Gold Silver

केंद्र ने परीक्षा के लिए राज्यों से दो दिन में प्रस्ताव मांगे, 1 जून को होने वाली मीटिंग में फैसला संभव

सेंट्रल बोर्ड ऑफ सेकेंडरी एजुकेशन (CBSE) के 12वीं के एग्जाम कराने के मसले पर रविवार को हुई हाई लेवल मीटिंग में कोई फैसला नहीं हो पाया। मीटिंग के बाद केंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने कहा कि सभी राज्यों से 25 मई तक प्रस्ताव मांगे गए हैं। ज्यादातर राज्य परीक्षा कराने के लिए तैयार हैं। इस पर 1 जून को आखिरी फैसला लेंगे। परीक्षा के लिए ऐलान के बाद 15 दिन का समय देंगे।

उन्होंने कहा कि मुझे भरोसा है कि हम 12वीं के एग्जाम के बारे में जल्द ही फैसला लेने की स्थिति में होंगे। इसके बारे में जानकारी देकर छात्रों और अभिभावकों की अनिश्चितता को दूर करेंगे। उन्होंने दोहराया कि छात्रों और शिक्षकों की सुरक्षा और भविष्य दोनों हमारे लिए बहुत अहम हैं। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में हुई इस मीटिंग में राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के मंत्री-अफसरों के अलावा केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी और प्रकाश जावड़ेकर भी शामिल हुए।

1 जून को फिर बैठक
शिक्षा मंत्री 1 जून को CBSE के साथ फिर बैठक करेंगे। सूत्रों के मुताबिक, रविवार को मीटिंग में CBSE ने परीक्षा के लिए दो विकल्प रखे हैं। कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया है कि 12वीं की परीक्षा होगी। इसकी तारीखें और फॉर्मेट अभी तय नहीं है। 1 जून को तारीखों का ऐलान हो सकता है। वहीं, स्टेट में 12वीं के एग्जाम कराने का फैसला उनके बोर्ड पर ही छोड़ा गया है।

सिर्फ 3 सब्जेक्ट के एग्जाम कराने पर विचार
कोरोना महामारी की दूसरी लहर के बीच CBSE 12वीं क्लास में मुख्य विषयों यानी मेजर सब्जेक्ट्स का एग्जाम लेने पर विचार कर रहा है। 12वीं में साइंस, कॉमर्स और आर्ट्स के केवल 3 मुख्य विषयों की ही परीक्षा लेने पर विचार किया जा रहा है। बाकी सब्जेक्ट्स में मुख्य विषयों पर मिले नंबर्स के आधार पर मार्किंग का फॉर्मूला भी बन सकता है।

यह भी कहा गया है कि जो स्टूडेंट कोरोना की वजह से एग्जाम नहीं दे पाते हैं, उन्हें एक और मौका मिलना चाहिए। सरकार ने कोरोना की दूसरी लहर के चलते 12वीं बोर्ड का एग्जाम टाल दिया था।

दिल्ली सरकार एग्जाम कराने के पक्ष में नहीं
दिल्ली के उप-मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने बताया कि केंद्र ने एग्जाम के लिए दो प्रपोजल दिए हैं। एक प्रस्ताव एग्जाम सेंटर में चुनिंदा सब्जेक्ट के पेपर कराने का है। वहीं, दूसरा प्रस्ताव एग्जाम का पैटर्न बदलने और उन्हें डेढ़ घंटे में स्कूल में ही कराने का है। उन्होंने कहा कि दिल्ली सरकार 12वीं की एग्जाम कराने के पक्ष में नहीं है। हम इसके बारे में केंद्र को लिखेंगे।

सिसोदिया ने कहा कि स्टूडेंट्स को वैक्सीन लगाए बगैर 12वीं की परीक्षा कराना बहुत बड़ी भूल साबित हो सकता है। 12वीं के 95% स्टूडेंट्स की उम्र साढ़े 17 साल से ज्यादा है। ऐसे में हमें एक्सपर्ट्स से बात करनी चाहिए कि क्या उन्हें कोवीशील्ड या कोवैक्सिन दी जा सकती है। केंद्र को स्टूडेंट्स के वैक्सीनेशन के लिए फाइजर से भी बात करनी चाहिए।

12वीं के एग्जाम पर एक्सपर्ट कमेंट
CBSE के पूर्व चेयरमैन अशोक गांगुली ने भास्कर से कहा- 12वीं की एग्जाम को लेकर हड़बड़ी में कोई फैसला नहीं लेना चाहिए। यह एग्जाम बच्चों के भविष्य की नींव रखती है। कुछ एक्सपर्ट की एक समिति बनाकर अंतिम फैसला लेना चाहिए। संक्रमण के मामले अब कम होने लगे हैं। हमें मेडिकल एक्सपर्ट के भी सुझाव लेने चाहिए। वहीं, मेजर सब्जेक्ट के आधार पर माइनर सब्जेक्ट की मार्किंग बिल्कुल ठीक नहीं है। अगर जुलाई में स्थिति नहीं सुधरती है तो बेहतर क्रिएटिव मॉडल के आधार पर बच्चों का मूल्यांकन करना चाहिए।

Join Whatsapp 26