नए साल में राक्षस नामक नवसंवत्सर बढ़ाएगा सोशल डिस्टेंसिंग

नए साल में राक्षस नामक नवसंवत्सर बढ़ाएगा सोशल डिस्टेंसिंग

जयपुर। नए साल यानी 2021 की शुरुआत नक्षत्रों के राजा पुष्य नक्षत्र और कन्या लग्न में होगी। इस बीच बुधादित्य योग भी बनेगा और कर्क राशि का चन्द्रमा रहेगा। कर्क राशि में विचरण करने वाला चन्द्रमा स्वराशि का होगा। ऐसे में नए साल की शुरुआत श्रेष्ठता लेकर आएगी। हालांकि नए साल में राक्षस नामक नवसंवत्सर खलल डालेगा। यह नवसंवत्सर वर्षा की कमी लाएगा, महामारी का प्रकोप भी रहेगा। सोशल डिस्टेंसिंग यानी सामाजिक दूरियां भी बढ़ाएगा।
पंडित बंशीधर पंचांग के ज्योतिषाचार्य दामोदर प्रसाद शर्मा ने बताया कि साल 2021 की शुरुआत पुष्य नक्षत्र में होगी, इस दौरान कर्क राशि का चन्द्रमा रहेगा, जो स्वराशि का चन्द्रमा कहलाता है। ऐसे में आने वाला साल सफलता दायक रहेगा। सरकारी योजनाओं का लोगों को लाभ मिलेगा। वहीं राक्षस नामक नवसंवत्सर श्रेष्ठता में कमी लाएगा, आम जनता की प्रवृति को प्रभावित करेगा, लोगों की भावनाएं ईष्यालु होगी। कोरोना का नया रूप सामने आ सकता है।
2021 में भी महामारी से जनता रहेगी त्रस्त
सम्राट पंचांग के ज्योतिषाचार्य डॉ. रवि शर्मा ने बताया कि नए साल 2021 की शुरुआत पुष्य नक्षत्र और कन्या लग्न में बुधादित्य योग के साथ होगी। पुष्य नक्षत्र 31 दिसम्बर शाम 7 बजकर 49 मिनट पर शुरू होगा, जो एक जनवरी शाम 8 बजकर 15 मिनट तक रहेगा। कन्या लग्न 31 दिसम्बर रात 11 बजकर 19 मिनट पर लगेगा, जो मध्यरात्रि एक बजकर 35 मिनट तक रहेगा। शुक्रवार से नए साल के आने से सुख-समृद्धि बढ़ेगी। 13 अप्रेल 2021 को राक्षस नामक नवसंवत्सर शुरू होगा, ये वर्षा की कमी यानी अतिवृष्टि और अल्पवृष्टि के योग बना रहा है। महामारी से जनता त्रस्त रहेगी। सामाजिक दूरियां बढ़ेगी।
2021 की ग्रह स्थिति भी संतोषजनक नहीं
ज्योतिषाचार्य डॉ. विनोद शास्त्री ने बताया कि 2021 में कुछ ग्रहों की विशेष घटनाएं घटित होगी। शनि और बृहस्पति मकर राशि में साथ—साथ रहेंगे, बृहस्पति अप्रेल में कुंभ राशि में चला जाएगा। उसके बाद 14 सितंबर को वापस मकर राशि में आएगा और फिर 20 नवंबर को पुन: कुंभ में जाएगा। शनि और बृहस्पति की युति कोरोना काल को कम करके फिर वापस बढ़ाएगी। 2021 में पूरी तरह से कोरोना का अंत नहीं होगा। मंगल राहू का षडाष्टक योग 4 दिसम्बर तक रहेगा, जो अनिष्टकारी है। विक्रम संवत के राजा और मंत्री एक होने से जनता में असंतोष तथा राजनैतिक उठापटक बढाएगा।
खत्म होगा संवत्सवर के नाम को लेकर मतभेद
गुरुधाम पंचांग के डॉ. नरोत्तम पुजारी ने बताया नवसंवत्सर के नाम को लेकर पिछले कुछ वर्षों से पंचांगकर्ताओं में मतभेद रहे है। जो नए साल में खत्म होंगे। संवत्सवर को आधार गुरुमान होता है, अत: गुरु की गति के अनुसार संवत्सर का निर्धारण होता है। संवत् 2077 में गुरु ने अतिचारवश तीन राशियों को स्पर्श किया, जिसके चलते वर्ष की शुरुआत के 11 दिन यानी 4 अप्रेल 2020 तक प्रमादी तथा इसके बाद आंनद नामक संवत्सर रहकर वर्ष समाप्ति से पहले यानी 31 मार्च 2021 को समाप्त हो गया। इसके बाद एक अप्रेल 2021 से राक्षस संवत्सवर शुरू हो जाएगा। जिससे आनंद संवत्सर लुप्त संवत्सर कहलाएगा। इस प्रकार विक्रमी संवत्सर 2078 में राक्षस नामक संवत्सर पूरे साल लागू रहेगा।

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