तीसरी भाषाओं को संरक्षण के लिये कर रहे है दांडी मार्च

तीसरी भाषाओं को संरक्षण के लिये कर रहे है दांडी मार्च

खुलासा न्यूज,बीकानेर। उर्दू और संविदाकर्मियों के नियमितकरण की मांग को लेकर चूरू से दांडी गुजरात तक सद्भावना यात्रा निकालने वाले राजस्थान उर्दू बचाओ संघर्ष समिति के संयोजक शमशेर खां भालु ने गांधी पार्क में बापू की प्रतिमा के समक्ष पत्रकारों से रूबरू हुए। इस मौके पर खां ने बताया कि राजस्थान से दांडी गुजरात की 1091 किलोमीटर की पैदल सद्भावना यात्रा कलेक्ट्रट चूरू से प्रारम्भ हुई है। उन्होंने बताया कि इस यात्रा का मुख्य उद्देश्य यह है कि भारत की एकता, सद्भावना,धर्मनिरपेक्षता बनी रहे। हम राष्ट्र की एकता अखंडता को बनाए रखें भारत सरकार और राजस्थान सरकार जो संविधान के साथ धारा 350- अ के साथ छेड़छाड़ कर रहे हैं। जो हमें विशेष अधिकार देती है उन अधिकारों पर सरकार डाका डाल रही है उसको रोकने के लिए जन जागृति एवं जन जागरण अभियान चलाया है। उन्होंने यह भी बताया कि जो अल्प भाषा है उन सभी अल्प भाषाओं का संरक्षण किया जाए। भारत सरकार जो अल्प भाषा मंत्रालय है उसको समाप्त करना चाहती है और अल्पभाषा का दर्जा छीना गया है उसको तृतीय भाषा के रूप में इस्तेमाल कर रही है। 2016 का जो स्टाफिंग पैटर्न है उसका हम विरोध करते हैं। इसको लेकर हम यह दांडी यात्रा निकाल रहे हैं। उन्होंने कहा कि उर्दू और संविदाकार्मिकों के लिए बीकानेर में माध्यमिक शिक्षा निदेशालय में निदेशक के साथ सकारात्मक बातचीत हुई है। पहले सरकार ने स्कूलों में केवल एक तृतीय भाषा का विषय शुरू करने की स्वीकृति जारी की थी। जिसके चलते बच्चों को न चाहते हुए भी अपनी अरूचि वाली भाषा का चयन करना पड़ता था,किंतु अब राज्य सरकार ने कह दिया है कि जितने विषय होंगे। उन सभी की स्वीकृति दी जाएगी। गांधी का अहिंसा मार्ग अपनाया। उनके आन्दोलन के दिन से ही पूरे प्रदेश में यात्रा निकाली जाएगी। इस अवसर पर शमसुद्दीन सुुुलेेेमानी,सीमा भाटी सहित अनेक उर्दू पैराटीचर्स मौजूद रहे।
राजस्थान सरकार से माँगे
1. मदरसा पैरा टीचरों को तृत्य श्रेणी अध्यापक के समान वेतन पर स्थाई करना ।
2. भारतीय संविधान के अनुच्छेद 350 अ को लागू करने के लिए केंद्र सरकार द्वारा गठित गुजराल समिति की रिपोर्ट की अनुपालना में मंत्री मण्डलीय समिति को रिपोर्ट के अनुसार निदेशक प्रारम्भिक शिक्षा बीकानेर द्वारा जारी सरकुलर को अक्षरस लागू करना जिसमें अल्पभाषाएँ उर्दू पंजाबी गुजराती सिंधी के शिक्षण सम्बन्धी दिशा निर्देश हैं।
3. सभी राजकीय महाविद्यालयों में उर्दू संकाय स्वीकृत करना ।
केंद्र सरकार से माँग
अल्पभाषा आयुक्तायल नई दिल्ली जो कि चार वर्षों से मृत प्राय: है को पुनर जीवित करना व वहाँ पर रिक्त आयुक्त व अन्य पदों को भरा जाना व अल्प भाषा सम्बन्धी रिपोर्ट राष्ट्रपति महोदय के माध्यम से संसद के सदन के पटल पर प्रस्तुत कर सुरक्षण हेतु उपाय करने पर विचार करे ।
अल्पसंख्यक मामलात विभाग के अंतरगत पंद्रह सूत्री कार्यक्रम को वास्तविक धरातल पर अमल में लाया जाए ।

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