
बीकानेर में अवैध रूप से हो रही है बजरी खनन,सरकार को हो रहा है नुकसान,सदन में गरजे बीकानेर के ये विधायक






खुलासा न्यूज,बीकानेर। नोखा विधायक बिहारीलाल बिश्नोई व 13 अन्य सदस्यों ने आज राजस्थान विधानसभा में स्थगन प्रस्ताव के माध्यम से बीकानेर जिले में बजरी खनन व्यवसायियों को मंशा पत्र (रुह्रढ्ढ) जारी हो जाने के बाद एनवायरनमेंट क्लीयरेंस नही मिलने से बढ़ रहे अवैध खनन एवं सरकार को हो रहे राजस्व नुकसान से सरकार को अवगत करवाया ।
विधायक बिश्नोई ने कहा की बजरी पूरे प्रदेश में बहुत महत्वपूर्ण मुद्दा है लगातार सदन में कई कई बार इस पर चर्चा हुई । पर्यावरण के नुकसान को देखते हुए बजरी खनन पर सुप्रीम कोर्ट व एनजीटी की रोक है वहां जहां नदी नालों पर बजरी खनन हो रहा है ।
विधायक बिश्नोई ने कहा बीकानेर जिले में कहीं भी नदी नालों से बजरी खनन नहीं होता है क्योंकि इस जिले में नदी नाले नहीं है । बीकानेर में बजरी का खनन भूमिगत होता है भारी मात्रा में भूमिगत भंडार बजरी का बीकानेर में है । बीकानेर में जो लीज पहले से स्वीकृत है उनमें अभी भी बजरी का खनन हो रहा है । 2019 में 6 माह के लिए बीकानेर में बजरी के खनन पर रोक लगा दी थी । बीकानेर के खनन पट्टा धारियों, रॉयल्टी ठेकेदारों हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट भी गए । सुप्रीम कोर्ट से बीकानेर में बजरी खनन पर 2020 में छूट भी मिल गई थी । खनिज विभाग ने 80 आवेदन कर्ताओं को मंशा पत्र भी जारी कर दिए जिसमें नोखा, कोलायत, बीकानेर व लूणकरणसर तहसील के लोग शामिल है । लेकिन सिया कमेटी (स्टेट लेवल एनवायरनमेंट इम्पैक्ट असेसमेंट ऑथोरिटी) की कैसी सियासत है जिसने कभी तक ई सी (एनवायरनमेंट क्लीयरेंस) जारी नहीं की है । इस वजह से अवैध खनन बढ़ रहा है हजारों लोग बेरोजगार हो गए जो बजरी की खान पर रोजगार पाते थे । प्रतिमाह 20 करोड़ का राजस्व नुकसान राज्य सरकार को हो रहा है । बीकानेर की बजरी सबसे सस्ती है , बीकानेर संभाग के चारों जिलों सहित सीकर , जयपुर, नागौर, जोधपुर में हरियाणा के सीमावर्ती जिलों तक सप्लाई होती है । बजरी खनन पर रोक होने से बजरी महंगी हो रही है । पिछले वर्ष के बाद अभी तक बजरी की रॉयल्टी का ठेका भी नहीं किया है । पिछली बार यह ठेका 54 करोड़ का था इस बार पूरा साल निकाल दिया गया सरकार को पचासों करोड़ का नुकसान हो रहा है । जिप्सम का भी रॉयल्टी ठेका नहीं है तो माननीय मंत्री प्रमोद जी किस प्रमाद में व्यस्त है कि राजस्व का भारी नुकसान हो रहा है । राज्य का राजस्व बढ़े, क्या भाया जी को यह भाता नही है । सरकार इस पर गंभीरता से विचार करे व जनहित में आवश्यक कार्यवाही करे ।
विधायक बिश्नोई ने आशा सहयोगिनियो का मानदेय बढ़ाने एवं स्थायीकरण का मुद्दा उठाया
नोखा विधायक बिहारीलाल बिश्नोई ने आज राजस्थान विधानसभा में प्रश्नकाल में तारांकित प्रश्न के माध्यम से प्रदेश में कार्यरत आशा सहयोगिनियो का मानदेय बढ़ाने एवं उन्हें स्थायीकरण करने का मुद्दा उठाया जिस पर राज्यमंत्री टीकाराम जूली ने जवाब दिया कि आशा-सहयोगिनी को आईसीडीएस की ओर से प्रतिमाह नियत मानदेय राशि 2700 रू. का भुगतान किया जाता है, जो राज्य सरकार द्वारा निर्धारित है। इसके अतिरिक्त चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग की ओर से कार्य आधारित भुगतान (परफोर्मेंस बेस्ड इन्सेन्टिव) किया जाता है । आशा सहयोगिनियों का मानदेय वृद्धि बजट की उपलब्धता पर कर दिया जायेगा और आशा सहयोगिनी/कार्यकर्ता मानदेय सेवा पर कार्यरत है ये संविदा पर कार्यरत नहीं होती है। आशा सहयोगिनी/कार्यकर्ता स्वैच्छिक सेवा भावना से समुदाय में कार्य करने वाली स्थानीय महिला होती है। इन पर राज्य सेवा के कार्मिकों की भांति सेवा नियम लागू नही है और न ही श्रमिकों के बराबर इनके कार्य के घंटे तय होते है। मानदेय कार्य समय के उपरान्त ये किसी भी प्रकार के निजी कार्य हेतु स्वतंत्र रहती है।
विधायक बिश्नोई ने कहा कि क्या राज्य सरकार ने 60-40 मानदेय के लिए केंद्र सरकार से कोई पत्राचार किया है क्या ?
जिस मंत्री ने कहा कि मुख्यमंत्री जी ने 2जनवरी 2021 को केंद्र सरकार को पत्र लिखकर 60-40 में शामिल करने की मांग की है ।
विश्नोई ने कहा की आशा सहयोगिनियों को जो 2700 रुपये मानदेय दिया जा रहा है जो घोर अन्याय है क्या सरकार मिनिमम वेजेस के बराबर देने का विचार करती है ? जिस पर माननीय मंत्री जी ने कहा कि आशा सहयोगिनिया संविदा कर्मचारी नहीं है मानदेय आधारित है इन पर सरकारी सेवा नियम लागू नहीं होते हैं इसलिए मिनिमम वेजेज लागू नहीं किया जा सकता आशा सहयोगिनियों का मानदेय वृद्धि बजट की उपलब्धता पर कर दिया जायेगा ।


