
चुनौती से कम नहीं है कोविड सेन्टर,कफ्र्यू भी बना परेशानी का सबब,देखे विडियो





बीकानेर। शहर में लगातार बढ़ रहे कोरोना संक्रमण को रोकने के लिये नया जिला कलक्टर नमित मेहता के लिये कोविड सेन्टर व कफ्र्यू की अनुपालना करवाना किसी चुनौती से कम नहीं है। जिला प्रशासन ने एतिहात के तौर पर तीन थाना क्षेत्रों में कफ्र्यू जरूर लगाया है। लेकिन इससे लोगों को महज परेशानी के अलावा कुछ हाथ नहीं लगा। जानकारी मिली है कि जहां एक थाना क्षेत्र में दुकानें दोपहर तक खुली नजर आई। तो वहीं एक अन्य थाना क्षेत्र में लोग घरों के बारह झुंड बनाये बैठे नजर आएं। यहीं नहीं राजकीय विभागों में काम करने वाले कई कार्मिकों को पुलिस से उलझना भी पड़ा। हालांकि जिला कलक्टर ने अनेक विभागों के कार्मिकों को पास के आधार पर कफ्र्यू ग्रस्त क्षेत्रों से आवाजाही के निर्देश दिए थे। फिर भी पुलिसकर्मियों द्वारा ऐसे कार्मिकों को भी रोका जा रहा था। जो अति आवश्यक सेवाओं में कार्यरत है। पीबीएम के एक कार्मिक ने नाम न छापने की शर्ते पर बताया कि उन्हें अपने घर से पीबीएम पहुंचने के लिये तय समय से आधे घंटे ज्यादा लगे। कारण जगह जगह लगाएं गये बैरिकेटस पर तैनात पुलिसकर्मियों द्वारा एक रास्ते से जाने की अनुमति न देकर दूसरे रास्ते से जाने का दबाव था। इस कार्मिक के अनुसार जिस रास्ते से वह गया। सभी जगह ये ही हालात रहे।
https://youtu.be/Xm1I_0MJDlE
क्या कोविड सेन्टर के हालात सुधार पाएंगे जिला कलक्टर
कोरोना संक्रमित मरीज के लिये एक तो रोग का भय और दूसरा कोविड सेन्टर में अव्यवस्था कोढ़ में खाज का काम कर रहा है। अलग अलग कोविड सेन्टरों में रह रहे मरीजों ने खुलासा संवाददाता को फोन करके यहां व्याप्त अव्यवस्थाओं के विडियो और फोटोज मुहैया करवाएं। जिसके हालात को देखकर जिला प्रशासन के दावों की पोल खुल रही है। इन लोगों ने सोशल मीडिया पर भी जिला कलक्टर को अपनी व्यथा जाहिर की है। उसके बाद भी जिला प्रशासन द्वारा न तो कोविड सेन्टर के हालात पर गंभीरता दिखाई जा रही है और न ही राज्य सरकार की ओर से। मजे की बात तो यह है कि बीकानेर से एक केन्द्र सरकार और दो राज्य सरकार में मंत्री है।
अपने ही मंत्री के दिशा निर्देश प्रभावी नहीं
मजे की बात यह है कि कुछ दिनों पूर्व जिले के वरिष्ठ मंत्री डॉ बी डी कल्ला ने कोविड सेन्टरों पर घर से खाना पहुंचाने की व्यवस्था देकर रोगियों को राहत प्रदान की थी। परन्तु आज हालात ये है कि इन सेन्टरों पर रोगियों के लिये आना वाला खाना उन तक समय पर नहीं पहुंच पा रहा है। खुलासा को आज एक रोगी ने अवगत कराया कि गुरूवार को उनके घर से सुबह 11.30 बजे खाना आया और उस रोगी तक शाम 5 बजे खाना पहुंचा। इतना ही नहीं आज उसी रोगी के परिजनों को कफ्र्यूगस्त इलाके से खाना पहुंचाने के लिये एडी चोटी का जोर लगाना पड़ा। फिर भी उसके परिजन उस तक खाना नहीं पहुंचा सके। ऐसे में अगर कोई रोगी का घर कफ्र्यू ग्रस्त क्षेत्र में है उस तक घर से खाना व दूध जैसी व्यवस्था हो पाना टेढ़ी खीर साबित हो रही है। जबकि इसके लिये प्रशासन की ओर से कोई दिशा निर्देश जारी नहीं किये गये है। जो प्रशासन की संवदेनहीनता को दर्शाता है। उधर हंसा गेस्ट हाउस में भी कुछ ऐसे ही हालात सामने आएं है।

