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मुख्यमंत्री गहलोत के बयान से राज्यपाल आहत, कहा- किसी CM से मैंने ऐसा बयान नहीं सुना

  • राज्यपाल कलराज मिश्रा ने सीएम गहलोत को लिखा पत्र
  • ‘गृह मंत्रालय राज्यपाल की सुरक्षा भी नहीं कर सकता क्या’

राजभवन में कांग्रेस विधायकों के धरने पर राज्यपाल कलराज मिश्रा ने राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत को पत्र लिखा है. कलराज मिश्रा ने कहा कि आप और आपका गृह मंत्रालय राज्यपाल की सुरक्षा भी नहीं कर सकता है क्या. राज्य में कानून- व्यवस्था की स्थिति पर आपका क्या मत है.

राज्यपाल ने कहा कि इससे पहले कि मैं विधानसभा सत्र के संबंध में विशेषज्ञों से चर्चा करता, आपने सार्वजनिक रूप से कहा कि यदि राजभवन घेराव होता है तो यह आपकी जिम्मेदारी नहीं है. कलराज मिश्रा ने कहा कि मैंने कभी किसी मुख्यमंत्री का ऐसा बयान नहीं सुना.

सीएम को लिखे खत में कलराज मिश्रा ने कहा कि राज्यपाल की सुरक्षा के लिए किस एजेंसी से संपर्क किया जाना चाहिए? क्या यह एक गलत प्रवृत्ति की शुरुआत नहीं है, जहां विधायक राजभवन में विरोध प्रदर्शन करते हैं?

अपने पत्र में कलराज मिश्रा आगे लिखते हैं कि राज्य सरकार के जरिए 23 जुलाई की रात को विधानसभा के सत्र को काफी कम नोटिस के साथ बुलाए जाने की पत्रावली पेश की गई. पत्रावली का एनालिसिस किया गया. कानून विशेषज्ञों से सलाह ली गई.

कलराज मिश्रा ने कहा कि शॉर्ट नोटिस पर सत्र बुलाए जाने के लिए न तो कोई कारण दिया गया है और न ही कोई अजेंडा प्रस्तावित किया गया. सामान्य प्रक्रिया में सत्र बुलाए जाने के लिए 21 दिन का नोटिस दिया जाना जरूरी होता है. राज्यपाल ने कहा कि राज्य सरकार को सभी विधायकों की स्वतंत्रता सुनिश्चित करनी चाहिए.

राजभवन में गहलोत गुट का धरना

बता दें कि विधानसभा का विशेष सत्र बुलाने को लेकर गहलोत गुट के विधायकों ने शुक्रवार को राजभवन में धरना दिया. इस दौरान राज्यपाल कलराज मिश्रा ने विधायकों से बात भी की. उन्होंने कहा कि आपकी मांग हमने सुन ली है. पूरा मामला सुप्रीम कोर्ट में चल रहा है. संवैधानिक संस्थाओं का टकराव नहीं होना चाहिए.

सीएम अशोक गहलोत ने भी राज्यपाल से मुलाकात की. मुलाकात के बाद अशोक गहलोत ने कहा कि राज्यपाल हमारे संवैधानिक मुखिया हैं. हमने जाकर उनसे रिक्वेस्ट की है. कहने में संकोच नहीं है कि बिना ऊपर के दबाव के वो इस फैसले को नहीं रोक सकते थे ,क्योंकि राज्यपाल कैबिनेट के फैसले में बाउंड होते हैं कि हमें किसी भी रूप में उसे मानना है और विधानसभा का सत्र बुलाना है.

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