
काम के बाद भी मनरेगा श्रमिकों को नहीं मिल रहा भुगतान,सरकारी दावे फेल





बीकानेर। किसानों की जीविकोपार्जन के लिये सरकार की ओर से चलाएं जा रहे मनरेगा में गड़बड़ी अब आम हो गई है। हालांकि सरकारें व स्थानीय प्रशासन मनरेगा में भ्रष्टाचार को लेकर अलग अलग दावे करता आ रहा है और जिला प्रशासन की बैठकों में भी जिले के मुखिया मनरेगा कार्यों में किसी प्रकार के भ्रष्टाचार की आशंका पर कार्यवाही की बातें जरूर करते है। लेकिन आएं दिन जिला कलक्टर व संभागीय आयुक्त के पास इस बात के शिकायती ज्ञापन आते है। जिसमें श्रमिकों को भुगतान नहीं मिलने,गलत मस्टरोल से भुगतान उठाने और ग्रामसेवक व ग्राम पंचायत विकास अधिकारी-कार्मिकों की मिलीभगती से मनरेगा जॉब कार्डों में गड़बड़ी का उल्लेख होता है। इसके उपरान्त भी न तो राज्य सरकार और न ही जिला प्रशासन इन पर प्रभावी कार्यवाही करता है। एक ऐसा ही मामला कोलायत तहसील में सामने आया है। जहां मनरेगा में श्रमिकों का भुगतान नहीं होने की शिकायत संभागीय आयुक्त को की गई है। ग्रामीणों की ओर से दिए गये ज्ञापन में अवगत कराया गया है कि कोलायत तहसील के लक्ष्माणा भाटीयान ग्राम पंचायत के खारा लोहान गांव में मनरेगा के कर्यों के दैनिक मजदूरी की राशि शून्य करवा दी है। जबकि यहां 90 श्रमिकों का ही मस्टरोल दिया गया है। शेष कार्य कर रहे श्रमिकों का नाम तक नहीं दिया गया है। इस कार्य का स्वयं विकास अधिकारी ने निरीक्षण भी किया था। फिर भी मस्टरोल निल किया गया है। ग्रामीण मोहनराम ने बताया कि विकास अधिकारी अपने पूर्व कार्मिक अस्थाई लिपिक ,जेटीओ व ग्रामसेवक की मिली भगती से काम पर लगे सभी श्रमिकों को भुगतान न कर उनकी राशि का गबन करने में लगे हुए है।
कार्मिक ने स्वयं की लगवाई गाड़ी
ज्ञापन में इस बात का भी हवाला दिया गया है कि अस्थाई लिपिक की जीप भी पंस कोलायत में लगी हुई हैॅ। यह जीप 2017-18 में जोधपुर जिले की पंस देचू में लगी हुई थी और अब यहां विकास अधिकारी के साथ मिलकर सरकारी धन का दुरपयोग कर रहा है।


