
कॉलेजी विद्यार्थियों को प्रमोट करने को लेकर आई बड़ी खबर






नई दिल्ली। कोरोना को देखते हुए नए शिक्षा में राजस्थान विश्वविद्यालय और संघटक कॉलेजों में ऑनलाइन एडमिशन की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। राजस्थान विश्वविद्यालय ने प्रथम वर्ष, द्वितीय वर्ष और पीजी विभागों में अध्ययनरत सेकंड सेमेस्टर के विद्यार्थियों को प्रोविजनल रूप से अगली कक्षा में अस्थाई क्रमोन्नत के लिए री एडमिशन फॉर्म भरवाए थे, लेकिन अब राज्य सरकार ने छात्रों को प्रमोट करने के निर्देश जारी किए हैं। सरकार ने वार्षिक या सेमेस्टर की परीक्षाएं आयोजित करने में असमर्थ रहने पर परीक्षार्थियों को 50फीसदी अंक पिछले साल या समस्या के आधार पर, जबकि 50 फीसदी इंटरनल एसेसमेंट के जरिए जारी कर अगली कक्षा में प्रमोट करने के निर्देश दिए गए हैं। वहीं प्रथम वर्ष के विद्यार्थियों को दसवीं और बारहवीं कक्षा के प्राप्तांक के आधार पर अंक देने के निर्देश दिए हैं। कॉलेज शिक्षा के संयुक्त निदेशक बीएल शर्मा ने बताया कि विश्वविद्यालय अनुदान आयोग की परीक्षाओं की कार्य योजना से संबंधित समिति का परामर्श है कि यदि विश्वविद्यालय सेमेस्टर की परीक्षाएं आयोजित करने में असमर्थ है, तो ऐसी स्थिति में भी परीक्षार्थियों को 50 फीसदी अंक पिछले वर्ष में प्राप्त अंकों के आधार पर और 50 फीसदी अंक आंतरिक मूल्यांकन के आधार पर प्रदान कर, अगली कक्षा में प्रमोट करे
सुझाव नियमित स्वयंपाठी और पूर्व छात्र वर्गों के विद्यार्थियों पर होंगे लागू वहीं प्रथम वर्ष के विद्यार्थियों को दसवीं और बारहवीं कक्षा के प्राप्तांक के औसत के आधार पर अंक दिए जा सकते हैं। स्नातक द्वितीय वर्ष के विद्यार्थियों को प्रथम वर्ष में अर्जित अंकों के आधार पर और 5फीसदी बोनस अंक देकर प्रमोट किया जा सकता है, जबकि अंतिम वर्ष,टर्मिनल सेमेस्टर के परिसर, संघटक महाविद्यालयों और संबद्ध महाविद्यालयों में नियमित, स्वयंपाठी सभी वर्गों के विद्यार्थियों के मूल्यांकन के लिए निर्धारित की गई व्यवस्था से विभाग को अवगत कराएं। इसके अलावा स्नातकोत्तर पूर्वाद्र्ध के विद्यार्थियों को लघु शोध प्रबंध या असाइनमेंट देकर अंक आवंटित किए जा सकते हैं। इसके बाद भी यदि कोई विद्यार्थी उपयुक्त निर्धारित प्रणाली से प्राप्त अंकों से संतुष्ट नहीं है, तो उसे स्थिति सामान्य होने पर आगामी परीक्षा में अंक सुधार के लिए अवसर दिया जा सकता है। वहीं विधि संकाय में बार काउंसिल ऑफ इंडिया के दिशा निर्देशों की पालना की जानी है, जबकि 1 वर्षीय डिप्लोमा कोर्सेज में परिस्थितियां अनुकूल होने पर परीक्षा आयोजित करवाई जाएगी। राज्य सरकार की ओर से दिए गए ये सुझाव नियमित स्वयंपाठी और पूर्व छात्र वर्गों के विद्यार्थियों पर लागू होंगे।


