
बोर्ड की किताबों में नहीं बदलेगा महाराणा प्रताप व रानी पद्मावती का इतिहास





सीकर। कक्षा दसवीं की सामाजिक ज्ञान, राजस्थान का इतिहास एवं संस्कृति व बारहवीं की पुस्तक भारत का इतिहास के विवादों के बीच शिक्षा विभाग की पाठ्यक्रम समीक्षा समिति ने राज्य सरकार को रिपोर्ट सौंप दी है। इसमें सभी आरोपों को निराधार बताया गया है। समिति ने अपनी रिपोर्ट में सभी बिन्दुओं को लेकर जवाब पेश किया है। समिति ने कहा कि जिन विषयों को लेकर अब विवाद सामने आ रहा है वे तथ्य लगभग डेढ़ साल से विद्यार्थियों को पढ़ाए जा रहे हैं और किसी शिक्षाविद् ने पुस्तकों की विषयवस्तु पर आपत्ति नहीं की है। समिति ने दावा किया कि राजस्थान हिन्दी गं्रथ अकादमी की मानक पुस्तकों और पुरस्कृत लेखकों की पुस्तकों के आधार पर ही तथ्य शामिल किए गए हैं। रिपोर्ट आधार पर माना जा रहा है कि बोर्ड की पुस्तकों के इतिहास में कोई संशोधन नहीं होगा। गौरतलब है कि कई सामाजिक संगठनों और विधायकों ने किताब में महाराणा प्रताप से जुड़े तथ्यों को लेकर ज्ञापन और पत्र भेज आपत्ति दर्ज करवाई है।
महाराणा प्रताप को हल्दीघाटी युद्ध में पराजित बताया समिति का जवाब: कक्षा दसवीं की सामाजिक विज्ञान पुस्तक के 2019 के संस्करण में महाराणा प्रताप की पराजय का कहीं उल्लेख नहीं है। पुस्तक में तो उनकी सेना के प्रहार से मुगलों के पैर उखडऩे की बात का उल्लेख किया गया है। इस पुस्तक में पृष्ठ संख्या 32 पर मानसिंह पर हमला करते महाराणा प्रताप का ओजस्वी चित्र तथा पृष्ठ संख्या 33 पर महाराणा प्रताप की समाधि का चित्र भी दिया गया है। पुस्तक के मुख्य पृष्ठ पर भी महाराण प्रताप का वीरतापूर्ण चित्र अंकित किया गया है। महाराणा प्रताप के संबंध में अत्यंत गौरवशाली, ओजस्वी तथा उनके वीरोचित कार्यों को दर्शाने वाली भाषा का प्रयोग किया गया है।
पुस्तक में बताया गया है कि रावल रतन सिंह को 1303 ई. में अलाउद्दीन खिलजी के आक्रमण का सामना करना पड़ा। जिसका कारण अलाउद्दीन खिलजी की साम्राज्यवादी महत्वकांक्षा व चित्तौड़ के सैनिक एवं व्यापारिक उपयोगिता थी। 1540 ई. में मलिक मोहम्मद जायसी द्वारा लिखित पद्मावत में अलाउद्दीन खिलजी के चित्तौड़ आक्रमण का कारण रावल रतनसिंह की पत्नी पद्मिनी को प्राप्त करना बताया गया है। डॉ. दशरथ शर्मा इस मत को मान्यता प्रदान करते है। अलाउद्दीन की सेना से लड़ते हुए रतनसिंह और उसके सेनापति गोरा एवं बादल वीरगति को प्राप्त हुए तथा रानी पद्मिनी से 1600 महिलाओं के साथ जोहर किया। उक्त विवरण से स्पष्ट है कि जायसी के मत को इतिहास के रूप में पेश नहीं किया गया है।
विधानसभा में भी जवाब दे चुके, अब विवाद क्यों: शिक्षा मंत्री
कक्षा दसवीं व बारहवीं की पुस्तकों का मामला विधानसभा में भी गूंज चुका है। पिछले सत्र में 40 से अधिक सदस्यों ने मामला विधानसभा में उठाया था। यह पुस्तकें पिछले सत्र से ही बच्चों को पढ़ाई जा रही है। पिछले एक साल में इन पुस्तकों से संबंधित कोई भी आपत्ति नहीं मिली है। इस समय यह मुद्दा क्यों आ रहा है, समझ से परे है।
गोवन्द सिंह डोटासरा, शिक्षा मंत्री
पुस्तक में कल्पना के आधार पर कुछ नही: शर्मा
पुस्तक में कुछ भी कल्पना के आधार पर नहीं लिखा गया है। पुस्तक में विभिन्न इतिहासकारों की मानक पुस्तकों के आधार पर ही तथ्य शामिल किए गए हैं। पुस्तक लेखन में उच्च शिक्षा विभाग के अधीन राजस्थान हिन्दी ग्रंथ अकादमी जयपुर की प्रकाशित पुस्तकों को काम में लिया गया है, जिन्हें राजस्थान में सबसे ज्यादा मानक पुस्तकें माना जाता है। प्रो. बीएम शर्मा, अध्यक्ष, पाठ्यक्रम समीक्षा समिति


