अभिव्यक्ति की स्वंत्रतता पर संकट-डॉ.कल्ला - Khulasa Online अभिव्यक्ति की स्वंत्रतता पर संकट-डॉ.कल्ला - Khulasa Online

अभिव्यक्ति की स्वंत्रतता पर संकट-डॉ.कल्ला

बीकानेर। ऊर्जा एवं जनस्वास्थ्य अभियांत्रिकी मंत्री डॉ. बी.डी.कल्ला ने पत्रकारिता में अभिव्यक्ति की स्वंत्रतता पर संकट पर चिन्ता व्यक्त करते हुए कहा कि पत्रकार विचारों की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का हामी होता है। ऐसे में उसकी अभिव्यक्ति की आजादी को दबाना लोकतंत्र को खतरे में डालने के समान है।डॉ.कल्ला रविवार को राजस्थान पशु चिकित्सा एवं पशु विज्ञान विश्वविद्यालय के सभागार में पत्रकार सुरक्षा कानून सहित पत्रकारों की मांगों का निस्तारण करवाने के उद्देश्य से आईएफडब्लूजे की ओर से सम्भाग स्तरीय पत्रकार सम्मेलन में मुख्य अतिथि के रूप में बोल रहे थे।
उन्होंने कहा कि कुछ सालों में इस देश में 4 करोड़ लोग बेरोजगार हो गए है। इन विषयों पर पत्रकार लिखना चाहता है, लेकिन उनकी लेखनी को दबाया जा रहा है। ऐसी परिस्थिति में इस सम्मेलन का होना और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर मंथन करना सार्थक साबित होगा। उन्होंने कहा कि विचारों की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमला हो रहा है। आप किसी के विचारों से सहमत है या असहमत लेकि न विचारों की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का स्वागत होना चाहिए। उन्होंने कहा कि यह तभी होगा जब लोकतंत्र जीवित रहेगा,नहीं तो लोकतंत्र को खतरे हो जायेगा। इस लिए ऐसे समय में यह सम्मेलन होना और पत्रकारों की सुरक्षा के संबंध में मंथन होना स्वागत योग्य है। डॉ.कल्ला ने पत्रकारों पर हो रहे हमलों पर चिन्ता व्यक्त करते हुए कहा कि आज पत्रकारों की सुरक्षा खतरे में है, जो भी पत्रकार निर्भीक्ता से लिखता है, उसे अपनी सुरक्षा स्वयं करनी पड़ रही है। उन्होंने कहा कि राजस्थान सरकार में पत्रकारों की सुरक्षा के प्रति सजग है। सम्मेलन में पत्रकारों की सुरक्षा को लेकर जो चिन्ता व्यक्त की है, वे मुख्यमंत्री के समक्ष रखेंगे। पत्रकारों की सुरक्षा के लिए जो भी किया जाना आवश्यक होगा, राज्य सरकार करेगी।डॉ.कल्ला ने कहा कि पत्रकार समाज और सरकार के बीच एक सेतू का काम करता है, सरकार की जितनी भी नीतियां है, उन नीतियों को जनता तक पहुंचाते हैं और जनता जो भी महसूस करती है,उनक ी जो भी समस्या, कठिनाईयां है, उसे अपनी लेखनी के माध्यम से सरकार तक पहुंचाते हैं। उन्होंने पत्रकारिता में संक्षिप्तीकरण, विषयों की जानकारी और खोजपरक पत्रकारिता के बारे में प्रकाश डाला।ऊर्जा मंत्री ने एनजीओ संजीवनी के द्वारा कैंसर पीडि़त लोगों की सेवाओं की सराहना की और कहा कि भारतीय पौराणिक गं्रथों में सभी रोगों के उपचार के बारे में बहुत कुछ लिखा हैं। उन्होंने इन ग्रंथों में लिखी बातों पर शोध करने की आवश्यकता जताई और कहा कि उनमें बताएं गए योग, क्रियायोग आदि का पालन किया जाए तो रोग होंगे ही नहीं। उन्होंने कहा कि पौराणिक ग्रंथों में जो औषधि बताई गई है, उन पर शोध किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि सुबह भरपूर पानी पीने, दोपहर में छाछ पीने और रात को दूध पीने से रोग नहीं होते। उन्होंने कहा कि नियमित रूप से त्रि-फला का सेवन करने और प्राणायाम करने पर बल दिया।इस अवसर विशिष्ट अतिथि जिला प्रमुख सुशीला सींवर ने कहा कि सम्मेलन के दौरान जिन समस्याओं को उठाया गया है, उन्हें वे और यहां से चुने हुए जनप्रतिनिधि प्रमुखता से सरकार के सामने रखेंगे। साथ ही पत्रकार सुरक्षा कानून के लिये मुख्यमंत्री के लिये व्यक्तिगत प्रयास किये जाएंगे।सम्मेलन की अध्यक्षता करते हुए आईएफडब्ल्यूजे के प्रदेश अध्यक्ष उपेंद्र सिंह राठौड़ ने की। प्रदेशाध्यक्ष राठौर ने कहा कि वर्तमान परिस्थितियों को देखते हुए पत्रकारों की सुरक्षा चिंता का विषय बनती जा रही है। सरकारों को पत्रकारों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए जल्द ही पत्रकार सुरक्षा क ानून को लागू करना चाहिए। जिससे पत्रकार निर्भिक होकर निष्ठापूर्वक अपना काम कर सकें। उन्होंने ने कहा कि इस दौर को पत्रकारिता के लिए सबसे विषम परिस्थिति कहा जाए तो भी अतिशयोक्ति नहीं होगा और यदि इन सब परिस्थितियों को देखते हुए भी हम एकजुट नहीं हो पाते हैं तो यह हमारी स्वयं की ही कमजोरी और निर्णय लेने की क्षमता का ही दोष होगा। उन्होंने आव्हान किया की यही समय है जब हम संगठित होकर इन सबका मुकाबला कर पाएंगे। इसलिए हम अपने संगठन के साथ खुद भी मजबूत बनाएं। विशिष्ट अतिथि भारतीय लेखा सेवा अधिकारी रूबी अहलूवालिया ने कैंसर जागरूकता के लिये पत्रकार जगत को आगे आने की पहल करते हुए आईएफ डब्लूजे के सहयोग के लिये साधूवाद बताया। जिलाध्यक्ष जयनारायण बिस्सा ने पत्रकारों की समस्याओं का जिक्र करते हुए कहा कि हमें अपनी समस्याओं का समाधान करने के लिये एकजुटता से प्रयास करने होगें। पत्रकारों की सुरक्षा के लिये आईएफडब्लूजे की ओर से लगातार प्रयास किये जा रहे है। उन्होने कहा कि पत्रक ारों को संगठित होकर अपने अधिकारों को लेकर आवाज बुलन्द करनी होगी। इस मौके पर अनिल अहलूवालिया ने भी विचार रखे। आभार मोहन थानवी ने जताया। संचालन ज्योति प्रकाश रंगा ने कि या। इससे पहले आए हुए अतिथियों का शिव भादाणी,सुमित व्यास,लक्ष्मीनारायण शर्मा,पवन भोजक, विवेक आहूजा, मुकुंद खण्डेलवाल,मोहम्मद अली पठान सहित अनेक पत्रकारों ने अतिथियों का माल्यार्पण कर स्वागत किया। इस सम्मेलन में श्रीगंगानगर, चूरू, हनुमानगढ़, झुझुंनू,बीकानेर के पत्रक ारों ने शिरकत की। सम्मेलन में बीकानेर प्रेस क्लब के अध्यक्ष अनुराग हर्ष,महासचिव मनीष पारीक ,कोषाध्यक्ष उमाशंकर आचार्य,संतोष जैन,हनुमान चारण,बृजमोहन आचार्य,भवानी जोशी,जितेन्द्र व्यास,राजेश रतन,मुजीर्बुरहमान,रमजान मुगल,हरिलाल पुरोहित,तेजकरण हर्ष,अजीज भुट्टा,बिरमदेव रामदेव,सुजान सिंह,के के शर्मा,विक्रम जागरवाल,त्रिभुवन रंगा,महेन्द्र मेहरा,राजेश छंगाणी,गिरिराज भादाणी,रजत शर्मा,घनश्याम स्वामी,आनंद आचार्य,आशाराम शर्मा,विनोद जोशी,रामस्वरूप भाटी,मधुप वशिष्ट,बाबू सिंह कच्छावा,के कुमार आहूजा,विजय कल्ला,अश्वनी श्रीमाली,जीतू बीकानेरी,ताराचंद राणा,मो रफीक पठान,राजा ओझा,मोहन कडेला,दिनेश जोशी,मुकेश पूनिया,विक्रम कडेला,मो साहिल पठान,अलंकार गोस्वामी,अनिल रावत,मुकेश पुरोहित,पी डी व्यास,मुकेश रामावत,बच्छराज भूरा,विमल छंगाणी,पवन व्यास सहित इस सम्मेलन में श्रीगंगानगर, चूरू, हनुमानगढ़, झुझुंनू,बीकानेर के पत्रकारों ने शिरकत की।
रवि विश्नोई संभाग प्रभारी मनोनित
दूसरे सत्र में संगठनात्क चर्चा की गई। प्रदेशाध्यक्ष उपेंद्र सिंह राठौड़ नेे आह्वान किया की यही समय है जब हम संगठित होकर इन सबका मुकाबला कर पाएंगे। इसलिए हम अपने संगठन के साथ खुद भी मजबूत बनाएं। राठौड़ ने कहा कि हमें संगठित होकर अपने अधिकारों को लेकर आवाज बुलन्द करनी होगी। संगठन की ओर से इन समस्याओं का समाधान कराने के लिये क्रियाशील है। इस दौरान विष्णुदत्त शर्मा,फलौदी के जिलाध्यक्ष रामावतार बोहरा,चूरू से मुरलीधर बोचीवाल,मनोज शर्मा,योगेन्द्र ,किशन उपाध्याय,जैसलमेर से मानसिंह देवड़ा,धौलपुर के गोपेश पचौरी,झून्झूनु से रामनिवास सोनी,गंगानगर से नरेश पारीक,रावतसर ओम पारीक,देशनोक से लक्ष्मीनारायण शर्मा,छत्तरगढ़ से रामेश्वर लाल आचार्य,लूणकरणसर से मनोज पुरी,रायसिंह राव,नोखा से नरेन्द्र आचार्य ने चर्चा कर सर्वसम्मति से रवि विश्नोई को संगठन के बीकानेर संभाग का प्रभारी बनाया। जिनका माला पहनाकर स्वागत किया गया।

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