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प्रशासन की सख्ताई अभिभावकों को रही मार,पढ़े पूरी खबर

बीकानेर। समाचार पत्रों व सोशल मीडिया में कुछ समस्याओं के प्रकाशित-प्रसारित होने के बाद एक बारगी जिला प्रशासन हरकत में तो आ जाता है। लेकिन कुछ समय बाद हालात वो ही नजर आते है। परन्तु प्रशासन के हरकत को अनेक बार नुकसान आमजन को उठाना पड़ता है। दो माह पूर्व स्कूली वाहनों में क्षमता से अधिक बच्चों को बैठाने पर प्रशासन द्वारा दिखाई गई सख्ती अभिभावकों की जेब पर भारी पड़ रही है। प्रशासन ने पुलिस के सहयोग से स्कूली वाहनों की जांच कर चालान काटना शुरू किया, तो स्कूली वाहन चालकों ने यूनियन बनाकर किराए में वृद्धि कर दी। तर्क दिया गया कि एक टैम्पो में तीन-चार से ज्यादा बच्चों को बैठाने पर प्रशासन कार्रवाई करेगा। ऐसे में उन्हें कम बच्चों में स्कूल तक का सफर महंगा पड़ रहा है। यही कारण है कि दोगुना तक किराया वृद्धि कर दी परन्तु इसके बाद प्रशासन की उदासीनता व ऑटो चालकों की मनमर्जी के चलते वही ढाक के तीन पात के हालात बने हुए हैं। टैम्पो में आठ-दस बच्चों को बैठाकर बेरोकटोक वाहन निकल रहे हैं लेकिन उनके खिलाफ अब तक कार्रवाई शुरू नहीं हुई है।
एकजुटता पर झुका प्रशासन
स्कूली वाहन चालकों की एकजुटता के चलते एक दिन तक स्कूलों में बच्चों को लाने-लेजाने का काम बाधित हुआ और बाद में प्रशासन ने मौन स्वीकृति देकर ऑटो चालकों को मनमर्जी से बच्चों को लाने-लेजाने की छूट दे दी परन्तु वाहन चालकों को किराया घटाने के लिए पाबंद नहीं किया।
एक साल में दो बार किराए में वृद्धि
सरकारी व निजी कर्मचारियों की प्राय: वर्ष में एक बार वेतन वृद्धि होती है, वहीं स्कूली वाहन चालक वर्ष में प्राय: दो बार किराए में वृद्धि करते हैं। कभी प्रशासन की सख्ती का हवाला देकर, तो कभी डीजल-पेट्रोल के दामों में वृद्धि बताकर अभिभावकों की जेब काटी जाती है।
अभिभावकों की मजबूरी का फायदा
स्कूलों में नियमित रूप से बच्चों को सुबह के समय छोडऩा अभिभावकों के लिए आसान नहीं है। इसी का फायदा उठाकर स्कूली वाहन चालक मनमर्जी कर रहे हैं। इतना ही नहीं यदि अभिभावक अन्य वाहन चालक से बात करते हैं, तो यूनियन का डर दिखाकर मना भी करवा देते हैं।
फिर एक बार सख्ती दिखाने की जरूरत
अभिभावकों का कहना है कि प्रशासन की सख्ती के चलते स्कूली वाहन चालकों ने किराया बढ़ा दिया। तर्क बच्चों की सुरक्षा का दिया गया, जिसको उन्होंने मान लिया, लेकिन हालात खराब है। ऐसे में प्रशासन को अभियान के रूप में सख्ती दिखाकर इन पर लगाम कसनी चाहिए।

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