
एक पॉजिटिव से दूसरों में संक्रमण की आशंका बढ़ी, सरकार बोली- जहां पॉजिटिविटी रेट 10% से ज्यादा, वहां सख्ती करें






कोरोना वायरस की तीसरी लहर के मुहाने पर खड़े भारत में बढ़ती ‘R- वैल्यू’ ने चिंता की लकीरें खींच दी हैं। दिल्ली एम्स के प्रमुख डॉ. रणदीप गुलेरिया ने बताया कि R-वैल्यू का .96 से शुरू होकर 1 तक जाना चिंता का कारण है। इसका मतलब है कि एक कोविड संक्रमित व्यक्ति से संक्रमण फैलने की आशंका ज्यादा हो गई है। ऐसे में ट्रांसमिशन की चेन तोड़ने के लिए ‘टेस्ट, ट्रैक और ट्रीट’ रणनीति अपनानी होगी। उन हिस्सों में रोकथाम के लिए सख्त पॉलिसी की जरूरत है, जहां नए मामले तेजी से बढ़ रहे हैं।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने राज्यों से उन सभी जिलों में सख्त पाबंदी लगाने को कहा है, जहां 10% से ज्यादा पॉजिटिविटी रेट है। केंद्र ने कहा कि राज्य इन इलाकों में लोगों की भीड़ को रोकने के लिए असरदार कदम उठाएं। जिन 10 राज्यों में मामले बढ़ रहे हैं, उनमें केरल, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, तमिलनाडु, ओडिशा, असम, मिजोरम, मणिपुर और मेघालय शामिल हैं।
R वैल्यू से कैसे बढ़ते हैं केस?
- डेटा साइंटिस्ट्स के मुताबिक, R फैक्टर यानी रीप्रोडक्शन रेट। यह बताता है कि एक इन्फेक्टेड व्यक्ति से कितने लोग इन्फेक्ट हो रहे हैं या हो सकते हैं। अगर R फैक्टर 1.0 से अधिक है तो इसका मतलब है कि केस बढ़ रहे हैं। वहीं, R फैक्टर का 1.0 से कम होना या कम होते चले जाना केस घटने का संकेत होता है।
- इसे इस बात से भी समझ सकते हैं कि अगर 100 व्यक्ति इन्फेक्टेड हैं। वह 100 लोगों को इन्फेक्ट करते हैं तो R वैल्यू 1 होगी। पर अगर वे 80 लोगों को इन्फेक्ट कर पा रहे हैं तो यह R वैल्यू 0.80 होगी।
डेल्टा से संक्रमित व्यक्ति से पूरा परिवार असुरक्षित
डॉ. गुलेरिया ने कहा कि खसरा या चिकन पॉक्स की ‘R-वैल्यू’ 8 या उससे अधिक होती थी, इसका मतलब है कि एक व्यक्ति 8 दूसरे लोगों को संक्रमित कर सकता है। इससे पता चलता है कि कोरोना वायरस काफी संक्रामक है। हमने देखा कि दूसरी लहर के दौरान पूरा परिवार संक्रमित हो जाता था। यह चिकन पॉक्स के साथ भी होता है। इसी तरह डेल्टा से संक्रमित व्यक्ति से पूरा परिवार असुरक्षित है।


