सरकार के आदेश पर तलख हुए पटाखा व्यवसायी,प्रदर्शन कर जताया रोष,देखे विडियो

सरकार के आदेश पर तलख हुए पटाखा व्यवसायी,प्रदर्शन कर जताया रोष,देखे विडियो

खुलासा न्यूज,बीकानेर। राज्य सरकार द्वारा पटाखा व आतिशबाजी पर लगाई रोक के विरोध में बीकानेर फायर वक्र्स एसोसिएशन लामबद्व हो गई है और आन्दोलन के जरिये सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। जिसके तहत पटाखा व्यापारियों ने मंगलवार को जिला कलेक्ट्रेट पर प्रदर्शन कर अपना रोष जताया। इस दौरान व्यापारियों ने पटाखा पर प्रतिबंद को सरकार का तुगलगी फरमान बताते हुए 450 लोग स्थाई व अस्थाई रूप से इस व्यापार से जुड़े लोगों के रोजी रोटी पर संकट बताया। एसोसिएशन के सचिव विरेन्द्र किराडू ने बताया कि सरकार के इस आदेश से बीकानेर में पटाखा व्यापारी को 10 करोड़ रुपये का नुकसान होगा। उन्होंने बताया कि कोरोना महामारी के चलते मंदी की मार झेल रहे पटाखा व्यापारी इस आस में थे कि दिवाली पर व्यापार में तेजी आएगी जिससे आर्थिक स्थितियां सुधरेगी, लेकिन सरकार ने दिवाली के 10 दिन पहले बैन लगाकर व्यापारियों की कमर तोडऩे का काम किया है। एसोसिएशन ने जिला कलेक्टर के मार्फत मुख्यमंत्री को ज्ञापन लिखकर इस बैन को तुरंत प्रभाव से हटाकर व्यापारियों को राहत देने की मांग की है। उन्होंने बताया कि जब तक हमारी मांग की सुनवाई नहीं होती तब तक हमारा आंदोलन जारी रहेगा।

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ये दिये है तर्क
-सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार 2015 से समस्त राजस्थान व भारत के 5000 फैक्ट्रियां वैज्ञानिक संस्थान नीरि के आदेशानुसार नये केमीकल फॉमूर्ले के तहत ग्रीन पटाखों का निर्माण करने तथा मापदण्डों के अनुसार ग्रीन पटाखें की आपूर्ति कर रहे है। ग्रीन पटाखों में जो केमीकल उपयोग किए जाते है व किसी भी प्रकार से स्वास्थ्य के लिए हानिकारक नहीं है और किसी भी प्रकार से पर्यावरण को प्रदूषित नही करते है।
-पटाखों के कारण कोरोना वृद्धि का हवाला दिया जा रहा है। जबकि पटाखे जलाने से तो वातावरण में मौजूद कई तरह के हानिकारक तत्व नष्ट हो जाते है। पटाखे जलाने से 03 प्रदूषण स्तर आता है जिससे किसी के स्वास्थ्य पर कोई असर नहीं पड़ता है और पिछले दो वर्षो से ग्रीन पटाखों का चलन ज्यादा बढ़ गया है। जो पूर्णतया इको फ्रेडली है। पटाखे खुशियां और त्यौहार मनाने का जरिया ही नहीं है, अपितु एक उद्योग है जिससे लाखों लोग रोजगार प्राप्त कर रहे है और अपने परिवार का भरण-पोषण कर रहे है।
-दिवाली पर पटाखे कभी भी मेले व मैदानों पर कभी भी सामूहिक रूप से नही चलाये जाते है बल्कि एकल रूप से घरों में अथवा घर की छतों पर तथा घर के बाहर चलाये जाते है। जिससे यह स्वत: ही सोशल डिस्टेस्टिग की पालना होती है।
-दिल्ली को भारत के सबसे अधिक प्रदूषित शहरों में माना जाता है जबकि दिल्ली में भी पटाखों का क्रय-विक्रय निरी के मापदण्डों के अनुसार अनवरत जारी है। दिल्ली ही नहीं अपितु भारत के सभी शहरों में पटाखों का क्रय-विक्रय उपयोग -सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार सुरक्षित मापदण्डों की पालना करते हुए अनवरत रूप से जारी है।
पटाखा व्यवसाय का भारतीय राजस्व में बहुत बड़ा योगदान है और यह व्यवसाय शुरूआत से ही सरकार को काफी अधिक राजस्व देने वाले व्यवसायों में रहा है।

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