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रेगिस्तानी धोरों पर दौड़ा अमेरिकी स्ट्राइकर,’सारथी’ से जवाब देकर चौंकाएगी भारतीय सेना

खुलासा न्यूज,बीकानेर। बीकानेर के महाजन फील्ड फायरिंग रेंज में सोमवार को भारत और अमेरिका के बीच युद्धाभ्यास का औपचारिक आगाज हो गया। पहले दिन थार के रेगिस्तान में सबसे बड़ा अमेरिकी स्ट्राइकर टैंक दौड़ता नजर आया। हालांकि ये टैंक भारत के सारथी टैंक के सामने कमजोर ही दिखाई दिया। दरअसल, सोमवार को इन टैंकों सहित दर्जनों हथियारों का प्रदर्शन किया गया। आने वाले कुछ दिनों में इस क्षेत्र में दोनों देशों के हथियारों से प्रदर्शन भी शुरू हो रहा है। शुरुआती दो दिन तक आतंकवाद पर रणनीतिक चर्चा होगी। एक तय नीति के तहत अमेरिका और भारत आतंकवाद पर फोकस करेंगे। दोनों देश आतंकवाद से लड़ रहे हैं, ऐसे में इस समय हो रही ये लड़ाई काफी महत्वपूर्ण हो गई है। कोरोना काल के बाद अमेरिका पहली बार किसी अन्य देश में पहुंचकर अभ्यास कर रही है। इस युद्धाभ्यास के दौरान आतंकवाद से निपटने की नीति पर काम हो रहा है। आतंकियों के पास जिस स्तर के हथियार मिल रहे हैं,उनसे कई गुना अधिक तकनीकी रूप से मजबूत हथियारों का अभ्यास इस दौरान होगा। भविष्य में जिन जवानों को एक दूसरे देश की सहायता के लिए भेजा जा सकता है, उन्हें इस दल में शामिल किया गया है। इसी कारण भारतीय जवानों को अमेरिकी हथियार चलाने सिखाए जा रहे हैं, वैसे ही अमेरिकी जवानों को भारतीय हथियार की प्रैक्टिस करवाई जा रही है।
अंतिम 3 दिन होगा युद्ध जैसा माहौल
भारत व अमेरिका के सैनिक आने वाले दिनों में अलग अलग दल बनाकर युद्ध करते नजऱ आएंगे। सैन्य प्रवक्ता अमिताभ शर्मा ने बताया कि 19 व 20 फरवरी को युद्ध जैसा दृश्य नजर आएगा। दोनों देश अपने हथियारों व उपकरणों का उपयोग कर सकेंगे। इस दौरान हेलीकाप्टर व टैंक के बीच सामंजस्य भी दिखाया जाएगा।
अमेरिका से 240 जवान आए
युद्धाभ्यास के लिए अमेरिका से 240 सैनिक भारत आए हैं। इस दल में महिलाएं भी शामिल हैं। युद्धाभ्यास के लिए अमेरिका से आए सैन्य दल में वहां की सबसे पुरानी बटॉलियन का दल है। इसे इन्फेंट्री बटालियन कहा गया है। इसके अलावा इंफेंट्री रेजीमेंट की एक कमांड भी है। दल में जमीन से दूर तक हमला करने वाला स्ट्राइकर ब्रिगेड कॉम्बेट भी शामिल है। ये दल अपने साथ टैंक भी लेकर आया है।
भारतीय सेना का प्रतिनिधित्व सप्तशक्ति कमान की 11वीं बटालियन व जम्मू और कश्मीर राइफल्स कर रही है। वहीं, अमेरिकी सेना का प्रतिनिधित्व 2 इन्फैंट्री बटालियन, 3 इन्फैंट्री रेजिमेंट, 1.2 स्ट्राइकर ब्रिगेड कॉम्बैट टीम के सैनिक कर रहे है। युद्धाभ्यास के लिए अमेरिकी सेना अपने साथ स्ट्राइकर (बख्तरबंद वाहन) भी लेकर आई है। यह पहला अवसर है जब छोटे स्तर के युद्धाभ्यास में अमेरिकी सेना स्ट्राइकर को काम में लेगी।
ऐसे होगा युद्धाभ्यास
महाजन फायरिंग रेंज में 21 फरवरी तक चलने वाले इस युद्धाभ्यास में दोनों सेना जमीनी हमलों का अभ्यास करेगी। इस दौरान वास्तविक युद्ध सा माहौल नजर आएगा। सबसे पहले यह देखा जाएगा कि सेना की दो अलग-अलग टुकडिय़ां कितने समय में रणक्षेत्र में पहुंच सकती है। इसके बाद दो अलग-अलग प्रकृति की ब्रिगेड के सैनिक किस तरह एक स्थान पर एकत्र होकर आपस में कोर्डिनेशन स्थापित करते है। दोनों बेहतरीन आपसी तालमेल के साथ दुश्मन की जमीन पर हमला कर उस पर कब्जा जमाने का प्रयास करेंगे।
इस दौरान भारतीय और अमेरिकी सेना आमने-सामने होगी। हर बार अलग फॉरमेशन में सैन्य टुकडिय़ां आगे बढ़ेंगी। रणनीति में रोजाना बदलाव होता रहेगा। साथ ही दुश्मन के प्रतिरोध के आधार पर भी रणनीति में बदलाव होता रहेगा। युद्धाभ्यास के दौरान परम्परागत, अपरम्परागत और दोनों के हाइब्रिड मॉडल को आजमाया जाएगा।
इस कारण है महत्वपूर्ण
भारतीय सेना इन दिनों आईबीजी पर काम कर रही है। उसमें अलग-अलग क्षेत्र में महारत रखने वाली सैन्य टुकडिय़ों का एक छोटा समूह बनाया जाएगा। यह समूह पूरी तैयारी के साथ बेहतरीन तालमेल बनाते हुए दुश्मन पर हमला बोलेगा। यह युद्धाभ्यास भी इसी तर्ज पर हो रहा है। ऐसे में यहां अलग-अलग रणनीतियों के आधार पर हमला बोलने के तरीकों से दोनों देश की सेना को एक-दूसरे से काफी सीखने को मिलेगा। राजस्थान से सटे सिंध में दो माह पूर्व पाकिस्तान और चीनी सेना के बीच युद्धाभ्यास हो चुका है। वहीं, भारत और अमेरिका हिन्द महासागर में अपना प्रभुत्व बरकरार रखना चाहते है। ऐसे में इस युद्धाभ्यास के महत्व बढ़ जाता है।
ऐसी है अमेरिकी स्ट्राइकर ब्रिगेड
अमेरिकी सेना में नौ स्ट्राइकर ब्रिगेड हैं। इसमें से सात एक्टिव मोड में और दो नेशनल गार्ड के साथ रहती हैं। अमेरिका की तरफ से इनकी पूरी दुनिया में तैनाती की जाती रही है। कई महत्वपूर्ण अभियानों में यह टीम हिस्सा ले चुकी है। स्ट्राइकर ब्रिगेड सही मायनों में हल्के हथियार व मध्यम भार वाले बख्तरबंद वाहनों का समूह है। यह इंफैन्ट्री और आर्मर्ड से पूरी तरह अलग होती है। सीमित क्षेत्र में तेजी से हमले बोलने में इन्हें महारत हासिल है।

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