
शहर को आवारा पशु मुक्त करने के दावे खोखले,टेण्डर में कौन बाधक






खुलासा न्यूज,बीकानेर। शहर में आवार पशुओं को लेकर कितना गंभीर है और आमजन को इससे राहत दिलाने के लिये निगम के प्रयास कितने है। इसका जीता जागता उदाहरण शहर की सड़कों पर घूमते आवारा पशुओं की संख्या है। हालात यह है कि इन दिनों शहर के मुख्य मार्गों पर आवारा पशुओं का साम्राज्य हो गया है। जो आएं दिन अपने उत्पात से राहगीरों को चोटिल करने के साथ साथ वाहनों को भी नुकसान पहुंचा रहे है। इन आवारा पशुओं के सड़कों पर जमावड़े के लिये कही न कही जिम्मेदार स्वयं निगम की प्रशासनिक व्यवस्था है। जानकारी मिली है कि पिछले आठ महीनों से आवारा पशुओं को पकडऩे निगम की गौशाला में जमा करवाने का काम लगभग बंद पड़ा है। इसके पीछे मुख्य कारण टेण्डर प्रणाली की बाधकता को बताया जा रहा है। अंदरखाने की बात तो यह है कि अपने चेहतों को आवारा पशुओं को पकडऩे का ठेका दिलाने के नाम पर यह घालमेल चल रहा है। जिसकी वजह से न तो निगम की ओर से आवारा पशु पकडऩे का काम हो रहा है और न ही इसका ठेका होने से आवारा पशुओं को पकडऩे के काम को गति मिल पा रही है। ऐसे में शहर में आवारा पशुओं की भरमार हो गई है।
गौशाला समिति पर नहीं है विश्वास
नगर निगम की ओर आवारा पशुओं की सार संभाल के लिये एक गौशाला का संचालन किया जा रहा है। जिसकी सार संभाल का ठेका बुली देवी सोहनलाल ओझा समिति की ओर से किया जा रहा है। लेकिन निगम और ठेका समिति में आपसी समन्वय नहीं होने के कारण गौवंश की दुर्दशा हो रही है। बताया जा रहा है कि भाजपा बोर्ड को इस समिति पर विश्वास नहीं है और वे नये ठेके के माध्यम से गौशाला का संचालन किये जाने की तैयारी की जा रही है। गौशाला को लेकर अनेक बार विवाद भी इसका मूल कारण बताया जा रहा है। इन सब के बीच में कही न कही शहर के लिये नासुर बनते जा रही यह समस्या आमजन को आहत पहुंचा रही है।
आखिर कौन है बाधक
नगर निगम में आवारा पशुओं के ठेके को लेकर राजनीतिक गलियारों में चर्चाएं भी जोरों पर है कि आखिर इसमें बाधक कौन बन रहा है। जहां विपक्ष महापौर पर सीधा आरोप लगाकर अपने चेहतों को नया ठेके दिलाने की बात कर रहा है। वहीं भाजपा पार्षद गौशाला ठेकेदार को इसका दोषी मान रहे है। ऐसे हालात में शहर में बढ़ते आवारा पशुओं से शहर के हालात बदहाल हो रहे है।


