शनि मकर राशि से निकलकर कुंभ राशि में गोचर करेंगे। शनि गोचर से धनु राशि वालों को शनि की साढ़े साती से मुक्ति मिल जाएगी।
मीन राशि वालों पर शुरू होगी शनि की साढ़े साती-
29 अप्रैल 2022 को शनि राशि परिवर्तन के साथ ही मीन राशि पर शनि की साढ़े साती शुरू होगी। लेकिन धनु राशि वालों को शनि की दशा से पूरी तरह से मुक्ति नहीं मिलेगी। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, 12 जुलाई 2022 को शनि वक्री अवस्था में मकर राशि में गोचर करेंगे। जिसके चलते धनु राशि वाले फिर से शनि की चपेट में आ जाएंगे। 17 जनवरी 2023 तक शनि की साढ़े साती का असर धनु राशि वालों पर बना रहेगा। इसके बाद शनि की साढ़े साती धनु राशि वालों से पूरी तरह हट जाएगी। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, शनि की साढ़े साती से पीडि़त राशियों को शारीरिक, मानसिक और आर्थिक कष्टों का सामना करना पड़ता है।
पंचांग-पुराण से और
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, शनि सूर्य देव और छाया के पुत्र हैं। लेकिन शनि के अपने पिता सूर्य से अच्छे संबंध नहीं माने जाते हैं। इसलिए सूर्य और शनि की युति को शुभ नहीं मानते हैं। कहते हैं कि शनि देव को प्रसन्न करने के लिए हनुमान चालीसा का पाठ करना चाहिए। पीपल के पेड़ पर दीपक जलाने से भी शनिदेव के प्रसन्न होने की मान्यता है।

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