
खेलते-खेलते नहर में गिरी 6 साल की बच्ची






श्रीगंगानगर। समीपवर्ती गांव 19 एफ ज्वालेवाला में शनिवार सुबह खेलते-खेलते एक बच्ची एफ नहर में गिर गई। घटना स्थल से कुछ दूरी पर मनरेगा स्थल पर काम कर रहे मेट ने तत्काल नहर में कूदकर बच्ची को सुरक्षित निकाल लिया। अब बच्ची पूरी तरह से स्वस्थ है। बच्ची को नहर से सुरक्षित निकाले जाने की खुशी में मनरेगा कार्यस्थल पर श्रमिकों ने केक काटा। बच्ची का जन्मदिन मनाया। लड्डू भी बांटे। मौके पर काम कर रहे श्रमिकों का कहना था कि यह सब बच्ची को दूसरा जन्म मिलने जैसा है। वहीं इस पूरे घटनाक्रम को लेकर क्षेत्र के लोग बच्ची की जान बचाने वाले मेट बलजीतसिंह के प्रयास की प्रशंसा कर रहे हैं। बच्ची की पहचान सिफ्त (6) पुत्री सुरजीत सिंह उर्फ मोटू निवासी ज्वालेवाला के रूप में हुई है। करीब 10 फुट गहरी इस नहर में अपनी क्षमता के अनुसार पानी चल रहा था।
बच्ची सिफ्त के माता-पिता दोनों हैं श्रमिक घटना स्थल के पास ही कर रहे थे मजदूरी
ग्रामीणों से मिली जानकारी के अनुसार सिफ्त की मां मनरेगा श्रमिक व पिता भी खेतिहर श्रमिक है। सिफ्त के घर के पास ही नहर है। आशंका है कि बच्ची खेलते-खेलते नहर में गिर गई। करीब 500 मीटर दूरी पर मनरेगा श्रमिकों ने जब बच्ची को पानी में बहते हुए देखा तो एक महिला श्रमिक ने शोर मचाया। इस पर वहां ड्यूटी कर रहे मेट बलजीतसिंह ने नहर में छलांग लगाकर उसे बाहर निकाल लिया। बाद में उसे प्राथमिक उपचार देकर बचा लिया गया। बच्ची की जिंदगी बचने की खुशी में मनरेगा स्थल पर लड्डू बांटे गए। शाम को पूरे घटना क्रम की जानकारी मिली तो महिला एवं बाल विकास विभाग की साथिन बिरमा देवी ने सुझाव दिया कि यह बच्ची के दूसरे जन्म जैसी खुशी है। इसलिए केक काटकर उसका जन्मदिन मनाया जाए। इस पर श्रमिकों ने शाम को केट काटकर सिफ्त का जन्मदिन मनाया और खुशियां साझा की।
सिटी हीरो…एक महिला श्रमिक ने शोर मचाया नहर में बच्ची बह रही है, मैं तैरना जानता था, मैं तत्काल कूद गया व लोगों की मदद से बाहर निकाला
ग्राम पंचायत फूसेवाला के चक 19 एफ ज्वालेवाला में एफ नहर के नजदीक मनरेगा के तहत खाले के पटड़े का सुधार का काम चल रहा है। हम कार्यस्थल पर थे। शनिवार सुबह करीब 11:15 बजे एक महिला श्रमिक ने शोर मचाया कि नहर में बच्ची बहकर जा रही है। मैं तैरना जानता हूं। ऐसे में मैंने तत्काल नहर में छलांग लगा दी। मनरेगा श्रमिकों की मदद से बच्ची को नहर से बाहर निकाल लिया। बच्ची बेहोशी की हालत में थी।
हमने प्राथमिक उपचार दिया तो उसे कुछ होश आ गया, लेकिन वह सहमी हुई थी। इस बीच एक महिला श्रमिक ने उसकी पहचान कर कर बताया कि वह गांव के ही सुरजीत सिंह उर्फ मोटू की बेटी है। उसकी मां भी मनरेगा श्रमिक है। तत्काल बच्ची के परिजनों को सूचना देकर उसे डॉक्टर के पास ले गए। बच्ची को बुखार था। डॉक्टर ने दवा दे दी। बाद में हमने बच्ची के नए जन्म की खुशी में मनरेगा स्थल पर केक काटकर खुशी मनाई। लड्डू बांटे। अब बच्ची स्वस्थ है। मेरी दो बेटियां हैं। मुझे खुशी है कि मैं तैरना जानता हूं और ईश्वर के आशीर्वाद से एक बेटी की जान बच गई। हम लोग बच्ची के घर से करीब 500 मीटर की दूरी पर काम कर रहे थे। इस नहर की गहराई करीब 10 फुट है।


