
सबसे बड़ा सवाल : रेल से कोरोना फैलता तो क्यों चल रही स्पेशल रेल-बसें-फ्लाइट





बीकानेर। क्या आप जानते हैं इस समय देश का सबसे बड़ा सवाल (biggest question) कौनसा है? चलो हम बता देते हैं, (biggest question) इस समय पूरा देश पूछ रहा है, नियमित रेलगाड़ियां कब चलेगी? यह सवाल (biggest question) कांग्रेस के सुप्रिमो रहे राहुल गांधी और सुपर स्टार सलमान खान की शादी से भी ज्यादा चर्चित होने लगा है। और तो और इसने बाहूबली फिल्म के बाद पूरे देश में पूछे गए (biggest question) सवाल , ‘कटप्पा ने बाहूबली को क्यों मारा’, को भी पीछे छोड़ दिया है। आज हर आम भारतीय नागरिक जानना चाहता है कि भारतीय रेलवे रेगुलर रेलगाड़ियां कब चलाएगा ? ट्रेनें कब पटरी पर लौटेगी ? नियमित सेवा क्यों शुरू नहीं की जा रही ? आपको बता दें कि फिलहाल लगभग 682 स्पेशल ट्रेनें, 42 क्लोन ट्रेन का संचालन किया जा रहा है। 24 मार्च 2020 को लाॅक डाउन से पहले देशभर में 13523 ट्रेनों का संचालन किया जा रहा था और इनमें लगभग दो-ढाई करोड़ लोग प्रतिदिन सफर कर रहे थे। नियमित रेलगाड़ियां कब शुरू होगी, इसका चेयरमैन रेलवे बोर्ड के पास भी कोई जवाब नहीं है।
रेल छोड़ सब चालू
biggest-question-01पूरे देश को इस बात पर आश्चर्य हो रहा है कि सभी काम सामान्य शुरू हो गए हैं। लाॅकडाउन के बाद बेटरी हुई जिन्दगी सामान्य हो चली है। सभी राज्यों की बसें चल रही है। सभी निजी बसों का परिचालन बेधड़क हो रहा है। हवाई जहाज 80 प्रतिशत क्षमता के साथ हवा में उड़ रहे हैं। ग्राम पंचायत से लेकर विधायक-सांसद तक सभी प्रकार के चुनाव हो रहे हैं। सिर्फ स्कूल-काॅलेज को छोड़कर सभी काम चल रहे है। रेगुलर रेलगाड़ियां (regular trains) नहीं चल रही। ऐसा नहीं है कि रेलगाड़ियों के चलने कोरोना फैलेगा। यदि ऐसा होता तो स्पेशल रेलगाड़ियां और फेस्टिवल ट्रेन भी नहीं चलाई जाती। जिन शर्तों और एहतियात के साथ लगभग 700 स्पेशल ट्रेन (special trains) चलाई जा रही है, उसी बेस पर नियमित रेलगाड़ियां भी चलाई जा सकती है।
biggest question-3बंद होगी घाटे वाली ट्रेनें
यूं भी रेलवे ने इस लाॅकडाउन अवधि में पूरे नेटवर्क का खाता खंगाल लिया है। इनमें कौनसी ट्रेन फायदे की है, कौनसी ट्रेन घाटे में चल रही है, इसके आंकड़े एकत्रित कर पूरा विश्लेषण कर लिया गया है। अब कुछ ट्रेनों को अपग्रेड कर दिया जाएगा और कुछ ट्रेनों को स्थायी रूप से बंद कर दिया जाएगा। लगभग दस हजार से ज्यादा छोटे स्टेशनों के स्टाॅपेज बंद कर नया पैटर्न शुरू किया जा सकता है। लगातार इस बात का रोना रोया जा रहा है कि रेलवे के पास अपने कर्मचारियों को पेंशन देने के लिए पैसे नहीं हैं। यह भी खबर है कि सरकार लंबी दूरी की ट्रेनों के पड़ाव कम करने पर विचार कर रही है। जीरो बेस्ड टाइम टेबल की चर्चा हो रही है, जिसके मुताबिक दो सौ किलोमीटर तक अगर ट्रेन के रूट पर कोई बड़ा शहर नहीं है तो ट्रेनें उस बीच किसी स्टेशन पर नहीं रूकेंगी। ऐसा ट्रेनों को समय पर चलाने के नाम पर किया जाना है। इस तरह का कोई भी फैसला आम लोगों के लिए परेशानी कई गुना बढ़ाने वाला होगा।
extensionनिजीकरण को बढ़ावा तो नहीं
नियमित रेलगाड़ियां शुरू नहीं करके केन्द्र सरकार कोविड को कहीं चांस तो नहीं बना रही। रेलवे में निजीकरण करने के लिए इससे बढ़िया अवसर नहीं मिलेगा, क्या इसी सोच ने रेल के पहिए जाम कर रखे हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और रेल मंत्री पीयूष गोयल सदा यह कहते रहे हैं कि रेलवे का निजीकरण नहीं होने दिया जाएगा। किसी भी सूरत में। कभी भी नहीं। और बाद में 150 रेलगाड़ियों को निजी आॅपेरटर्स के हवाले करने की खबरें आती है। तेजस, वन्देभारत समेत कई रेलों को निजी कम्पनियां चलाएंगी। कुछ रूट्स पर तो कम्पनियों को रेलगाड़ियां चलाने की अनुमति भी दे दी गई। रेलवे इस बात पर भी विचार कर रहा है कि कम से कम कितनी रेलगाड़ियों को चलाने से काम चल सकता है। कामचलाउ ट्रेनों को हरी झण्डी दिखाकर ज्यादा से ज्यादा कितनी रेलगाड़ियां बंद की जा सकती है। कहीं ऐसा तो नहीं है कि सरकार रेलवे की सेवाओं को कम करके, ट्रेनों की संख्या घटा कर, स्टॉपेज कम करके, कर्मचारियों की संख्या घटा कर यानी रेलवे की सेहत सुधार कर उसे निजी हाथों में सौंपने की तैयारी कर रह रही है? अभी भारतीय रेलवे का परिचालन घाटे का सौदा है

