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हैण्डलिंग-परिवहन की शिकायत पर क्यों गौर नहीं कर रहा सहकारिता विभाग ?

बीकानेर। केन्द्र हो या राज्य सरकार। सरकार गठन के बाद हमेशा इस बाद का दावा करती है कि उनकी सरकार पारदर्शी सरकार है और जो भ्रष्टाचार करेगा या उसमें कही लिप्त पाया जाएगा। उसको बक्शा नहीं जाएगा। किन्तु सरकारों के तकीया कलाम,महज जुबानी शब्दों के ही तीर होते है। जब किसी विभाग में भ्रष्टाचार की शिकायत की जाती है। तो उनकी शिकायतों पर गौर ही नहीं किया जाता। कुछ ऐसा ही लूणकरणसर के शिकायतकर्ता हंसराज बिजारणियां की शिकायती पत्र के साथ हो रहा है। जिसकी अनेक बार शिकायत होने के बाद भी सहकारिता विभाग की ओर से फाइलों में कागजी घोड़े दौड़ाएं जा रहे है। श्रीकरणी कस्ट्रेक्शन ने 19 फरवरी को मूंगफली खरीद पूर्ण होने तक तुला। वो माल 7 मई तक जमा ही नहीं किया गया। यह बोरी 5000-7000 तक की है। यहीं नहीं माल तुलवाई के लिये परिवहन किया गया। उसमें भी घालमेल किया गया है। इन सभी प्रकरणों की जांच के बाद अब तक कोई कार्यवाही नहीं होना सरकार की कार्यशैली पर प्रश्न चिन्ह लगाता है।
20 लाख की गड़बड़ी,मामला एसीबी को भेजने की सिफारिश
समर्थन मूल्यों पर राजफैड द्वारा क्रय विक्रय सहकारी समिति लूणकरणसर की ओर से जा रही जिंसो की खरीद में करीब 20 लाख रूपये की गड़बड़ी पकड़ी गई है। इस मामले में विभाग के 4 कार्मिकों पर क ार्यवाही की अनुशंसा भी की गई है। यहीं नहीं पूरे मामले की जांच एसीबी से करवाने की सिफारिश भी की गई है। किन्तु अब तक यह बातें ही की जा रही है। ऐसा करने में न तो विभाग दिलचस्पी दिखा रहा है और न ही सरकार। मजे की बात तो यह है कि जांच रिपोर्ट में रिजेक्ट माल की गुणवता सुधार के नाम पर समिति को हुई हानि 8 लाख 61 हजार,हैण्डलिंग एवं परिवहन फर्म मोनिका कंस्ट्रेक्शन कंपनी क ालासर से 2 लाख 65 हजार रूपये,करणी कस्ट्रेक्शन कंपनी से 7 लाख 13 हजार रूपये की वसूली करने,इन कंपनियों को नियम विरूद्व ठेका देने का दोषी माना गया है। इसके अलावा 1 लाख 38 हजार रूपये की राशि करणी कंस्ट्रेक्शन कंपनी के साथ ही केवीएसएस,लूणकरणसर के संचालक मंडल से वसूलने की सिफारिश की गई।
यह है मामला
क्रय विक्रय सहकारी समिति लूणकरणसर में वित्तिय वर्ष 2017-18 व 2018-19 में हुई खरीद में कार्मिक दामोदर पारीक,दयाराम गोदारा व तत्कालीन मुख्य व्यवस्थापक नोपाराम भाखर को कम गुणवता की जिंस खरीदने के लिये पर्यवेक्षणीय व लापरवाही बरती। माल तुलाई व परिवहन में भी हेराफेरी के साक्ष्य सामने आएं है। हालात ये है कि दामोदार पारीक द्वारा अपने ही भतीजे के नाम से संविदाकर्मी का भुगतान उठाना भी प्रकाश में आया। बताया जा रहा है कि बीकानेर के उप रजिस्ट्रार नवरंगलाल विश्नोई को इसकी जानकारी होने के बाद भी आज तक किसी प्रकार की ठोस कार्यवाही नहीं करना कही न कही भ्रष्टाचार की ओर इशारा कर रहा है।

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