
राजस्थान में CM के घर तक पहुंचा कोरोना: अशोक गहलोत की पत्नी सुनीता पॉजिटिव





राजस्थान में कोरोना मुख्यमंत्री अशोक गहलाेत के घर तक पहुंच गया है। सीएम गहलोत की पत्नी सुनीता गहलोत कोरोना पॉजिटिव हैं। गहलोत ने ट्वीट कर यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि प्रोटोकॉल के अनुसार होम आइसोलेशन में उनका ट्रीटमेंट शुरू हो गया है। अब मैं एहतियातन आइसोलेशन में रहकर चिकित्सकों एवं अधिकारियों के साथ शाम 8.30 बजे रोजाना होने वाली कोविड समीक्षा बैठक लूंगा।
वहीं दूसरी ओर ऑक्सीजन और बेड की कमी के चलते हालात बेकाबू हो रहे हैं। ऑक्सीजन की कमी के चलते जयपुर, बीकानेर, कोटा में 10 मरीजों ने दम तोड़ दिया। जयपुर के एक निजी अस्पताल में मंगलवार रात ऑक्सीजन सिलेंडर खत्म होने से 4 मरीजों की मौत हो गई। कोटा और बीकानेर में भी ऑक्सीजन के कमी के कारण 6 मरीजों की जान गई।
राज्य में एक सप्ताह के अंदर 1.07 लाख से ज्यादा केस सामने आए हैं। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, 599 लोगों की मौत हुई है। केसों की संख्या तेजी से बढ़ने की वजह से अस्पतालों में बेड की कमी भी बढ़ती जा रही है।
पहली बार 24 घंटे में गई 121 मरीजों की जान
राजस्थान में कोरोना के पिछले 24 घंटे के अंदर 16 हजार 89 केस मिले हैं। पहली बार 121 मरीजों की एक दिन में मौत हुई है। 27 दिनों में कोरोना के 2.13 लाख नए केस मिल चुके हैं। राजधानी जयपुर में रिकॉर्ड 3 हजार 289 संक्रमित मिले और 21 मरीजों की मौत हुई है।
जयपुर में अस्पताल और श्मशान दोनों में वेटिंग
जयपुर के आदर्श नगर श्मशान घाट की स्थिति ये है कि कोरोना संक्रमितों का अंतिम संस्कार करने के लिए जगह नहीं बची। शव लेकर पहुंची एंबुलेंस को इंतजार करना पड़ रहा है। जयपुर में कोरोना के बढ़ते केसों के कारण सभी अस्पतालों में बेड्स फुल हो गए। प्रदेश के सबसे बड़े कोविड केयर अस्पताल RUHS में मंगलवार को बेड्स उपलब्ध नहीं होने के बाद लोगों रोकने के लिए गेट बंद करना पड़ गया।
लापरवाही ने ली 4 की जान: जयपुर में मंगलवार देर रात किटी कोनिक्स खंडाका अस्पताल में 4 मरीजों ने दम तोड़ दिया। बताया जा रहा है कि अस्पताल में ऑक्सीजन का बैकअप भी था, लेकिन अस्पताल प्रशासन की लापरवाही के कारण ऑक्सीजन सिलेंडर नहीं बदल पाए। घटना के बाद जिम्मेदार अस्पताल छोड़कर भाग गए।
इस बीच, एक राहत पहुंचाने वाली खबर भी है। जयपुर में 500 से ज्यादा बेड्स का कोविड केयर सेंटर शुरू हो गया है। यहां ऐसे मरीजों का इलाज होगा, जिनमें लक्षण कम या हल्के हैं और जिन्हें ऑक्सीजन सपोर्ट की जरूरत कम है।

