
बीकानेर के मंत्रियों से उठता जा रहा है आमजन का विश्वास !





खुलासा न्यूज,बीकानेर। भुजिया-रसगुल्ला व अपनी अलमस्ती के लिये विश्व विख्यात बीकानेर के लोग अब भगवान भरोसे है। कारण है कि जिन पर भरोसा कर जनता ने राज का हिस्सा बनाया था आज वे ही संकट के समय में जनता से मुंह मोडे हुए है। हालात यह है कि पीडि़त जनता अब सोशल मीडिया पर ही अपनी टीस निकालकर मन को दिलासा दे रही है। पिछले कई दिनों से सोशल मीडिया पर बीकानेर जिले का केन्द्र व राज्य में प्रतिनिधित्व करने वालों को संकट की घड़ी में अकेला छोडऩे की बातें कर रहे है। हालात यह है कि अपने सरकारी आवासों में भी बैठकर ये मंत्री प्रभावी मॉनिटरिंग नहीं कर पा रहे है। लोगों का आरोप है कि जिन विश्वास के साथ उन्होंने संसदीय व विधानसभा का प्रतिनिधित्व दिया था। उस पर हमारे माननीय खरे नहीं उतर रहे है। मंजर तो यह है कि कोरोना काल के इस संकट में महज दो से तीन बार ही अपने क्षेत्रों में माननीयों का आना हुआ।
क्या वेतन के लिये भी रोना पड़ेगा मंत्रीजी?
इंजीनियरिंग कॉलेज के कर्मचारियों ने विधानसभा चुनावों में इस विश्वास से वोट दिया कि मंत्रीजी की कलम में स्याही आने पर उनकी कलम से उज्ज्वल भविष्य की तकदीर लिखेंगे। लेकिन पिछले डेढ साल में स्थायित्व की बात तो दूर यहां काम करने वालों को वेतन के भी लाले पड़ गये। कॉलेज के शैक्षणिक व गैर शैक्षणिक कर्मचारियों को जनवरी से अब तक महज एक ही महीने का वेतन मिला है। शुक्रवार को जब इंजीनियरिंग कॉलेज के कार्मिक ने सोशल मीडिया पर रोते हुए अपना विडियो वायरल किया। जिसमें उसने वेतन न मिलने के कारण किस तरह उनका गुजारा हो रहा है। इसका रोना रोया तो कॉलेज प्रबंधन हरकत में आया और महज एक माह का वेतन देकर इतिश्री कर ली। अब अशैक्षणिक कर्मचारी संघ के अध्यक्ष संतोष पुरोहित ने मंत्रीजी से सवाल किया है कि क्या वेतन लेने के लिये रोना पड़ेगा? पुरोहित ने कहा कि जिले के विकास की बाते करने वाले उर्जा व उच्च शिक्षा राज्य मंत्री के कानों तक सोशल मीडिया या मीडिया में समाचार छपने के बाद ही बातें पहुंचती है तो यह विडम्बना है। एक अन्य कार्मिक ने अपना नाम न छापने की शर्ते पर कहा कि ऐसे में बीकानेर से प्रतिनिधित्व कर रहे केन्द्रीय मंत्री,उर्जा मंत्री व उच्च शिक्षा राज्यमंत्री का शहरवासी भार ढो रहे है। उन्हें जनता के सुख दुख से कोई सरोकार नहीं है।
मौत का पर्याय बनता पीबीएम !
उधर कोरोना संक्रमितों के नित्य प्रतिदिन मामले बढ़ते जा रहे है। संक्रमण के अलावा मौत का आंकड़ा भी कम नहीं हो रहा है। अगर आंकड़ों की ओर नजर डाले तो अगस्त में जहां 41 मौतें हुई तो सितम्बर के 18 दिनों में ही 28 मौतें हो चुकी है। यहीं नहीं कोविड सेन्टरों के हालात किसी से छिपे हुए नहीं है। जिसको लेकर भी रोजाना फेसबुक पर जंग छिड़ी रहती है। सोशल मीडिया पर लोग अपने मंत्रियों को कोसते हुए कहते नजर आते है कि चाहे अर्जुनराम मेघवाल हो या डॉ बी डी कल्ला अथवा भंवरसिंह भाटी। इनको अपने बीकानेर से कोई लेना देना नहीं है। केवल फोन कॉल के जरिये ही यहां के प्रशासनिक अधिकारियों को हड़काते है। कोविड सेन्टर में इलाज न मिलने से पीडि़त सतीश ने खुलासा को बताया कि बीकानेर का पीबीएम धरती के भगवान नहीं बल्कि वास्तविक के भगवान भरोसे ही चल रहा है। ऑक्सीजन बदलने से लेकर,यहां भर्ती मरीजों की देखरेख में हमेशा लापरवाही होती है। कभी साफ सफाई तो कभी खाने की गुणवता पर सवाल उठते है। मरीजों को दी जाने वाले नाश्ते से भी आधे मरीजों को दूध नहीं मिलने की शिकायतें आने की खबरें छपती है तो प्रशासन की नींद खुलती है। वो भी कुछ घंटों के लिये। मरीज घनश्याम बताते है कि आज तक बीकानेर के इन मंत्रियों ने कोविड सेन्टरों का निरीक्षण नहीं किया। महज कागजी आदेश देकर इतिश्री कर ली। ऐसे में आम जनता इन नेताओं पर किस तरह भरोसा करें। लगता है ये रक्षक ही हमारे भक्षक बनते जा रहे है।
बिलों पर भी बवाल
वहीं एक समाजसेवी किशन ओझा भी एक विडियो के जरिये बिलों पर बवाल कर मंत्रीजी पर अपनी खीस निकालते नजर आ रहे है। तो राज्य की कांग्रेस सरकार के एक नेता व कार्यकर्ता भी कोरोना के बाद बेहाल बीकानेर की सुध नहीं लेने पर अपने व विपक्षी मंत्री को कोसने से बाज नहीं आ रहे है।


