
Debit-Credit कार्ड यूज करते हैं तो हो जाएं सावधान, ऐसे खाली हो सकता है बैंक अकाउंट!







नई दिल्ली. आज शायद ही कोई ऐसा शख्स हो, जिसका बैंक अकाउंट नहीं होगा और बैंक अकाउंट के साथ ही हर किसी के पास डेबिट या क्रेडिट कार्ड भी जरूर रहता है। डेबिड-क्रेडिट कार्ड होने से हमें किसी भी जगह पर पेमेंट करने में काफी आसानी होती है और बिना कैश के हम किसी भी सामान की खरीदारी आसानी से कर सकते हैं। ऑनलाइन शॉपिंग में पेमेंट करने की डिजिटल सुविधा से हमें जितनी सहूलियत मिलती है उससे कही ज्यादा सतर्कता भी बरतनी पड़ती है। थोड़ी सी लापरवाही और पल भर में बैंक अकाउंट से पैसे निकल सकते हैं। यानी घर बैठे आपके पैसे आपके बैंक अकाउंट से गायब हो सकते हैं।
अपने अकाउंट के ट्रांजैक्शन पर रखें नजर
हाल ही में एक ऐसी रिपोर्ट सामने आई है, जो क्रेडिट और डेबिट कार्ड यूजर्स को थोड़ा चिंतित कर सकती है। एक जानकारी के अनुसार, लगभग 10 करोड़ डेबिट और क्रेडिट कार्ड यूजर्स का डेटा लीक हो गया है और इसकी वजह से आपके अकाउंट पर खतर मंडरा सकता है। इसलिए जरूरी है कि आप थोड़ी सावधान बरतें और अपने खाते के ट्रांजैक्शन पर नजरें बनाए रहें। ऐसी स्थिति में आपको कुछ जरूरी सावधानी बरतनी चाहिए।
Dark Web पर डेटा बिक्री के लिए उपलब्ध
बताया जा रहा है कि कार्ड धारकों की पर्सनल इन्फर्मेशन को डार्क वेब पर बेचा जा रहा है। जिन लोगों की जानकारी लीक हुई है, उसमें बैंक अकाउंट होल्डर्स का नाम, उनका फोन नंबर, मेल आईडी के साथ क्रेडिट या डेबिट कार्ड के शुरुआत और अंत के चार नंबर शामिल हैं।
यहां से लीक हुई डीटेल
आजकल हमें कहीं जाना हो तो हम डिजिटल तौर पर टिकट की बुकिंग करते हैं। किसी दूसरे शहर में रुकना हो तो भी होटल की बुकिंग भी डिजिटल माध्यम से ही करते हैं। ऑनलाइन माध्यम का सबसे ज्यादा प्रयोग हम शॉपिंग के दौरान करते हैं। शुरुआती जानकारी के अनुसार, इन कार्ड यूजर्स का डेटा एक पेमेंट गेटवे से लीक हुआ है जिसका नाम Juspay है। बता दें कि Juspay ऐमजॉन, ऑनलाइन फूड बुकिंग प्लैटफॉर्म स्विगी और मेक माय ट्रिप के बुकिंग पेमेंट को प्रॉसेस करता है।
इतने महीनों की ट्रांजैक्शन डीटेल लीक
कहा जा रहा है कि इन सभी 10 करोड़ लोगों का डेटा आज से लगभग 5 महीने पहले अगस्त 2020 में लीक हुआ था। यह भी जानकारी सामने आई है कि जो डेटा डार्क वेब में गया है, उसमें यूजर्स की मार्च 2017 से लेकर अगस्त 2020 तक की जानकारी शामिल है।
क्रिप्टो करंसी के माध्यम से बिक रहा डेटा
ऐसा नहीं है कि जिन 10 करोड़ लोगों की पर्सनल जानकारी लीक हुई है, वह सभी भारतीय हैं। लेकिन बताया जा रहा है कि इनमें ज्यादातर भारतीय हैं। अगर विशेषज्ञों की मानें तो कहा जा रहा है कि डेबिट क्रेडिट कार्ड होल्डर्स की पर्सनल जानकारी को क्रिप्टो करंसी के माध्यम से बेचने की कोशिश हो रही है। अभी तक इस बात का कोई खुलासा नहीं हो पाया है कि डेटा को कितनी कीमत पर बेचा जा रहा है।
जानें क्या है डीप और डार्क वेब
गूगल या किसी अन्य ब्राउजर में हम जब भी कुछ सर्च करते हैं तो हमें तुरंत लाखों नतीजे मिल जाते हैं। हालांकि, यह पूरे इंटरनेट का सिर्फ 4% हिस्सा है। जो 96% सर्च रिजल्ट में नहीं दिखता है, वह डीप वेब होता है। इसमें बैंक अकाउंट डीटेल, कंपनियों का डेटा और रिसर्च पेपर जैसी जानकारियां होती हैं। डीप वेब का ऐक्सेस उसी शख्स को मिलता है, जिसका उससे सरोकार होता है। जैसे, आपके बैंक अकाउंट डीटेल या ब्लॉग के ड्राफ्ट को सिर्फ आप ही देख पाते हैं। इसका मकसद यूजर के हितों की सुरक्षा करना है। इसी का एक छोटा पार्ट डार्क वेब है, जो साइबर अपराधियों का ठिकाना है। यहां ड्रग, मानव तस्करी, अवैध हथियारों की खरीद-फरोख्त के साथ डेबिट/क्रेडिट कार्ड जैसी संवेदनशील जानकारियां बेचने जैसे तमाम गैरकानूनी काम होते हैं।

