
डॉक्टर द्वारा तनाव में आकर हाथ की नसे काटने के बाद एसओजी फूंक-फूंक कर रख रही है पैर






बीकानेर। बीकानेर में रेमडेसिविर इंजेक्शन की कालाबाजारी के मामले में स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप स्ह्रत्र डॉक्टर्स को पूछताछ के लिए नहीं बुला रहे हैं। दरअसल, एक डॉक्टर्स मानसिक तनाव में आकर अपने हाथ की नसें काटने की घटना के बाद से पुलिस और स्ह्रत्र दोनों दबाव में है।
जानकारी के अनुसार कुछ डॉक्टर्स को स्ह्रत्र ने ई-मेल करके यह पूछा है कि क्या उनको रेमडेसिविर इंजेक्शन का उपयोग करने का अधिकार है। अगर है तो इस बारे में जारी परिपत्र या अन्य कागजात भी उपलब्ध करावें। अब डॉक्टर वो कागजात ढूंढ रहे हैं, जिनके तहत उन्हें रेमडेसिविर इंजेक्शन लगाने की इजाजत है। डॉक्टर्स को कहना है कि जब उन्होंने पढ़ाई ही इसकी की है और राजस्थान मेडिकल कौंसिल ने उनका रजिस्ट्रेशन किया है तो सभी तरह की दवाओं का उपयोग करने का अधिकार भी एक साथ ही मिला है। किसी इंजेक्शन विशेष के लिए अलग से कोई कागजात जारी नहीं होते।
दरअसल, स्ह्रत्र का सवाल इसलिए बन रहा है क्योंकि कोविड के इलाज के लिए सभी को छूट नहीं थी। इसके लिए सरकारी अस्पताल के अलावा प्राइवेट हॉस्पिटल्स को भी बकायदा छूट दी गई थी। ऐसे में स्ह्रत्र ये जानना चाहता है कि जिस डॉक्टर ने रेमडेसिविर इंजेक्शन मंगवाया था, उन्हें कोविड इलाज की भी छूट थी क्या? बीकानेर में छह प्राइवेट हॉस्पिटल्स को ही कोविड डेडिकेटेड हॉस्पिटल घोषित किया गया था। यहां के डॉक्टर्स भी अस्पताल में इलाज कर सकते थे, ना कि अपने घर पर।
पहली लहर में हुआ था ऐसा
दरअसल, कोरोना की पहली लहर में कई डॉक्टर्स ने अपने घर पर या किसी हॉल में कोरोना रोगियों को भर्ती करके उनका इलाज शुरू कर दिया था। इन्हें निमोनिया का रोगी बताकर रेमडेसिविर इंजेक्शन लगाए गए। दूसरी लहर के दौरान हुई इस कार्रवाई में भी ऐसे डॉक्टर्स के नाम आये हैं। स्ह्रत्र की जांच दूसरी लहर में हुई बिक्री पर ही आधारित है। पहली लहर में आये रेमडेसिविर इंजेक्शन का रिकार्ड नहीं लिया जा रहा है।


