
अतिक्रमियों के आगे फेल हो गया प्रशासन






– नगर निगम के सर्वेयर को नजर नहीं आते अतिक्रमण
खुलासा न्यूज,बीकानेर। बीकानेर शहर में सड़क किनारे जहां भी नजर दौड़ाएं तो पट्टी पेड़े वाले नजर आएंगे। सरकारी भूमि पर निजी कारोबार कर चांदी लूटने वाले इन पट्टी पेड़ों वालों पर स्थानीय प्रशासन का लेसमात्र भी खौ ंफ नहीं है। खुलेआम प्रशासन की नाक के नीचे हर कार्रवाई के बावजूद सड़क किनारे हर बार आ जमते हैं। जनता कार्रवाई करने वाले अफसरों से कह भी चुकी है कि जब तक प्रशासन का निरन्तर फॉलोअप क ार्यक्रम नहीं चलेगा तब तक ये अतिक्रमी इस शहर के लिए नासूर बने रहेंगे। प्रशासन भी शायद इनके रसूख के आगे हथियार डाल चुका है। हालातों को देख लगता है कि बीकानेर के सारे विभाग इन अतिक्रमियों के आगे फेल हो गए हैं। गंगाशहर हो या गजनेर रोड, मुरलीधर व्यास कॉलोनी हो या एम.एम. ग्राउण्ड रोड हो या डूडी पेट्रोल पम्प रोड, हर रोड पर पट्टी पेड़े वाले या फिर बजरी कंकरीट से भरे ट्रक ट्रेक्टर नजर आएंगे। प्रशासन को न तो इस बात की परवाह है कि पट्टी पेड़ों वाले के इस अवैध कारोबार से ट्रेफिक बाधित होता है और न ही आमजन की सेहत की चिंता है। जनता हजार बार चिल्ला-चिल्ला कर कह रही है कि रिहायशी इलाकों या आम रास्तों पर रात-दिन निर्माण सामग्री की लोडिंग व अनलोडिंग के दौरान उडऩे वाली धूल आखिर जाती है तो आस-पास के घरों में ही है। चिकित्सकों के अनुसार यह धूल सिलकोसिस बीमारी की चपेट में ले सकती है। जवाहर नगर इलाके में तो हालात बद से बदतर हो गए हैं। यहां पट्टी पेड़े के कारोबार के चलते आस-पास के घरों में रहने वालों को नियमित खांसी रहने लगी है। सर्दी में तो खा ंसी रहती ही है अब गर्मी में भी खांसी हैरत में डालने लगी है। कहीं पट्टी पेड़ों वालों की यह करतूत यहां के निवासियों के लिए किसी बड़ी बीमारी की ओर दस्तक तो नहीं दे रही?
हर ओर से खतरा ही खतरा
पट्टी पेड़े वालों द्वारा बजरी कंकरीट, ईंट आदि से उड़ाए गए खतरनाक मिट्टी के कण आमजन की सेहत के लिए तो खतरा है ही। साथ ही इनके खिलाफ आवाज उठाने वाले परिवारों की सुरक्षा भी खतरे में पड़ी है। लोगों में इस बात का भय है कि शिकायत पर बौखलाएं पट्टी पेड़े वाले किसी परिवार पर संकट न बन जाए। बेहतर तो यही रहता कि प्रशासन स्वयं अपने स्तर पर कदम उठाए ताकि कोई इन अतिक्रमियों की आ ंख की किरकिरी न बने। लेकिन ऐसा माना जा रहा है अतिक्रमियों की ताकत के आगे संबंधित विभागों के अधिकारियों व कर्मचारियों के हाथ पांव फुल जाते हैं। तभी तो कार्रवाई के बावजूद फिर से ये लोग आ बैठते हैं, वरना आम जनता तो ऐसी हिम्मत नहीं करती। ऐसा माना जा रहा है कि जब संबंधित विभाग के अधिकारियों पर ज्यादा दबाव पड़ता है तो दिखावे के लिए कार्रवाई कर देते हैं, क्योंकि एक बार कार्रवाई के बाद जनता का गुस्सा कम हो जाता है। बात आई-गई हो जाती है। प्रशासन व अतिक्रमी इसी बात का फायदा उठाते हैं। जनता की ओर से कभी ज्यादा दबाव आता है तो नगर निगम व यूआईटी जैसे विभाग उलटे आमजन के घरों पर ही हमला बोल देते है, ताकि अतिक्रमण हटाने की गुहार लगाने की दुबारा हिमाकत न कर सके और अफसरों को चैन से नौकरी करने दें। हालांकि बाद में इन विभागों की ऐसी करतूतों की किरकिरी भी होती है, लेकिन इन अफसरों को कोई फर्क पड़ता। फर्क तो उन लोगों पर पड़ता है जो रोज इस समस्या को भुगतते हैं।
प्रशासन ने फॉलोअप कार्यक्रम क्यों नहीं चलाया?
नगर निगम व यूआईटी की ओर से शहर के कुछ एक इलाकों सहित जवाहर नगर इलाके में अतिक्रमण हटाने के नाम पर एकतरफा कार्रवाई की गई थी। पट्टी पेड़ों वालों को भी हटाया गया था। तब पब्लिक के आवागमन में किसी प्रकार से बाधा नहीं डालने वाली घरों के आगे की चौकियों को भी तोड़ा गया। जो कि एक आम नागरिक का सुखाधिकार माना जाता है। जिस समय निगम व न्यास के दस्ते यह कार्रवाई कर रहे थे तब अधिकारियों से सवाल किया गया था यदि किसी ने दुबारा अतिक्रमण कर लिया था तो क्या करोंगे? तब अफसरों का जवाब था कि अतिक्रमी के खिलाफ एफआईआर दर्ज होगी और कार्रवाई भी होगी, लेकिन अतिक्रमी तो दूसरे दिन ही आ डटे और आज तक जमे हैं। इतना ही नहीं इनकी गतिविधियों में हद से ज्यादा बढ़ोतरी ही हुई है। यहां सवाल उठता है कि जवाहर नगर इलाके में अब तक कितनी बार अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई हुई, लेकिन क्या आज तक किसी के खिलाफ एफआईआर दर्ज हुई, यदि हुई है तो आज भी ये लोग क्यों जमें बैठे हैं? जाहिर है कि प्रशासन ने फॉलोअप कार्यक्र म ही नहीं चलाया और न ही ऐसे लोगों को पाबंद किया।
सर्वेयर की नजर क्यों नहीं पड़ती?
नगर निगम में जब इस कार्रवाई के बारे में जानकारी ली तो एक अधिकारी द्वारा जारी किए ऑर्डर का अवलोकन किया गया। इस ऑर्डर में सर्वेयर ने जो अतिक्रमण बताए उनसे से तो लगता है कि सर्वेयर ने मान लिया कि यह अतिक्रमण है और वह नहीं। इसके लिए कोई तय मापदण्ड नहीं थे। हालांकि सर्वेयर द्वारा बताए गए कुछ स्थानों पर कार्रवाई की गई। हकीकत में जो अतिक्रमण थे उन पर तो हाथ ही नहीं डाला शायद सर्वेयर की नजर नहीं पड़ी या आंख मूंद ली। यहां सवाल उठता है कि अब भी सर्वेयर को 25 सालों से जमे ये पट्टी पेड़े वाले नजर क्यों नहीं आ रहे? किस के इशारे पर निगम के सर्वेयर ने आंखे मूंद रखी है? जनता के सवाल है कि कहीं कोई अतिक्रमियों से मिलीभगत या सांठगांठ तो नहीं? जवाहर नगर इलाके में रात-दिन भारी से भारी वाहन आते हैं निर्माण सामग्री खाली करते हैं और इन से उडऩे वाली खतरनाक धूल घरों में प्रवेश कर रही है। इन दिनों कूलर भी चल रहे हैें जो बाहरी हवा को घरों में खींचते हैं। इसके चलते खतरनाक धूल तेजी से अंदर आती है। लोग खिड़कियां बंद नहीं कर सकते, क्योंकि उमस परेशान करती है। प्रशासनिक अधिकारी तो खिड़किया बंद करने को कह सकते हैं, लेकिन अतिक्रमियों के खिलाफ कार्रवाई नहीं करेंगे। लोगों का कहना है प्रशासन परमानेंट काम करें तो ही आमजन को राहत मिल सक ती है। आज जो हालात है उसके लिए नगर निगम, नगर विकास न्यास, संबंधित थाना, स्थानीय प्रशासन आदि जिम्मेदार है।


