
त्रिस्पर्शी एकादशी व्रत से ब्रह्महत्या जैसे पाप से भी मुक्ति







दिनांक :- 23मई,2021 रविवार को सूर्योदय प्रातः 05:43 पर होगा तथा 24तारीख को भी प्रातः05:43 पर होगा। एकादशी 23को सुबह 06:43तक तत्पश्चात द्वादशी मध्यरात्रि बाद दूसरे दिन के सूर्योदय से पूर्व 03:39 पर समाप्त होकर त्रयोदशी आ जावेगी यानी उस दिन एकादशी, द्वादशी व त्रयोदशी एक अहोरात्र यानी एक सूर्योदय से दूसरे दिन के सूर्योदय के मध्य होतो उसे त्रिस्पर्शा तिथि कहते है। 23 मई,2021 रविवार को यही योग बन रहा है। तो यह सबसे बड़ी एकादशी है।त्रिस्पृशा का महायोग हजार एकादशियों का फल देनेवाला व्रत है ।
23 मई,2021 रविवार को त्रिस्पृशा-उत्पत्ति एकादशी है ।
एक ‘त्रिस्पृशा एकादशी’ के उपवास से एक हजार एकादशी व्रतों का फल प्राप्त होता है । इस एकादशी को रात में जागरण करनेवाला भगवान विष्णु के स्वरूप में लीन हो जाता है ।
‘पद्म पुराण’ में आता है कि देवर्षि नारदजी ने भगवान शिवजी से कहा : ‘‘सर्वेश्वर ! आप त्रिस्पृशा नामक व्रत का वर्णन कीजिये, जिसे सुनकर लोग कर्मबंधन से मुक्त हो जावे।
“महादेवजी : ‘‘विद्वान् ! देवाधिदेव भगवान ने मोक्षप्राप्ति के लिए इस व्रत की सृष्टि की है, इसीलिए इसे ‘वैष्णवी तिथि कहते हैं । भगवान माधव ने गंगाजी के पापमुक्ति के बारे में पूछने पर बताया था : ‘‘जब एक ही दिन एकादशी, द्वादशी तथा रात्रि के अंतिम प्रहर में त्रयोदशी भी हो तो उसे ‘त्रिस्पृशा’ समझना चाहिए । यह तिथि धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष देनेवाली तथा सौ करोड तीर्थों से भी अधिक महत्त्वपूर्ण है । इस दिन भगवान के साथ सदगुरु की पूजा करनी चाहिए
यह व्रत सम्पूर्ण पापो का शमन करनेवाला, महान दुःखों का विनाशक और सम्पूर्ण कामनाओं का दाता है । इस त्रिस्पृशा के उपवास से ब्रह्महत्या जैसे महापाप भी नष्ट हो जाते हैं । हजार अश्वमेघ और सौ वाजपेय यज्ञों का फल मिलता है । यह व्रत करनेवाला पुरुष पितृकुल, मातृकुल तथा पत्नीकुल के सहित विष्णुलोक में प्रतिष्ठित होता है । इस दिन द्वादशाक्षर मंत्र (ॐ नमो भगवते वासुदेवाय) का अधिक से अधिक जप करना चाहिए । जिसने इसका व्रत कर लिया उसने सम्पूर्ण व्रतों का अनुष्ठान कर लिया । इसका व्रत करने से व्यक्ति को एक हजार एकादशी का व्रत करने का पवित्र फल प्राप्त होता है। जब मनुष्य 40 वर्षों तक एकादशी का व्रत करता है, तो उसे एक हजार एकादशियां प्राप्त होती हैं। यानी एक ही दिन में 40 साल की योग्यता हासिल हो जाती है।
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अतः सभी से आग्रह है कि इस व्रत को ज्यादा से ज्यादा लोग कर पुण्यलाभ प्राप्त करे ।
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भैरव रतन बोहरा, जोशीवाड़ा,बीकानेर ।


