
वसुंधरा राजे की नाराजगी दूर करने में जुटी भाजपा, संकेत तो यही मिल रहे हैं





जयपुर। विधानसभा चुनाव में हार के बाद राजस्थान की राजनीति से पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे दूर नजर आ रही थी। राजस्थान की राजनीति में पिछले दिनों हुए सियासी घटनाक्रम में उनकी चुप्पी भी चर्चा का विषय बनी रही। इस दौरान भाजपा की प्रदेश कार्यकारिणी की घोषणा हुई और इसमें भी वसुंधरा राजे को दरकिनार कर दिया गया, लेकिन पिछले कई दिनों से जयपुर में डटी राजे के तेवरों से एक बार फिर उनके राजस्थान में सक्रिय होने के संकेत मिल रहे हैं। उनके आवास पर लगातार विधायकों, सांसदों के साथ ही प्रदेश की नई कार्यकारिणी की सदस्यों का पहुंचना जारी है। यही नहीं संगठन महामंत्री चंद्रशेखर भी उनके घर जाकर मुलाकात कर चुके हैं। ये सब राजे के दिल्ली प्रवास के बाद नजर आने लगा है। जयपुर आने से पहले राजे ने दिल्ली में रहकर राष्ट्रीय अध्यक्ष जे.पी. नड्डा, बी.एल. संतोष और रक्षामंत्री राजनाथ सिंह से मुलाकात की। यही नहीं उन्होंने राजस्थान के सियासी घटनाक्रम में उनकी चुप्पी को मुद्दा बनाने पर भी नाराजगी जताई और साथ ही विधायकों को गुजरात शिफ्ट करने को भी गलत बताया। इधर उनके समर्थक नेताओं ने जयपुर में मोर्चा खोलकर प्रदेश नेतृत्व पर उनकी अनदेखी का आरोप लगाया। पार्टी की गुटबाजी से राष्ट्रीय नेतृत्व भी चिंतित है। राजस्थान में इतना बड़ा सियासी घटनाक्रम होने के बाद भी कांग्रेस सरकार बच गई। इसके पीछे गुटबाजी को ही वजह माना जा रहा है।मगर राष्ट्रीय नेतृत्व के निर्देश पर मंगलवार को उनका प्रदेश कार्यालय पहुंचकर दो घंटे तक वार्ता करने के बाद यह बात साफ हो गई है कि पार्टी उनकी नाराजगी को दूर करना चाहती है। यही वजह है कि सतीश पूनियां के साथ चल रही उनकी अदावत को कम करने के लिए राष्ट्रीय सह संगठन मंत्री वी. सतीश, संगठन महामंत्री चंद्रशेखर ने सेतु के रूप में काम करना शुरू कर दिया है। पहली बैठक में उन सभी मुद्दों को लेकर चर्चा हुई, जिन्हें लेकर वो लगातार आपत्ति दर्ज करा रही थी प्रदेश कार्यकारिणी में उन्हें दरकिनार करने किया गया। मगर अब प्रदेश कार्यसमिति का गठन किया जाना बाकी है। इस बैठक में उनके शामिल होने से साफ हो गया है कि कार्यसमिति में उनको भी भागीदारी मिलेगी। मोर्चा, विभाग के गठन में उनकी राय को भी सुना जाएगा। ताकि संगठन से चल रही उनकी नाराजगी को दूर किया जा सके आने वाले दिनों में निकाय और पंचायतों में चुनाव होने हैं। पार्टी चाहती है कि ज्यादा से ज्यादा जगहों पर भाजपा को जीत मिले। लेकिन यह बिना संगठन की मजबूती के नहीं हो सकता। वसुंधरा राजे इन चुनाव में अहम कड़ी है, इसलिए पार्टी चाहती है कि एकजुटता के साथ यह चुनाव लड़े जाएं, ताकि 2023 के विधानसभा चुनाव में भाजपा फिर से राजस्थान में सरकार बनाए।

