मुख्यमंत्री पद से इस्तीफे की अटकलों के बीच तीरथ सिंह रावत ने की प्रेस कॉन्फ्रेंस; अपनी उपलब्धियां गिनाकर चलते बने
उत्तराखंड में मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने अपने इस्तीफे की अटकलों के बीच रात करीब 9.49 बजे प्रेस कॉन्फ्रेंस की। इसमें रावत ने अपने साढ़े तीन महीने के कार्यकाल की उपलब्धियां गिनाईं। इसके बाद वे प्रेस कॉन्फ्रेंस खत्म करके चले गए। पत्रकारों ने उनसे इस्तीफे के बारे में सवाल भी किया, लेकिन रावत बिना जवाब दिए चले गए।
इससे पहले अटकलें लगाई जा रही थीं कि तीरथ सिंह रावत भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा को इस्तीफा सौंप चुके हैं। हालांकि, ये भी कहा जा रहा है कि हाईकमान ने ही रावत को इस्तीफा देने के लिए कहा था। राज्य के नए मुख्यमंत्री के तौर पर धन सिंह रावत और सतपाल महाराज के नाम चर्चा में बना रहा। रावत को भाजपा आलाकमान ने बुधवार को दिल्ली तलब किया था। वहां गृह मंत्री अमित शाह और जेपी नड्डा ने उनसे मुलाकात की थी।
हफ्तेभर से तीरथ को हटाए जाने के कयास लग रहे थे
पिछले एक हफ्ते से ही ये कयास लगाए जा रहे थे कि उत्तराखंड में एक बार फिर मुख्यमंत्री का चेहरा बदल सकता है। उनके इस्तीफे के पीछे संवैधानिक मजबूरी को वजह बताया जा रहा है। वे अभी राज्य के किसी सदन के सदस्य नहीं हैं। यही बात उनके मुख्यमंत्री बने रहने के आड़े आ रही है। सूत्रों के मुताबिक, BJP हाईकमान ने उन्हें इस बारे में बता दिया था।
साढ़े तीन महीने में ही तीरथ की गद्दी पर संकट आया
मुख्यमंत्री बनने के बाद लगातार विवादित बयान देकर भाजपा की फजीहत कराने वाले तीरथ सिंह रावत की साढ़े तीन माह में ही विदाई तय हो गई है। सूत्रों के मुताबिक, पार्टी ने दिल्ली बुलाकर उनसे इस्तीफा मांग लिया और उन्होंने पार्टी अध्यक्ष जे.पी. नड्डा को इस्तीफा सौंप भी दिया है। वह शुक्रवार देर रात या शनिवार सुबह देहरादून में राज्यपाल बेबी रानी मौर्य को इस्तीफा सौंप सकते हैं।
कुंभ के दौरान तीरथ सिंह रावत ने जिस तरह से भीड़ को जमा होने की छूट दी और उसके बाद कोरोना जांच के नाम पर फर्जीवाड़े में उनके करीबियों का नाम उछला, उससे उनकी स्थिति काफी खराब हो गई। वैसे भी तीरथ जिस तरह से काम कर रहे थे, उससे भाजपा को लगने लगा था कि आगामी चुनाव में उसकी नैया पार नहीं लगने वाली। तीरथ को हालांकि भाजपा केंद्र में भी पद दे सकती है, क्योंकि वह पौड़ी गढ़वाल सीट से सांसद भी हैं।