
भाजपा प्रदेश कार्यकारिणी व मोर्चा-प्रकोष्ठों के गठन को लेकर आई ये खबर





जयपुर। भारतीय जनता पार्टी की नई केंद्रीय कार्यकारिणी और राजस्थान में मोर्चा-प्रकोष्ठों की घोषणा का इंतज़ार बढ़ता ही जा रहा है। पार्टी सूत्रों की माने तो दोनों स्तर पर ही नई टीमों को लेकर मशक्कत पूरी कर ली गई है, अब बस किसी भी समय घोषणा होनी बाक़ी है।गौरतलब है कि भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने के बाद से ही जेपी नड्डा की नई कार्यकारिणी और प्रदेश भाजपा अध्यक्ष की कमान संभालने के बाद से डॉ सतीश पूनिया की विभिन्न मोर्चे-प्रकोष्ठों को लेकर घोषणा प्रस्तावित है। सस्पेंस और दिलचस्पी इस वजह से भी है कि नड्डा और पूनिया में से पहले किसकी टीम की घोषणा होती है।
श्राद्ध पक्ष ख़त्म होने के बाद होगी घोषणा !
भाजपा के विश्वस्त सूत्रों की माने तो नड्डा और पूनिया की संगठनात्मक नई टीमों की घोषणा श्राद्ध पक्ष के बाद होंगी। ऐसे में इन टीमों में जगह बनाने की बाट जोह रहे नेताओं को कुछ वक्त का इंतज़ार और करना पड़ सकता है। श्राद्ध पक्ष 17 सितम्बर तक चलेंगे, ऐसे में मान सकते हैं कि इससे पहले केंद्रीय कार्यकारिणी और प्रदेश भाजपा के मोर्चे-प्रकोष्ठों की घोषणा इसके बाद होना संभावित है।
लॉबिंग का मिल रहा ‘अतिरिक्त मौका
नड्डा और पूनिया की टीमें वैसे लगभग बनकर तैयार हो गई हैं। हालांकि इनमें भी आखिरी समय में कुछ बदलाव होने से इनकार नहीं किया जा सकता। पूनिया टीम के मोर्चे-प्रकोष्ठों को लेकर अंतिम मुहर राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा को ही लगानी है। ऐसे में विभिन्न पदों पर नियुक्ति पाने की हसरत लिए नेता अब भी लॉबिंग करने में लगे हुए हैं।
ऐसे में ज़ाहिर है कि घोषणा में जितनी देरी हो रही है नेताओं को अपनी लॉबिंग मजबूत करने का उतना ज़्यादा अतिरिक्त मौक़ा मिल रहा है। प्रदेश टीम में जगह बनाने के लिए भी कई नेता केंद्रीय स्तर के नेताओं तक पहुँच बैठा रहे हैं।
‘बुज़ुर्ग होंगे साइडलाइन, ‘युवाओं को मिलेगा मौका!
पार्टी सूत्रों की माने तो राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा अपनी प्रस्तावित नई कार्यकारिणी में युवाओं को ज्यादा तरजीह दे सकते हैं। ऐसे में उम्रदराज हो चुके नेताओं के कार्यकारिणी में शामिल होने की संभावना कम दिखाई दे रही है। हालांकि युवा में भी अनुभवी युवा श्रेणी के नेताओं को मौका दिया जा सकता है। कुछ ऐसी ही तस्वीर प्रदेश के मोर्चे-प्रकोष्ठों पर भी दिख सकती है।
‘एक व्यक्ति, एक पद के सिद्धांत होगा लागू!
संभावना इस बात की भी बनी हुई है कि नड्डा की नई कार्यकारिणी में ‘एक व्यक्ति, एक पदÓ के सिद्धांत को अमल में लाया जाएगा। कार्यकारिणी में उन्हीं नेताओं को शामिल किया जाएगा जो सरकार में शामिल ना हों। वहीं कुछ नेताओं को संगठन से सरकार में भेजे जाने और सरकार से संगठन में भेजे जाने को लेकर भी चर्चा है।
संसदीय बोर्ड की भी होनी है घोषणा
नड्डा की नई कार्यकारिणी के अलावा केंद्रीय संसदीय बोर्ड की घोषणा भी लंबित है। नए प्रस्तावित संसदीय बोर्ड में भी बड़े बदलाव होने की संभावना है। दरअसल, इसके पीछे वजह भी है। बोर्ड के सदस्य रहे वेंकैया नायडू उपराष्ट्रपति बन चुके हैं, जबकि अरुण जेटली, सुषमा स्वराज और अनंत कुमार का निधन हो चुका है। ऐसे में नए संसदीय बोर्ड का स्वरूप काफी बदला हुआ होगा।
इन मोर्चे-प्रकोष्ठों में होने हैं बदलाव
जिन मोर्चे-प्रकोष्ठों में बदलाव होने हैं उनमें युवा मोर्चा और महिला मोर्चा के अलावा ओबीसी, एससी, एसटी मोर्चा, अल्पसंख्यक, किसान मोर्चा में भी प्रमुख रूप से बदलाव होना है। इनके अलावा करीब डेढ़ दर्जन विभाग पार्टी में बने हुए हैं, इनमें भी बदलाव को लेकर पार्टी पूरी तैयारी कर चुकी है। लंबे समय से इनमें बदलाव नहीं किया गया था।


