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अगर आपने वकीलों से की अभद्रता या धमकाया तो गैर जमानती अपराध होगा,एफआईआर से पहले एसो. को देनी होगी सूचना

जयपुर। 88000 वकीलों की सुरक्षा से जुड़े मुद्दे से संबंधित राजस्थान एडवोकेट प्रोटेक्शन ड्राफ्ट बिल: 2021 को सरकार मानसून सत्र में पास कर सकती है। एडवोकेट प्रोटेक्शन लागू होने पर वकीलों से अभद्रता या धमकाना संज्ञेय और गैर जमानती अपराध होगा। कोई वकील जानबूझकर कानून का दुरुपयोग और झूठी शिकायत करेगा तो तीन साल तक की सजा या पचास हजार रुपए जुर्माना या दोनों हो से दंडित किया जाएगा।
राज्य के विधि विभाग को बीसीआर ने बिल अनुमोदित कर 24 जुलाई को भेज दिया था। इधर, वकील भी मानसून सत्र में बिल पारित करवाने के लिए दी बार एसो. के अध्यक्ष अनिल चौधरी व महासचिव सतीश शर्मा और डिस्ट्रिक्ट बार अध्यक्ष डॉ. सुनील शर्मा व महासचिव गजराज सिंह राजावत के नेतृत्व में प्रदर्शन कर रहे हैं।
बीसीआर राज्य सरकार के ड्राफ्ट बिल को दे चुकी मंजूरी, मानसून सत्र में पारित हो सकता है राजस्थान एडवोकेट प्रोटेक्शन ड्राफ्ट बिल 2021
वकीलों से अभ्रदता, चोट पहुंचाना या धमकाना संज्ञेय अपराध होगा और यह गैर जमानती होगा। हालांकि कोर्ट चाहेगी तो राजीनामे व जुर्माना से निस्तारण किया जा सकेगा।
वकील द्वारा सेक्शन-3 में तय किए अपराध की शिकायत पर पुलिस को सुरक्षा व संरक्षण मुहैया कराना होगा।
कोर्ट द्वारा वकीलों से जुड़े मामले में दूसरे पक्ष पर हर्जाना लगाया जाता है तो वह राशि वकील को मिलेगी।
वकीलों पर होने वाले 3 साल तक की सजा वाले अपराध केस में ट्रायल प्रथम श्रेणी के ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट द्वारा की जाएगी। 7 साल तक की सजा वाले मामलों में केस की ट्रायल सेशन जज द्वारा होगी।
वकीलों को चोट पहुंचती है या संपत्ति क्षतिग्रस्त होती है तो कोर्ट सेक्शन 8 के तहत मुआवजा तय करेगी और इलाज पर खर्च हुई राशि भी से पुनर्भुगतान करवाई जाएगी।
वकीलों के खिलाफ हुई शिकायत की जांच डीएसपी स्तर का अफसर करेगा। संज्ञेय अपराध में वकील पर एफआईआर से पहले बार एसोसिएशन के अध्यक्ष या महासचिव को सूचना देनी होगी।
दो साल से लंबित है बिल
बीसीआर के तत्कालीन चेयरमैन चिरंजीलाल सैनी ने मई 2019 में एक्ट का ड्राफ्ट बिल भेजा था वहीं महाधिवक्ता ने भी सरकार को विचार करने को कहा था। दो साल में वकीलों की सुरक्षा से जुड़े ड्राफ्ट बिल पर चर्चाएं ही हुईं। हालांकि राज्य सरकार ने बिल को 90 दिन की कार्य योजना में रखा था। अब सरकार के रुख को देखकर लगता है कि बिल इस मानसून सत्र में पास हो जाएगा।
निष्पक्ष व निर्भीक न्याय के लिए सुरक्षा जरूरी
बीसीआर के पूर्व उपाध्यक्ष जीडी बंसल का कहना है जजों व वकीलों की सुरक्षा के लिए सिस्टम डवलप हो। कोर्ट परिसरों में अनावश्यक एंट्री पर रोक लगे। बीसीआर सदस्य डॉ. महेश शर्मा मानते हैं निष्पक्ष-निर्भीक न्याय के लिए जजों व वकीलों की सुरक्षा जरूरी है।
हाईकोर्ट बार एसो. जयपुर के पूर्व अध्यक्ष करनपाल सिंह, उपाध्यक्ष संजय महला, दी बार एसो. जयपुर के पूर्व उपाध्यक्ष पवन शर्मा व पूर्व संयुक्त सचिव संदीप सिखवाल का कहना है सरकार वकीलों से जुड़े मुद्दों पर गंभीर हो। अधिवक्ता ऋषिकेश महर्षि , विकास सोमानी, विजय पाठक , लक्ष्मीकांत शर्मा, सीसी रत्नू, , बजरंगलाल चौधरी, नरेन्द्र मीणा, महावीर सिंह किसनावत, ओपी माथुर व प्रतीक खंडेलवाल ने भी बिल पारित करने की मांग की है।

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