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रेजीडेंट और इंटर्न डॉक्टर्स ने किया कार्य बहिष्कार,अस्पतालों फूली सांसे

खुलासा न्यूज,बीकानेर। कोरोना जैसी महामारी से निपटने में सबसे आगे खड़े प्रदेश के रेजीडेंट और इंटर्न डॉक्टर्स ने शुक्रवार को दो घंटे कार्य बहिष्कार किया तो अस्पतालों की सांस फूलने लगी। कोरोना के इस दौर में रेजीडेंट डॉक्टर्स ने कोविड वार्ड का कार्य बहिष्कार करने से पहले सरकार को दो बार चेतावनी दी। तय कार्यक्रम के मुताबिक राजस्थान में बुधवार से कोविड वार्ड का कार्य बहिष्कार होना था। इसे टाल दिया गया क्योंकि सरकार ने मौखिक आश्वासन दिया था। गुरुवार को सरकार अपने वादे से मुकर गई तो शुक्रवार को दो घंटे कोविड वार्ड से कार्य बहिष्कार किया गया।
आज बिगड़े हालात
बीकानेर के सरदार पटेल मेडिकल कॉलेज के रेजीडेंट व इंटर्न डॉक्टर्स के नहीं होने से पीबीएम अस्पताल के सभी वार्ड सुबह आठ से दस बजे तक भगवान भरोसे ही रहे। कुछ सीनियर डॉक्टर वार्ड में पहुंचे लेकिन सभी रोगियों तक नहीं जा सके। आमतौर पर सुबह रेजीडेंट डॉक्टर्स ही इनकी फाइल अपडेट करते हैं। किस रोगी को क्या दवा दी गई, ऑक्सीजन सेचुरेशन क्या रहा, अप-डाउन क्या रहा? यह सब रेजीडेंट डॉक्टर्स ही बताते हैं। उसी आधार पर सीनियर डॉक्टर इलाज को आगे बढ़ाते हैं। कोरोना वार्ड में तो रेजीडेंट डॉक्टर ही सारी व्यवस्था संभाले हुए हैं।
हमारे फैफड़े लोहे के नहीं
क्या कहते हैं डॉक्टर्सरेजीडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन की बीकानेर शाखा के अध्यक्ष डॉ. महिपाल नेहरा का कहना है कि हमने दो दिन पहले ही कोविड वार्ड के कार्य बहिष्कार की चेतावनी दी थी लेकिन सरकार ने आश्वासन दिया कि हम आपकी मांगें मान लेंगे। तब कोविड वार्ड का कार्य बहिष्कार टाल दिया गया। दो दिन बाद भी सरकार ने कुछ नहीं किया। मौखिक आश्वासन देकर भी मना कर दिया। डॉ. नेहरा ने कहा हमारा फैफड़ा लोहे का बना हुआ नहीं है। हमारा भी परिवार है। जिसके लिए बेहतर वेतन की जरूरत है। डेढ़ साल से रेजीडेंट व इंटर्न डॉक्टर वायरस के साथ अपनी जिंदगी दाव पर लगा रहे हैं।
मनरेगा मजदूरों से भी कम वेतन
वहीं हकीकत यह है कि इन दोनों डॉक्टर्स को मिल रहे वेतन से इनके परिवार को कोई राहत नहीं मिल रही। राज्य में इंटर्न डॉक्टर्स को तो मनरेगा मजदूरों से भी कम वेतन मिल रहा है जबकि रेजीडेंट डॉक्टर्स को राज्य के अन्य जिलों की तुलना में करीब आधा वेतन मिल रहा है।दरअसल, राजस्थान में रेजीडेंट डॉक्टर्स को मिलने वाला वेतन अन्य राज्यों की तुलना में कम है। यह समस्या मुख्य रूप से उन रेजीडेंट डॉक्टर्स के साथ है जो एमबीबीएस करने के साथ ही पीजी में प्रवेश ले चुके हैं। वहीं जो इनसर्विस कोटे से आये हैं, उन्हें पूरा वेतन मिल रहा है। राजस्थान में फ्रेश रेजीडेंट्स को लास्ट इयर में भी 57890 रुपए मिल रहे हैं जबकि हरियाणा में 77 हजार, आसाम में 72 हजार, मणिपुर में 79 हजार, ओडिसा में 71 हजार, उत्तरप्रदेश में 84 हजार, झारखंड में 85 हजार रुपए, मेघालय में 98 हजार रुपए, बिहार में 84 हजार रुपए मिल रहे हैं।
इन कॉलेज में एक लाख तक वेतन
देश के तीन मेडिकल कॉलेज में पीजी करने वाले रेजीडेंट डॉक्टर्स को एक लाख रुपए से ज्यादा वेतन मासिक मिल रहा है। इनमें वर्द्धमान मेडिकल कॉलेज नई दिल्ली, राम मनोहर लोहिया मेडिकल कॉलेज नई दिल्ली, हिन्दू राव मेडिकल कॉलेज नई दिल्ली, श्वस्ढ्ढ मेडिकल कॉलेज नई दिल्ली के साथ ही मेघालय सरकार की मेडिकल कॉलेज में एक लाख रुपए तक वेतन दिया जा रहा है। राजस्थान में पीजी कर रहे स्टूडेंट्स से इन राज्यों को करीब दो गुना वेतन मिल रहा है।
सीनियर रेजीडेंट को तीन हजार ज्यादा
पीजी कर रहे इन रेजीडेंट डॉक्टर्स को पहले साल के मुकाबले दूसरे साल वेतन महज तीन हजार रुपए अधिक मिल रहे हैं। वर्तमान में पहले वर्ष 52 हजार, दूसरे साल 55 हजार और अंतिम वर्ष करीब 58 हजार रुपए मिल रहे हैं।
इंटर्न डॉक्टर को 233 रुपए रोज
राजस्थान में रेजीडेंट्स के साथ इंटर्न डॉक्टर्स भी हड़ताल की तैयारी में है। साढ़े चार साल एमबीबीएस करने के बाद इन डॉक्टर्स को वेतन नहीं बल्कि स्टाईपेंड दिया जाता है। वर्तमान में महीने का सिर्फ सात हजार रुपए दिया जा रहा है जो औसतन हर रोज करीब 233 रुपए है। सरकार ने दो साल पहले इन डॉक्टर्स की एसोसिएशन के साथ 14 हजार रुपए व डीए देने का वादा किया था लेकिन आज तक ये वादा पूरा नहीं हो पाया।

किस राज्य में इंटर्न को कितना स्टाइपेंड
सेंट्रल यूनिवर्सिटी 23000
आसाम 30000
उड़ीसा 20000
त्रिपुरा 18000
चंडीगढ़ 17000
हिमाचल प्रदेश 17000
वेस्ट बंगाल 16590
पंजाब 15000
बिहार 15000
गुजरात 13000
जम्मू कश्मीर 12300
महाराष्ट्र 11000
उत्तरप्रदेश 7500
हरियाणा 24000
राजस्थान 7000

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