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पोस्टमार्टम के बाद सीधे अंतिम यात्रा पर चल पड़े चारों भाई बहन

खुलासा न्यूज,बीकानेर। लुका छिपी खेलते हुए अनाज की कोठरी में छिपे पांच बच्चों की मौत के बाद सोमवार को भींयाराम की तीन बेटियों और एक बेटे उसी माटी के हवाले कर दिया गया तो जन्म से ही अपने ननिहाल रही माली आज अपने दादा के घर चली गई, वो भी बिना किसी हरकत के। सरकारी अस्पताल से जब पांचों बच्चों के शव बाहर निकले तो गांव का हर शख्स फफक पड़ा। दादा घर पर बैठे बैठे हर दो चार मिनट में पोते-पोतियों का नाम लेकर रो पड़ते हैं। मां को तो सुध ही नहीं है कि उसके घर पर हो क्या रहा है? मजदूरी करने वाला भींयाराम वैसे तो बच्चों के साथ ज्यादा समय नहीं दे पा रहा था लेकिन पिछले करीब चौबीस घंटे से वो उनके आगे पीछे ही घूम रहा है। कभी दीवार को हाथों से मारता है तो कभी किसी के कंधे पर सिर रखकर रो पड़ता है।
चारों बच्चों को दफनाया
गांव में ही एक स्थान पर चारों भाई बहन को अलग अलग लेकिन पास पास दफनाया गया। इस दौरान पिता भींयाराम पूरी तरह बेसुध हो गया। वो अपने बच्चों को छाती से लगाना चाहता था लेकिन सब लोग उसे पकड़कर बैठे थे। बच्चों के पास नहीं जाने दे रहे थे। वैसे भी बहुत कम समय में फटाफट चारों बच्चों का अंतिम संस्कार यहां कर दिया गया।
पूरा गांव शोक में डूबा
यह बच्चे तो भींयाराम के थे और सबसे बड़ा वज्रपात भी उसी पर हुआ है लेकिन आज पूरे गांव की आंखें नम है। सुबह से पूरे गांव में किसी ने चूल्हा नहीं जलाया है। हर कोई चार साल के सेवाराम की बात कर रहा है तो कोई तीनों बहनों रविना, राधा और टींकू की मौज मस्तियों को याद कर रहा है। इस बीच माली भी याद आती है जो पूरे गांव की भांजी थी। किसी को मामा तो किसी को मौसी बोलकर अपना बना लेती थी। गांव की गलियों में आज न तो चहल पहल नजर आ रही है ना ही छोटे से बाजार में कोई रौनक। कहीं चार लोग एकत्र भी हो रहे हैं तो चर्चा इन पांच बच्चों की है।
आज फिर घर आ गए मैडमजी
वैसे ही इन दिनों बच्चों के स्कूल बंद थे और मैडमजी कभी कभार घर आकर ही इन बच्चों से पढ़ाई के बारे में पूछ लेते थे। आज फिर सरकारी स्कूल की चार मैडम घर आ गई। हर बार तो बच्चों को पढ़ाई करने की नसीहत देते हुए थोड़ी सख्त नजर आती थी लेकिन आज खुद मैडमजी की आंखों में आंसू थे। कभी सोचा ही नहीं था कि रविना, राधा और टींकू इस तरह दुनिया छोड़कर जायेगी। तीनों बहनें स्कूल में भी साथ साथ ही बैठती थी। आज भी अपने भाई के साथ तीनों बच्चे एक साथ ही दुनिया छोड़कर चली गई।
मां ने अर्से बाद आज ही गई थी खेत
भीयाराम की पत्नी वैसे तो बेसुध है लेकिन जब भी होश आता है तो अपने बच्चों का नाम लेकर फिर गिर जाती है। वो बीच बीच में कहती है कि इतने दिनों बाद ही तो गई थी खेत में। एक ही दिन में इतना बड़ा काल क्यों आ गया? वो बार बार अपनी किस्मत को कोसती है। गांव की महिलाएं उसे कभी पानी पिलाने की कोशिश करती है तो कभी अपने पल्लू से हवा देती है।
माली ऐसे जायेगी सोचा नहीं था
नन्ही माली को अपने ननिहाल से बड़ा प्यार था। बोलने में वाचाल माली को सब “भाणकी” (भांजी) कहकर ही संबोधित करते थे। पड़ोसी की भांजी होने के बाद भी भीयाराम के घर वो हमेशा ही खेलती थी। हम उम्र होने के कारण तीनों बहने उसकी खास दोस्त थी। हमेशा ही वो इसी आंगन में खेलती नजर आती थी। दादा के घर जाने का नाम भी नहीं लेती थी। आज ढींगसरी से उसके दादा का पूरा परिवार ही आ गया था। वो भी अपनी बच्ची के शव को देखकर फफक पड़े। ननिहाल वालों को दुख है कि उन्होंने अपनी नाती को विदा भी किया तो इस तरह। हर कोई वहां बदहाल नजर आया।

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