मेयर-आयुक्त विवाद के कारण अटकी नगर निगम की बैठक

मेयर-आयुक्त विवाद के कारण अटकी नगर निगम की बैठक

भरतपुर। पिछले लंबे समय से नगर निगम के मेयर व आयुक्त के बीच चल रहा विवाद एक बार फिर सुर्खियों में आ गया है। हुआ यूं कि एक बार फिर से भाजपा पार्षदों ने जिला कलक्टर नथमल डिडेल को ज्ञापन देकर अवगत कराया है कि निगम के बोर्ड को गठित हुए 11 माह का समय गुजरने के बाद भी हालात जस के तस बने हुए हैं। साधारण सभा की अब तक सिर्फ दो ही बैठक हुई हैं। जिला कलक्टर ने पूरा प्रकरण जानने के बाद जल्द ही निस्तारण किया जाएगा। उल्लेखनीय है कि करीब मार्च माह से ही नगर निगम में आपसी खींचतान के कारण विकास कार्यों पर प्रभाव पड़ रहा है। जहां एक पक्ष का आरोप है कि मेयर हर फाइल पर कोई न कोई नोट लगाकर अनावश्यक टिप्पणी कर रहे हैं तो मेयर पक्ष का कहना है कि जिन फाइलों में कथित गड़बड़ी की आशंका लग रही है उन्हीं की जांच कराने या फिर तथ्यों के सत्यापन के लिए लिखा गया था। वहीं पिछले कुछ दिन से यह मामला शांत चल रहा था, लेकिन भाजपा पार्षदों के अचानक ज्ञापन देने के बाद इसमें एक और नया मोड आ गया है। ज्ञापन में उल्लेख किया है कि निगम के सदन को गठित हुए करीब 11 माह का समय व्यतीत हो चुका है। नियमानुसार अभी तक साधारण सभा की करीब पांच बैठक हो जानी चाहिए थी, लेकिन अभी तक केवल दो ही बैठक हो सकी हैं। पिछले कई महीनों से धारा 144 लगने व कोरोना महामारी के चलते बैठक करने में असमर्थता जताई गई थी। वर्तमान में मेयर व आयुक्त के आपसी टकराव के कारण बैठक नहीं हो पा रही है। निगम में अराजकता जैसा माहौल है। इससे सभी पार्षद व शहर का आमजन खुद को ठगा सा महसूस कर रहा है। निगम के प्रभावशाली संचालन के लिए नियमित बैठकें होना आवश्यक है क्योंकि बोर्ड में ही शक्ति निहित है। इससे आमजन के मुद्दों पर चर्चा होकर प्रभावी निर्णय हो सके और आमजन को राहत प्रदान हो सके। कुछ दिनों के बाद दीपावली का त्यौहार आने वाला है। शहर की हालत बद से बदतर बनी हुई है। रोशनी व्यवस्था चौपट है। सफाई न होने से शहर सड़ रहा है। शहर की जनता आवारा गौवंश, बंदर, श्वान, सुआर आदि के आतंक से पीडि़त है। शहर का ड्रेनेज सिस्टम ध्वस्त हो चुका है। निर्माण कार्यों की स्थिति खराब है। सीवरेज की अव्यवस्थित खुदाई होने के कारण आए दिन दुघर्टनाएं होती रहती है। आमजन को कृषि भूमि स्टेट ग्रांट के पट्टे नहीं मिल पा रहे हैं। ज्ञापन में पार्षद निधि कोष का गठन करने, सफाई ठेका वार्डवाइज कराकर प्रत्येक बीट पर सफाईकर्मी लगाने, किला स्थित टाउन हॉल को खाली कराने आदि मांग की गई हैं। प्रतिनिधिमंडल श्यामसुंदर गौड़, रूपेंद्र सिंह, सुधा शर्मा, रामवीर सिंह आदि शामिल थे।
11 माह में निगम की सिर्फ दो बैठक
नगर निगम की पहली बैठक 27 दिसंबर 2019 को हुई थी। जो कि सिर्फ परिचय और स्वागत में ही निकल गई थी। इसके बाद 10 फरवरी 2020 को हुई बैठक में बजट के अलावा कुछ मुद्दों पर मंथन हुआ था। कोरोनाकाल के बीच चार महीने तक कोई बैठक नहीं हो सकी। ऐसे में पार्षदों की ओर से लगातार बैठक बुलाने की मांग की जा रही है। इससे पहले भाजपा पार्षदों ने 17 अगस्त को भी इस मामले को लेकर ज्ञापन दिया था।

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