Gold Silver

4 को कामिका और 18 को पुत्रदा एकादशी, इन दोनों दिन व्रत और दान से दूर होती हैं परेशानियां

सावन में शिवजी ही नहीं बल्कि भगवान विष्णु की पूजा का भी बहुत महत्व है। स्कंद पुराण में बताया गया है कि सावन महीने में भगवान विष्णु की पूजा से हर तरह की परेशानियां खत्म होती हैं और मनोकामनाएं भी पूरी होती हैं। इसलिए ग्रंथों में श्रावण मास की दोनों एकादशी तिथियों पर भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी की विशेष पूजा के साथ व्रत का भी विधान बताया गया है। इन एकादशियों पर तुलसी पूजा और अन्नदान से मिलने वाला पुण्य कभी खत्म नहीं होता है।

महाभारत और भविष्य पुराण में बताया है महत्व
भविष्य पुराण और महाभारत के आश्‍वमेधिक पर्व में बताया गया है कि सावन में भगवान विष्णु की पूजा का विशेष फल मिलता है। इस महीने की दोनों एकादशियों और द्वादशी तिथि पर भगवान विष्णु की पूजा से पांच यज्ञों का फल मिलता है। सावन में लक्ष्मीजी के साथ भगवान विष्णु की पूजा करनी चाहिए। ऐसा करने से हर तरह का सुख और समृद्धि बढ़ती है।

4 अगस्त, बुधवार: कामिका एकादशी
सनातन धर्म में एकादशी का व्रत महत्वपूर्ण स्थान रखता है। प्रत्येक वर्ष चौबीस एकादशियाँ होती हैं। जब अधिकमास या मलमास आता है तब इनकी संख्या बढ़कर 26 हो जाती है। सावन महीने के कृष्णपक्ष की एकादशी का नाम कामिका है। ये तिथि सब पापों को हरनेवाली और उत्तम मानी गई है। इस दिन व्रत और विष्णु पूजा से मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं।

18 अगस्त, बुधवार: पुत्रदा एकादशी
सावन महीने में आने वाली दूसरी एकादशी को पुत्रदा या पवित्रा एकादशी भी कहा जाता है। ये श्रावण शुक्लपक्ष में आती है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा और व्रत करने से संतान प्राप्ति होती है। अगर संतान है तो उसकी लंबी उम्र और सुख-समृद्धि की कामना से ये व्रत किया जाता है। इस एकादशी पर व्रत और पूजा से जाने-अनजाने में हुए पाप खत्म हो जाते हैं।

तुलसी पूजा और दान से अक्षय पुण्य
सावन महीने की दोनों एकादशी तिथियों पर सूर्योदय से पहले उठकर नहाने के बाद भगवान विष्णु-लक्ष्मी और तुलसी पूजा के साथ व्रत का संकल्प लेते हैं। फिर सुबह और शाम, भगवान की पूजा की जाती है। इस दिन बिना पानी और बिना कुछ खाए व्रत रखा जाता है। लेकिन शारीरिक समस्या हो तो श्रद्धा के अनुसार व्रत रखकर एक समय फलाहार किया जा सकता है। इस दिन तुलसी पौधा रोपकर उसे सिंचने और उसकी पूजा करने से सुख-समृद्धि बढ़ती है। इस दिन तुलसी के पौधे का दान करने से कई जन्मों के पाप खत्म हो जाते हैं और इससे मिलने वाला पुण्य कभी खत्म नहीं होता।

कामिका एकादशी पर दीपदान से पितृ शांति
कामिका एकादशी की रात को दीपदान करना चाहिए। इससे पितर संतुष्ट होकर स्वर्गलोक में अमृतपान करते हैं। इस दिन दीपदान का महत्व बताते हुए ब्रह्माजी ने महर्षि नारद को बतया कि कामिका एकादशी पर दीपदान से ब्रह्महत्या और भ्रूण हत्या जैसे महापाप भी नष्ट हो जाते हैं। जो फल गंगा, काशी, नैमिषारण्य और पुष्कर जैसे तीर्थों में स्नान करने से मिलता है, वो ही फल इस एकादशी पर भगवान विष्णु की पूजा और व्रत से मिलता है।

Join Whatsapp 26