
ऑक्सफोर्ड की वैक्सीन पर बड़ी खबर, जानें कबतक मिलेगी मंजूरी, कब से शुरू होगा टीकाकरण




कोराना वायरस के बढ़ते संक्रमण के बीच दुनियाभर के देशों को इसकी एक ऐसी वैक्सीन की इंतजार है, जो कोविड के खिलाफ कारगर हो और सुरक्षित भी हो। रूस और चीन ने वैक्सीन तो बना ली है, लेकिन व्यापक पैमाने पर टीकाकरण के लिए अबतक उपलब्ध नहीं हो पाई है। ऐसे में लोगों को इंतजार है कि जल्द किसी कारगर वैक्सीन को हरी झंडी मिले और लोगों के टीकाकरण के लिए उपलब्ध हो। इसी इंतजार के बीच कोरोना वायरस वैक्सीन की रेस में आगे चल रहे ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी की वैक्सीन पर लंदन से बड़ी खबर सामने आ रही है। ब्रिटेन की मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, जल्द ही वैक्सीन को स्वास्थ्य नियामकों द्वारा मंजूरी दी जा सकती है। इसके बाद टीकाकरण कार्यक्रम भी शुरू किया जाएगा। आइए जानते हैं इस बारे में विस्तार से:
ब्रिटिश मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, इस साल के अंत तक कोरोनो की वैक्सीन को स्वास्थ्य नियामकों द्वारा हरी झंडी मिल सकती है। इसके बाद छह महीने या उससे भी कम समय में टीकाकरण कार्यक्रम चलाया जाएगा। द टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक, दिसंबर में क्रिसमस तक इस वैक्सीन को मंजूरी दी जा सकती है। बता दें कि ऑक्सफोर्ड के वैज्ञानिकों द्वारा फार्मास्यूटिकल दिग्गज कंपनी एस्ट्राजेनेका के साथ मिलकर यह वैक्सीन तैयार की जा रही है, जो कि अंतिम चरण के ट्रायल से गुजर रही है।
द टाइम्स ने वैक्सीन निर्माण और वितरण से जुड़े ब्रिटेन के सरकारी सूत्रों के हवाले से बताया है कि टीकाकरण के एक रोल-आउट कार्यक्रम में वैक्सीन के मंजूरी मिलने के बाद छह महीने या उससे कम समय लग सकता है। एक सरकारी सूत्र ने अखबार से कहा कि हम करीब छह महीना मानकर चल रहे हैं, हालांकि इससे कम ही समय लगने की संभावना है।
वैक्सीन और टीकाकरण से जुड़ी ब्रिटेन की एक संयुक्त समिति द्वारा तैयार प्रोटोकॉल के तहत, मंजूरी मिलने के बाद कोई भी वैक्सीन पहले 65 से अधिक उम्र के लोगों को लगाई जाएगी। इसके बाद उच्च जोखिम (High Risk) वाले लोगों को दी जाएगी। इनमें अल्पसंख्यक और गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रहे लोग शामिल होंगे। 50 से अधिक उम्र वाले बुजुर्ग और बाकी युवाओं को इसके बाद वैक्सीन दी जाएगी। फिलहाल बच्चों को इस टीकाकरण कार्यक्रम से बाहर रखा गया है।
ब्रिटिश सरकार ने टीकाकरण के रोल-आउट कार्यक्रम तैयार होते ही 100 मिलियन खुराक तैयार करने का आदेश दिया है। जैसे ही वैक्सीन सभी चरणों के ट्रायल में सफल हो और तमाम विनियामक नियमों को पास होने के दौरान ही वैक्सीन का उत्पादन जारी रहेगा, ताकि समय की बचत हो सके।
इंपीरियल कॉलेज, लंदन में केमिकल इंजीनियरिंग के प्रमुख प्रोफेसर निलय शाह के मुताबिक, वैक्सीन उपलब्ध होने का मतलब यह नहीं कि एक महीने के भीतर सबको टीका लगाया जाएगा। हम वैक्सीन को मंजूरी दिए जाने के छह से नौ महीने से लेकर एक साल बाद तक की बात कर रहे हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि सरकार की ओर से टीकाकरण को लेकर स्वास्थ्य कर्मचारियों का एक बड़ा समूह बनाया जायेगा। इसके साथ ही ड्राइव-थ्रू टीकाकरण केंद्रों की स्थापना की जाएगी।
वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि इस वैक्सीन से 50 फीसदी संक्रमण को रोकने में सफलता मिलेगी। एक बार नियामक से वैक्सीन को मंजूरी मिलने के बाद नेशनल हेल्थ सर्विस (एनएचएस) से तुरंत सामूहिक टीकाकरण शुरू करने के लिए कहा जा सकता है। हालांकि ब्रिटिश सरकार में प्रत्येक वयस्क के टीकाकरण की समयावधि को लेकर थोड़ा मतभेद है।




