
बीकानेर से खबर- राशन कार्ड में गड़बड़झाला, नियमों के खिलाफ एपीएल को दिया अंत्योदय का दर्जा





खुलासा न्यूज़, बीकानेर। लूणकरणसर पंचायत समिति ने राशन कार्ड बनाने की प्रक्रिया सवालों के घेरे में है, करप्शन के आरोप लग रहे है। पंचायत समिति में राशनकार्डों का काम करने वाले कार्मिकों ने ई -मित्र संचालकों से मिलीभगत कर अधिकारियों को अंधेरे में रखते हुए नियमों कानूनों को धता बताकर बिना किसी विधिक प्रक्रिया को पूर्ण किए सैकड़ों एपीएल कार्ड धारकों को अंत्योदय बना दिया है. रसद विभाग का भी खूब साथ मिलता है ऐसे में गरीब और जरूरतमंदों के लिए बनाई गई योजना करप्शन के भेट चढ़ती जा रही है।
साल 2006 में अंत्योदय श्रेणी का निर्धारण
गौरतलब है कि राज्य सरकार द्वारा अंतिम बार वर्ष 2006 में अंत्योदय श्रेणी का निर्धारण किया गया था. पंचायत समिति लूणकरणसर के राशन कार्ड से संबंधित शाखा ने विगत 4 सालों में अपनी मनमर्जी से सैकड़ों परिवारों को अंत्योदय,बीपीएल व स्टेट बीपीएल के कार्ङ जारी कर दिया. इस खेल में सुविधा शुल्क के का भ्रष्टाचार होने की सूचना है. उल्लेखनीय है कि राशन कार्ड में नाम जुड़वाने नाम प्रथक करवाने मोबाइल नंबर व अन्य शुद्धिकरण हेतु ऑनलाइन आवेदन ईमित्र के माध्यम से किए जाते हैं. पंचायत समिति नए राशन कार्ड के संधारण का कार्य देखने वाले कार्मिकों ने विगत 4 सालों में बिना किसी आदेश के सैकड़ों राशन कार्ड धारकों की श्रेणी को बदल डाला है. आम तौर पर 3 प्रकार के राशन कार्ड होते हैं- गरीबी रेखा के ऊपर , गरीबी रेखा के नीचेऔर अन्त्योदय परिवारों के लिए. अंत्योदय कैटेगरी में बेहद ज्यादा गरीब लोग रखे जाते हैं। ये कैटेगरी व्यक्ति की सालाना आय के आधार पर तय होती है. इसके अलावा अलग-अलग राशन कार्ड पर सस्ती दरों पर मिलने वाली चीजें, उनकी मात्रा अलग-अलग रहती है। यह ग्रामीण व नगरीय क्षेत्र के आधार पर भी अलग-अलग हो सकती है।
अंत्योदय अन्न योजना, राज्यों में लक्षित सार्वजनिक वितरण प्रणाली के अंतर्गत आने वाले बीपीएल परिवारों में से अत्यंत गरीब परिवारों की पहचान करके अत्यधिक रियायती दर पर यानी 1 रुपए प्रति किलो गेहूँ और कई प्रदेश 3 रुपए प्रति किलो चावल उपलब्ध कराते है. खाध्य सुरक्षा में गेंहू तो APL भी प्राप्त कर सकता है लेकिन इसमें प्रति सदस्य पाँच kg का ही प्रावधान है। दूसरी ओर AN में बिना unit गणना के प्रति कार्ड पैंतीस kg गेंहू मिलता है. इसके अलावा AN श्रेणी वह श्रेणी है जो सरकार की प्रत्येक कल्याणकारी योजना की पात्र है. AN श्रेणी में अनाज के अलावा ईलाज, छात्रवृति, पेंशन व आवासीय योजनाओं में मकान जैसी सुविधाओं के कारण ही इस श्रेणी में शामिल होने की कोशिश की जाती है. हाल में कोरोना राहत की नगदी राशि की इमदाद भी AN श्रेणी को प्राप्त हुई है.
अन्त्योदय परिवारों की पहचान और ऐसे परिवारों को विशिष्ट राशन कार्ड जारी करना संबंधित राज्य सरकारों की जिम्मेदारी होती है. इस योजना के तहत आबंटन के लिए खाद्यान, पहचाने गए अन्त्योदय परिवारों को विशिष्ट एएवाई राशन कार्ड जारी करने के आधार पर राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों को जारी किए जाते है. शुरूआत में जारी किया गया पैमाना जो कि प्रति परिवार 25 किलो प्रति महीना था उसको प्रभावी पहली अप्रैल, 2002 से प्रति परिवार 35 किलो प्रति महीना तक बढ़ा दी गई है.
बीपीएल से एपीएल राशन कार्ड जारी:
सरस्वती देवी नायक पत्नी कानाराम नायक निवासी अर्जुनसर स्टेशन राशन कार्ड नम्बर 00347 श्रेणी बीपीएलः- यह महिला अनुसुचित जाति, विधवा, दिव्यांग, वृद्व एंव अत्यन्त गरीब होने के बावजूद भी इन भ्रष्टाचारियो को इन पर दया तक नही आई 15.04.2016 तक इनका राशन कार्ड बीपीएल श्रेणी से खाद्य सुरक्षा में जुडा़ हुआ था तथा पेंशन भी बराबर मिल रही थी लेकिन जब ऑनलाईन राशन कार्ड बनाया तो पंचायत समिति के कार्मिक ने बीपीएल से एपीएल राशन कार्ड जारी कर दिया. यह महिला आज भी दर दर भटक रही है लेकिन किसी ने सुनाई तक नही की है.
कार्मिकों ने कर दिया बीपीएल से एपीएल श्रेणी का:
केस नम्बर 2 लिछमा पत्नी सरदाराराम निवासी अर्जुनसर स्टेशनः- यह महिला अनुसुचित जाति से है इसका राशन कार्ड बीपीएल श्रेणी का बना हुआ है. मार्च 2016 तक इनको बीपीएल का लाभ भी मिल रहा था लेकिन आनलाइन राशन कार्ड बना तो पंचायत समिति के कार्मिकों ने बीपीएल से एपीएल श्रेणी का कर दिया. इससे यह परिवार सरकारी लाभ से वंचित हो गया। पिड़ित महिला दर दर भटक रही लेकिन कोई सुनवाई नही हो रही है. लूणकरणसर पंचायत समिति मामलें को हमने एक केस स्टडी के तौर पर लिया है पर कमोबेश हर जगह यही हाल. जब हमने इस गड़बड़ झाले पर पंचायत समिति के BDOसे पूछा तो कुछ यूं सफाई करते दिखे. हालांकि पूरे मामलें मे सीधे तौर पर सवाल ग्रामीण विकास के कारिंदो पर है उठ रहे है. साथ ही एक खामी व्यवस्था की भी है जिनके जिम्मे राशन कार्ड बनाना है उन्हें राशन वितरण की जानाकरी नहीं है और जिन्हें राशन वितरण करना है उनका राशन कार्ड बनाने की प्रकिया में योगदान नहीं.

