
सीवरेज समस्या को लेकर सीएमओ ने दिया नोटिस,सात दिन में करें समस्या का हल






खुलासा न्यूज,बीकानेर। जिले के नोखा नगरपालिका को सीवरेज समस्या को लेकर सीएमओ की ओर से नोटिस जारी किया गया है। जिसमें सात दिवस के अन्दर इस समस्या का समाधान करने के निर्देश दिए है। अधिवक्ता विनायक चितलांगी व रवैल भारतीय ने इसके सन्दर्भ में नगर पालिका नोखा को राजस्थान नगरपालिका अधिनियम के तहत नोटिस भी दिया था। जिस पर मुख्यमंत्री कार्यालय ने नोखा नगरपालिका को निर्देश दिया की सीवर की समस्या का समाधान सात दिन में करें। यह निर्देश स्वायत साशन विभाग राजस्थान सरकार के पत्र क्रमांक के तहत दिनांक को दिया गया था। अधिवक्ता विनायक चितलांगी व रवैल भारतीय ने मुख्यमंत्री का धन्यवाद किया है की उन्होंने नोखवासिओ की समस्या को समझा एवं उसपर करवाई की।
समस्या : नोखा में सीवरेज (सीवर) पानी की निकासी नहीं है और वो रिहायशी इलाको में फेल रहा है जिससे वह का वातावरण / पानी आदि दूषित हो रहे है और विभिन्न तरह की बीमारियों के फैलने की आशंका बानी हुई है। इस सीवरेज (सीवर) के पानी से बहुत बदबू अति है तथा आसपास रहने या वह से निकलना भी दूभर हो गया है। इस बार के राजस्थान के वित्य बजट में इस सीवरेज (सीवर) पानी के ट्रीटमेंट के लिए फण्ड आवंटित किया गया था परन्तु नोखा नगर निगम ने उस संदर्भ में कोई ठोस कदम नहीं उठाया, अपितु इस कृत्य से नगर निगम ने पर्यावरण को दूषित करने का कार्य किया है। दूषित भूजल पीने से स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव पड़ सकते हैं। हेपेटाइटिस, डेंगू, मलेरिया और पेचिश आदि जैसे रोग इस सीवरेज (सीवर) पानी को बिना उपचार के खुले में छोडऩे से फेल सकते है अन्य दीर्घक ालिक प्रभाव जैसे कि कुछ प्रकार के कैंसर भी प्रदूषित पानी के संपर्क में आने के परिणामस्वरूप हो सकते हैं।। इस सीवरेज (सीवर) पानी जिसे नगर निगम ने यही खुले में छोड़ दिया है उससे भूजल भी दूषित हो रहा है या हो सकता है । दूषित भूजल से वन्यजीवों को भी नुकसान हो सकता है। इसमें औद्योगिक अपशिष्ट रसायन भी हो सकते हैं क्योंकि यही सीवरेज (सीवर) लाइन रिको इंडस्ट्रियल एरिया से भी जुडी हुई है। जब सीवर का पानी मिट्टी के जैविक रूप से सक्रिय हिस्से के नीचे गहरे भूमिगत स्थित होती हैं, तो सीवेज सीधे भूजल में प्रवेश कर सकता है। इसके परिणामस्वरूप क्लोराइड, सूक्ष्मजीव, ऑर्गेनिक्स, ट्रेस धातु और अन्य रसायनों की शुरूआत हो सकती है जो पीने के पानी में बीमारी और दुर्गंध या दुर्गंध पैदा कर सकते हैं। जलजनित रोगजनक, रोग पैदा करने वाले बैक्टीरिया और मानव और पशु अपशिष्ट से वायरस के रूप में, दूषित पेयजल से होने वाली बीमारी का एक प्रमुख कारण हैं। असुरक्षित पानी से फैलने वाली बीमारियों में हैजा, जिआर्डिया और टाइफाइड शामिल हैं।अभी मानसून आने वाला है और सीवर का पानी ओवरफ्लो को कर रिहायशी इलाको में फेल जायेगा और वह काफी दिनों तक पड़ा रहेग। सीवर का पानी पेड़ो की जड़ पर आक्रमण, मिट्टी की फिसलन, भूकंपीय गतिविधि, वाशआउट के कारण नींव की हानि, बाढ़ और सीवेज बैक अप, अन्य घटनाओं के बीच से हो सकता है। पर्यावरण में अनुपचारित कचरे का निपटान माइक्रोबियल के परिणामस्वरूप ऑक्सीजन की कमी का कारण बन सकता है कार्बनिक पदार्थों का अपघटन, समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र को नष्ट करना, और साथ ही, की गुणवत्ता को प्रभावित करता है पानी पीने के लिए असुरक्षित बनाता है और पेचिश, हैजा और टाइफाइड जैसी बीमारियों को जन्म दे सकता है सीवेज जो एक अपशिष्ट जल हो सकता है पीने के पानी को विभिन्न तरीकों से दूषित करते हैं। सीवर लाइनों का व्यवस्थित निरीक्षण, खतरनाक कचरे का बहिष्कार, और आधुनिक निर्माण और रखरखाव विनिर्देशों का पालन तथा सीवर के पानी की सही तरह से निकासी और सीवर लीक से भूजल स्रोतों की सुरक्षा के लिए आवश्यक निवारक उपाय हैं परन्तु नोखा नगर निगम इसको करने में विफल रही है।
अधिवक्ता ने पूर्व में सीएम को लिखा था पत्र
अधिवक्ता विनायक चितलांगी एवं रवैल भारतीय ने मुख्यमंत्री से पत्र लिखकर नोखा में सीवर की समस्या से अवगत कराया था तथा इसके साथ ही उससे होने वाले दुस्प्रभाओं जैसे की कोविद का खतरा, मलेरिआ, डेंगू इत्यादि का भी उल्लेख किया था व मानसून के आने पर सही तरीके से निकासी न होने पर लोगो के जान मॉल का नुकसान हो सकता है, सीवर लाइनों का व्यवस्थित निरीक्षण, खतरनाक कचरे का बहिष्कार और आधुनिक निर्माण और रखरखाव विनिर्देशों का पालन तथा सीवर के पानी की सही तरह से निकासी और सीवर लीक से भूजल स्रोतों की सुरक्षा के लिए आवश्यक निवारक उपाय हैं परन्तु नोखा नगर निगम इसको करने में विफल रही है, यहाँ तक की सीवर के पानी की वजह से टूबवेल के पानी में भी सफेद झाग आने लगे है और फ्लोरिड एवं अन्य विश्ले पदार्थो की मात्रा बाद गयी है चुकी भू-जल भी सीवर के पानी से दूषित हो गया है,यह भी लिखा था।


