Gold Silver

नये सीएमएचओं ने संभाला पद,विवादों से घिरे रहे है डॉ कश्यप

खुलासा न्यूज,बीकानेर। बीकानेर के नये सीएमएचओ के रूप में डॉ सुकुमार कश्यप ने अपना पदभार शुक्रवार को ग्रहण कर लिया है। उन्होंने पदभार ग्रहण करने के बाद कोरोना और अन्य मौसमी बीमारियों सहित राज्य सरकार की योजनाओं के सफल क्रियान्वयन की बात कही है। लेकिन नये मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ सुकुमार कश्यप का नागौर का कार्यकाल विवादों भरा रहा है। उनके कार्यकाल के दौरान तीन बड़े प्रकरणों में उनके खिलाफ विभागीय जांच भी हुई। इनमें कुछ अब तक विचाराधीन भी है। विवादों के चलते एक बारगी राज्य सरकार द्वारा डॉ कश्यप को एपीओ भी किया। जिस पर उन्होंने हाईकोर्ट से स्टे ले रखा था।

इन विवादों से रहा नाता

पहला प्रकरण – डॉ. सुकुमार कश्यप, सीएमएचओ नागौर के पद पर पदस्थापन के दौरान जिले के अधीनस्थ चिकित्सा संस्थानों में जाकर संविदा फार्मासिस्ट कार्यरत थे, उनमें किन- किन चिकित्सा संस्थानों पर नियमित फार्मासिस्ट की नियुक्ति नहीं की गई के विषय में निदेशालय स्तर से लिखे जाने एवं बार बार स्मरण करवाए जाने के बावजूद वांछित सूचना नहीं भिजवाए जाने के प्रकरण में दोषी पाए गए। इस प्रकरण में संयुक्त निदेशक जोन अजमेर द्वारा अनुशासनात्मक कार्रवाई के प्रस्ताव प्रशासनिक विभाग को भिजवाए गए, जिसमें कार्मिक विभाग ने 31 जुलाई 2019 को सीसीए नियम-17 के अंतर्गत आरोप पत्र जारी किए जा चुके हैं।
दूसरा प्रकरण – डॉ. कश्यप, सीएमएचओ नागौर के पद पद 3 जुलाई 2015 से निरंतर पदस्थापित रहते हुए नागौर जिले में अराजपत्रित संवर्ग के कर्मचारियों के अनियमित पदस्थापन/प्रतिनियुक्ति एवं कार्य सम्पादन आदेश प्रसारित कर पद का दुरुपयोग किए जाने के आरोप से आरोपित हैं। इस प्रकरण में निदेशालय ने 19 फरवरी 2019 को प्रशासनिक विभाग को भिजवाई गई तथा संशोधित प्रस्ताव 10 अक्टूबर 2019 को भिजवाई, जो प्रशासनिक विभाग में विचाराधीन है।
तीसरा प्रकरण –डॉ. कश्यप के खिलाफ नागौर जिला कलक्टर ने 29 मई 2019 को खंड मुख्य चिकित्सा अधिकारी के कार्यालय स्तर पर गत दो वर्षों में संविदा कार्मिकों की प्रदाता एजेंसीज के माध्यम से सफाई/वाहन चालक व अन्य कार्मिकों के विरुद्ध किए गए भुगतान के विषय में गठित कमेटी द्वारा सीएचसी जायल की जांच कर जांच प्रतिवेदन निदेशालय को प्रस्तुत किया गया, जिसके निष्कर्ष में अंकित किया है कि ऐसे प्रकरण अन्य पीएचसी/सीएचसी पर भी हो सकते हैं, जो विभागीय स्तर पर विस्तृत जांच का विषय है। इसके लिए निदेशालय ने संयुक्त निदेशक जोन अजमेर को निर्देशित किया।

Join Whatsapp 26