
कोरोना अपडेट्स : पानी में भी कोरोना वायरस, पर अभी परेशानी की बात नहीं






हैदराबाद की हुसैन सागर और कुछ अन्य झीलों में कोरोनावायरस के जेनेटिक मैटेरियल मिले हैं। एक स्टडी में ये बात सामने आई है, लेकिन इसमें यह भी कहा या है कि इनसे संक्रमण आगे नहीं फैला। हुसैन सागर के अलावा नाचारम की पेद्दा चेरुवु और निजाम तालाब में भी वायरस के मैटेरियल मिले हैं। स्टडी में पता चला कि पानी में ये जेनेटिक मैटेरियल इसी साल फरवरी में बढ़ना शुरू हुए, जब देश में महामारी की दूसरी लहर की शुरुआत हुई।
काउंसिल ऑफ साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रियल रिसर्च, इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ केमिकल टेक्नोलॉजी, सेंटर फॉर सेलुलर एंड मॉलीक्यूलर बायोलॉजी और एकेडमी ऑफ साइंटिफिक एंड इनोवेटिव रिसर्च ने मिलकर ये स्टडी की है। 7 महीनों के दौरान हुई इस स्टडी में पहली और दूसरी लहर को कवर किया गया है।
पानी में मिले मैटेरियल से अगली लहर का अनुमान लगाना मुमकिन
स्टडी के मुताबिक, आबादी से जो अनट्रीटेड और गंदा पानी आया, उसी की वजह से कोरोना वायरस के जेनेटिक मैटेरियल झीलों और तालाबों में फैले। हालांकि, इस जैनेटिक मैटेरियल से कोरोनासंक्रमण आगे नहीं फैला पर इसे मौजूदा लहर के प्रभाव और आने वाली लहर के अनुमान की स्टडी के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है।
दूसरे देशों में भी स्टडी हुई, पर पानी में मैटेरियल से संक्रमण के सबूत नहीं
CCMB के निदेशक ने न्यूज वेबसाइट से बातचीत में बताया की इसी तरह की कई स्टडी दुनिया के दूसरे देशों में भी की गई है। इसमें पानी में वायरस की मौजूदगी का पता लगाने की कोशिश की गई है। उन्होंने बताया कि पानी में अब तक जो जेनेटिक मैटेरियल मिला है, वो वास्तविक वायरस नहीं है। ऐसे में पानी के जरिए चेहरे या मुंह से इंफेक्शन फैलने की गुंजाइश कम है।
हालांकि, उन्होंने ये भी कहा कि इंसानी गतिविधियों और गंदे पानी के चलते पानी में जो जेनेटिक मैटेरियल मिल रहा है, उसके बढ़ने या घटने पर नजर रखकर हम आने वाली लहरों के बारे में अनुमान लगा सकते हैं। स्टडी के लिए हम देश के दूसरे शहरों में भी इसी तरह का निगरानी तंत्र विकसित करने की कोशिश कर रहे हैं।
इसलिए भी अहम है यह स्डटी
शहरी इलाकों के अलावा कस्बाई और ग्रामीण इलाकों की झीलों में भी इन टीमों ने स्टडी की है और इन झीलों में कोरोनावायरस के जींस नहीं मिले। ऐसे में ये माना जा सकता है कि शहरी इलाकों की झीलों और तालाबों की स्टडी करके संक्रमण के बारे में जानकारी हासिल की जा सकती है। ऐसे में उस समुदाय में संक्रमण के हालात का अंदाजा भी लगाया जा सकता है, जो इन तालाबों के किनारे बसे हैं।


