
इंजेक्शन कालाबाजारी के चलते अब प्रशानिक अधिकारी घर पर पुलिस का छापा






श्रीगंगानगर। रेमडेसिविर इंजेक्शनों की कालाबाजारी के मामले में जवाहरनगर पुलिस ने जिला अस्पताल के प्रशासनिक अधिकारी धीरज गहलोत के घर रामदेव कॉलोनी में छापामारी की। उसके बेटे राहुल गहलोत का नाम इस तस्करी के मामले में साफ होने के बाद अब पुलिस उसकी गिरफ्तारी में जुट गई है।
जांच के दौरान आरोपी राहुल घर से गायब मिला। उसे पकडऩे को अब पुलिस ने उसकी तलाश तेज कर दी है। बताया जा रहा है कि इस मामले में पुलिस के पास उसके खिलाफ पहले दिन से ही पर्याप्त साक्ष्य मौजूद हैं। इधर इस मामले में गिरफ्तार किए गए शिवांगी फार्मा के संचालक के बेटे लक्ष्य धूडिय़ा के परिजनों ने डीजीपी को पत्र भेजकर इस मामले में जिला पुलिस पर राजनैतिक दबाव में जिला अस्पताल के प्रशासनिक अधिकारी धीरज गहलोत और उसके बेटे राहुल गहलोत की गिरफ्तारी नहीं करने के आरोप लगाए हैं।
उन्होंने अपने बेटे लक्ष्य को भी इस मामले में फंसाने के इन्हीं पिता-पुत्र पर आरोप लगाए हैं। इस संबंध में उन्होंने तीन दिन पहले एसपी राजन दुष्यंत से भी मिलकर तत्काल गिरफ्तारी और अपने बेटे को बेकसूर बताते हुए छोडऩे की मांग की थी। अब धूडिय़ा परिवार इस मामले की जांच एसओजी के करवाने की मांग कर रहा है।
लक्ष्य की मां स्नेह धूडिय़ा, बहन शिवांगी और परिवार के सदस्य ललित कुमार ने बताया कि उनके बेटे की करीब एक माह पहले ही धीरज गहलोत के बेटे राहुल से दोस्ती हुई थी। राहुल और धीरज इस बीच करीब तीन-चार बार उनकी दुकान पर भी आए थे। लक्ष्य की इस मामले में कहीं कोई भूमिका नहीं लेकिन धीरज गहलोत ने उनके बच्चे को योजनाबद्ध तरीके से फंसाकर अपने बेटे राहुल को बचा लिया। पुलिस उनकी दुकान पर आई थी और पूछताछ करने को लक्ष्य को साथ लेकर चली गई। उसके बाद धीरज गहलोत और उसका बेटा राहुल हमारी दुकान पर आए और कहा कि उनके बेटे को कोई दिक्कत नहीं आने दी जाएगी। डेढ़ लाख रुपए का इंतजाम करके रखो। रातभर इंतजार करते रहे।
अगली सुबह फिर दोनों घर आए और कहा कि लक्ष्य का नाम इस मामले में नहीं आएगा। इसके बावजूद उसे गिरफ्तार कर लिया। उन्होंने आरोप लगाए कि इस मामले में पुलिस राजनीतिक दबाव में है और एक सप्ताह बाद भी आगे के आरोपियों को गिरफ्तार नहीं किया है जबकि पहले दिन से ही साफ हो गया था कि राहुल गहलोत और धीरज गहलोत ने ही यह इंजेक्शन तस्करी किए थे। इधर पुलिस सूत्रों ने बताया कि अब तक की जांच में सामने आया है कि राहुल गहलोत ने शिवांगी फार्मा के संचालक के बेटे शंकर कॉलोनी निवासी लक्ष्य धूडिय़ा और भूप कॉलोनी निवासी एमआर भरत सचदेवा को 28 रेमडेसिविर इंजेक्शन बेचे थे। इस बात को खुद लक्ष्य धूडिय़ा और भरत सचदेवा ने स्वीकार किया है। हालांकि भरत सचदेवा के कोरोना पॉजिटिव होने के कारण उसे गिरफ्तार नहीं किया गया है लेकिन उसे निगरानी में ले लिया गया है। पुलिस को संदेह है कि राहुल गहलोत के गिरफ्तार होने के बाद रेमडेसिविर इंजेक्शनों की कालाबाजारी का आंकड़ा बढ़ भी सकता है।
जवाहरनगर एसएचओ विश्वजीतसिंह ने इस मामले में नया और चौंकाने वाला खुलासा किया है। उन्होंने बताया कि जिन दो रेमडेसिविर इंजेक्शन का पुलिस ने 27-27 हजार में सौदा किया था, वे जिला अस्पताल को सप्लाई हुए इंजेक्शनों में से नहीं हैं। उन्होंने साफ करते हुए कहा कि इन दोनों इंजेक्शन पर बैच नंबर साफ किए गए थे जबकि मेन्यूफैक्चरिंग और एक्सपायरी डेट अंकित है। इस आधार पर जिला अस्पताल से रिकॉर्ड जुटाया गया तो साफ हुआ कि जिला अस्पताल को इस मेन्यूफैक्चरिंग और एक्सपायरी डेट के इंजेक्शन अभी तक सप्लाई ही नहीं किए गए हैं। अब इस बात से पर्दा उठना बाकी है कि ये इंजेक्शन आए कहां से? आरोपी राहुल गहलोत अभी तक की जांच में मास्टर माइंड है। उसके गिरफ्तार होने के बाद साफ होगा कि वह उक्त इंजेक्शन कहां से लेकर आया था। उसको पकडऩे को छापेमारी शुरू कर दी है। 13 मई को जिस दिन यह मुकदमा दर्ज किया था, उसी दिन आरोपी के घर पुलिस गई थी लेकिन आरोपी उसी दिन से गायब है। बुधवार को भी सूचना मिली थी कि वह घर पर है। इसलिए टीम भेजी गई लेकिन सर्च में वह घर पर नहीं मिला।


